भारत में महिलाओं को रोजगार के लिए कम ही पढ़ना लिखना सिखाया जाता है। बहुसंख्यक महिलाओं ने इंटरनेट का इस्तेमाल तक नहीं किया है। यह जानकारी विभिन्न सूचकांकों से मिली है।
सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक देश में पुरुषों और महिलाओं में लैंगिक असमानता की समस्या कायम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का जिक्र किया। उन्होंने कहा था कि भारत में किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक संख्या में महिला पायलट थीं। संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में करीब 15 फीसदी महिला पायलट थीं जबकि विश्व में महिला पायलट महज पांच प्रतिशत थीं। लेकिन यह भारत में महिला पायलटों की कम संख्या के बारे में है।
भारत में कुल पायलटों की संख्या करीब 10,000 है। महिलाएं पुरुषों की तुलना में विज्ञान का अधिक अध्ययन कर रही हैं। उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में विज्ञान के स्नातक पाठ्यक्रमों में 25 लाख महिलाएं थीं जबकि इन पाठ्यक्रमों में पुरुष 23 लाख थे। लेकिन इंजीनियरिंग और तकनीकी पाठ्यक्रमों में अंतर बदल गया। इंजीनियरिंग और तकनीकी पाठ्यक्रमों में 26 लाख पुरुष और केवल 11 लाख महिलाएं थीं।
सूचना तकनीक और कंप्यूटर साइंस के पाठ्यक्रम में महिलाओं (30 लाख) से अधिक पुरुषों (50 लाख) की संख्या थी। विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस इन पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या 55 लाख है जबकि छात्राओं की संख्या केवल 39 लाख है।
शिक्षा में बुनियादी मानदंड साक्षरता है लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही साक्षरता के मामले में पुरुषों से पीछे महिलाएं हैं। वर्ष 1951 में 10 फीसदी से भी कम महिलाएं साक्षर थीं। महिलाओं में साक्षरता की दर 2019-21 में बढ़कर 71.5 फीसदी हो गई। हालांकि इस अवधि में पुरुषों की साक्षरता दर 27.15 फीसदी से बढ़कर 84.4 फीसदी हो गई।
रोजगार के सभी क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को रोजगार के कम अवसर प्राप्त होते हैं। भारत में महिलाओं की श्रम बल भागीदारी दर केवल 24 फीसदी है। यह दर दर्शाती है कि कार्य के लिए कामकाजी महिलाएं कम उपलब्ध हैं। यह दर दक्षिण एशिया में पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान (24.6 फीसदी) और बांग्लादेश (37.7 फीसदी) से कम है। यह ब्रिक्स के समकक्ष देशों ब्राजील, रूस और चीन से भी कम है जिनकी महिला श्रम बल की भागादारी दर 50 फीसदी से अधिक है।
मार्च, 2019 तक पैन आबंटन में पुरुषों की हिस्सेदारी 62.84 प्रतिशत है जबकि इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 37.2 प्रतिशत है। महिलाओं की सूचना तक पहुंच भी सीमित है। वर्ष 2019-21 के सरकारी सर्वेक्षण के मुताबिक केवल 33.3 फीसदी महिलाओं ने ही इंटरनेट का उपयोग किया है जबकि पुरुषों की संख्या 57.1 फीसदी है। इंटरनेट का उपयोग करने के मामले में खाई ग्रामीण भारत में ज्यादा है – यह पुरुषों के 48.7 फीसदी की तुलना में 24.6 फीसदी है।