facebookmetapixel
Year Ender 2025: NFOs आए… लेकिन निवेशकों ने क्यों पीछे खींचे हाथ?Tata Steel पर नीदरलैंड्स में $1.4 अरब का मुकदमा दायर, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का आरोपRevised vs Updated ITR: दोनों में क्या है अंतर और किस टैक्सपेयर्स को क्या भरना जरूरी, आसान भाषा में समझेंNational Pension Scheme में हुए कई बदलाव, निवेशकों को जानना जरूरी!कोरोना के बाद वायु प्रदूषण सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट! डॉक्टरों का दावा: फेफड़ा-दिल को हो रहा बड़ा नुकसान2026 में कैसी रहेगी बाजार की चाल, निवेशक किन सेक्टर्स पर रखें नजर? मोतीलाल ओसवाल ने दिया न्यू ईयर आउटलुकYear Ender: ग्लोबल बैंक के लिए बैंकिंग सेक्टर में फिर बड़ा मर्जर? क्या और घटेगी सरकारी बैंकों की संख्याGold, Silver Price Today: सोना नए ​शिखर पर, चांदी ने भी बनाया रिकॉर्ड; चेक करें आज का भावशिप रिसाइक्लिंग पर सरकार की बड़ी तैयारी: हॉन्ग कॉन्ग कंवेंशन के अनुरूप कड़े नियम जल्ददिवाली और क्रिसमस के जश्न के बीच जमकर ड्रिंक कर रहे लोग, प्रीमियम शराब की बिक्री व मांग में बढ़ोतरी

Gender equality: स्त्री-पुरुष समानता के प्रयास मगर हकीकत कुछ और

महिलाओं में साक्षरता की दर 2019-21 में बढ़कर 71.5 फीसदी हो गई। हालांकि इस अवधि में पुरुषों की साक्षरता दर 27.15 फीसदी से बढ़कर 84.4 फीसदी हो गई

Last Updated- August 20, 2023 | 11:28 PM IST
Gender equality: In the pipeline but still a pipe dream

भारत में महिलाओं को रोजगार के लिए कम ही पढ़ना लिखना सिखाया जाता है। बहुसंख्यक महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल तक नहीं किया है। यह जानकारी विभिन्न सूचकांकों से मिली है।

सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक देश में पुरुषों और महिलाओं में लैंगिक असमानता की समस्या कायम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का जिक्र किया। उन्होंने कहा था कि भारत में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक संख्या में महिला पायलट थीं। संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में करीब 15 फीसदी महिला पायलट थीं जबकि विश्व में महिला पायलट महज पांच प्रतिशत थीं। लेकिन यह भारत में महिला पायलटों की कम संख्या के बारे में है।

भारत में कुल पायलटों की संख्या करीब 10,000 है। महिलाएं पुरुषों की तुलना में विज्ञान का अधिक अध्ययन कर रही हैं। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में विज्ञान के स्नातक पाठ्यक्रमों में 25 लाख महिलाएं थीं जबकि इन पाठ्यक्रमों में पुरुष 23 लाख थे। लेकिन इंजीनियरिंग और तकनीकी पाठ्यक्रमों में अंतर बदल गया। इंजीनियरिंग और तकनीकी पाठ्यक्रमों में 26 लाख पुरुष और केवल 11 लाख महिलाएं थीं।

सूचना तकनीक और कंप्यूटर साइंस के पाठ्यक्रम में महिलाओं (30 लाख) से अधिक पुरुषों (50 लाख) की संख्या थी। विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस इन पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या 55 लाख है जबकि छात्राओं की संख्या केवल 39 लाख है।

शिक्षा में बुनियादी मानदंड साक्षरता है लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही साक्षरता के मामले में पुरुषों से पीछे महिलाएं हैं। वर्ष 1951 में 10 फीसदी से भी कम महिलाएं साक्षर थीं। महिलाओं में साक्षरता की दर 2019-21 में बढ़कर 71.5 फीसदी हो गई। हालांकि इस अवधि में पुरुषों की साक्षरता दर 27.15 फीसदी से बढ़कर 84.4 फीसदी हो गई।

रोजगार के सभी क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रोजगार के कम अवसर प्राप्त होते हैं। भारत में महिलाओं की श्रम बल भागीदारी दर केवल 24 फीसदी है। यह दर दर्शाती है कि कार्य के लिए कामकाजी महिलाएं कम उपलब्ध हैं। यह दर दक्षिण एशिया में पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान (24.6 फीसदी) और बांग्लादेश (37.7 फीसदी) से कम है। यह ब्रिक्स के समकक्ष देशों ब्राजील, रूस और चीन से भी कम है जिनकी महिला श्रम बल की भागादारी दर 50 फीसदी से अधिक है।

मार्च, 2019 तक पैन आबंटन में पुरुषों की हिस्सेदारी 62.84 प्रतिशत है जबकि इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 37.2 प्रतिशत है। महिलाओं की सूचना तक पहुंच भी सीमित है। वर्ष 2019-21 के सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक केवल 33.3 फीसदी महिलाओं ने ही इंटरनेट का उपयोग किया है जबकि पुरुषों की संख्या 57.1 फीसदी है। इंटरनेट का उपयोग करने के मामले में खाई ग्रामीण भारत में ज्यादा है – यह पुरुषों के 48.7 फीसदी की तुलना में 24.6 फीसदी है।

First Published - August 20, 2023 | 11:09 PM IST

संबंधित पोस्ट