वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन के कारण मालभाड़े व यात्री किराये में गिरावट से प्रभावित रेलवे ने वित्त मंत्रालय से पेंशन देनदारियों का बोझ वहन करने का अनुरोध किया था। वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष की रेलवे की पेंशन देनदारियों का बोझ उठाने को इच्छुक नहीं है। उसका मानना है कि विभाग स्वायत्तशासी है और उसे संसाधनों के सृजन के लिए कदम उठाना चाहिए।
वित्त मंत्रालय के एक प्रमुख सूत्र ने कहा, ‘आप (रेलवे) दोनों काम नहीं कर सकते कि स्वायत्तता भी लें और पेंशन की जिम्मेदारी हमारे ऊपर डालें। सब कुछ पैकेज में आता है।’
उन्होंने कहा कि रेल परियोजनाएं वित्त मंत्रालय की मंजूरी के लिए नहीं आती हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल विभाग केवल उन परियोजनाओं को मंजूरी देता है, जो साला3ना बजट के आकार का दस गुना होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में परियोजनाएं देरी से चलती हैं। वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्र ने कहा कि रेलवे को अपनी परियोजनाओं की प्राथमिकता नए सिरे से तय करनी चाहिए और संसाधनों के सृजन के लिए किराये को तार्किक बनाना चाहिए।
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रेलवे का कर्मचारियों पर खर्च और पेंशन देनदारी 1.46 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से कर्मचारियों पर आने वाला खर्च करीब 92,993 करोड़ रुपये जबकि पेंशन का बिल 53,000 करोड़ रुपये है।
मालभाड़े, यात्री किराये व अन्य किराये से आने वाला कुल राजस्व 30 सितंबर 2020 तक के छह महीनों में घटकर 53,725 करोड़ रुपये रह गया है, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 34,257 करोड़ रुपये या 39 प्रतिशत की गिरावट आई है।
रेलवे एकमात्र सरकारी विभाग है, जो अपनी पेशन देनदारियों को अपने राजस्व प्राप्तियों से पेंशन फंड के माध्यम से देता है, जिसे 2003 में पेश किया गया था। वित्त मंत्रालय अन्य सभी विभागों का इस मद का बोझ उठाता है।
पिछले साल रेलवे ने कहा था कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू किए जाने के बाद से उसके कर्मचारियों पर आने वाले खर्च में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा ट्रैफिक से कमाई में वृद्धि भी सुस्त रही है। इसकी वजह से रेलवे को अपने राजस्व से पेंशन का बोझ उठाने में कठिनाई हो रही है, जो उसकी सामाजिक सेवा बाध्यता है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने हाल में कहा था, ‘रेलवे की करीब 25 प्रतिशत कर्मा 15.5 करोड़ पूर्व कर्मचारियों के पेंशन भुगतान पर खर्च होती है। हम उम्मीद करते हैं कि यह चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।’
11 अक्टूबर तक रेलवे की माल ढुलाई से आमदनी 15 प्रतिशत घटकर 53,631 करोड़ रुपये रही है। बहलहाल माल ढुलाई पिछले साल की तुलना में 19 प्रतिशत बढ़ी है।
