बजट के सहारे चुनावी वैतरणी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 8:52 AM IST

नरेंद्र मोदी सरकार के प्रत्येक बजट के साथ ऐसा ही होता आया है और जब सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश किया तो उसमें आगामी विधानसभा चुनावों की झलक दिखी। बजट में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, असम तथा पुदुच्चेरी जैसे चुनावी राज्यों में सड़क निर्माण के लिए धन आवंटित किया गया है, और बाद के दो राज्यों में चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के लिए भी धनराशि जारी की गई है। भाजपा ने उत्तरी बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था जो चाय बागानों का प्रमुख केंद्र है और पार्टी अभी भी इस क्षेत्र के साथ ही असम के ऊपरी इलाकों में लोकप्रिय बनी हुई है। भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में असम को बनाए रखने की कोशिश करेगी, और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से बंगाल लेने की उम्मीद करेगी। हालांकि शेष तीन राज्यों में एक प्रमुख घटक बने रहने की उम्मीद है।
हो सकता है कि भाजपा अभी भी बंगाल में पूर्ण बहुमत से न जीत सके लेकिन 2022 में विधानसभा चुनावों के अगले दौर में उत्तर प्रदेश समेत राज्यों में खराब प्रदर्शन नहीं करना चाहती। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की सफलता के प्रमुख स्तंभ रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हालिया आंदोलन के चलते अगर पार्टी खो देती है तो इसका असर 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। यही कारण है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जो भाजपा को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें बुनियादी ढांचे के निवेश का रोडमैप रखना और कृषि उपकर जैसे डीजल पर 4 रुपये का कृषि उपकर लगाया जाना।
बजट में पीएम किसान निधि और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) सहित कई सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए आवंटन भी घटा दिया है।
प्रधानमंत्री तथा दूसरे लोगों द्वारा दिए गए बयानों के बावजूद, बजट के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और कृषि उपकर के तहत लगभग दो दर्जन अन्य मदों से राजनीतिक पूंजी को जोखिम में डालने के लिए तैयार है। सरकार ने यह भी दिखाया है कि सरकारी भूमि की बिक्री सहित सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के विनिवेश का सामना करने को तैयार है। वित्त मंत्री के भाषण के बाद, विपक्ष एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की व्यापार इकाई भारतीय मजदूर संघ ने भी विनिवेश के लिए सरकार की आलोचना की है। अगले वर्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले पेश किए जाने वाले आगामी बजट में इनमें से कई कदम उठाने सरकार के लिए संभव नहीं होंगे। साल 2017 में केंद्र ने बजट प्रस्तुत करने की तारीख 28 फरवरी से 1 फरवरी कर दी थी और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 11 फरवरी से शुरू हो गए थे। भाजपा सरकार ने कम से कम 2016 के बाद से अपने बजट में चुनावी रूप से विवादास्पद प्रस्तावों की घोषणा से परहेज किया है, लेकिन यह बजट उस पैटर्न से हट गया है। साल 2015 में दिल्ली और बिहार में अपनी हार से बाहर निकलते हुए भाजपा ने 2016 में ‘गरीब कल्याण’ की ओर रुख किया और उस समय उत्तर प्रदेश चुनावों के बीच उज्ज्वला योजना शुरू की। 
भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दो या तीन फसल चक्रों में कृषि उपज खरीदने के लिए कृषि उपकर के माध्यम से पर्याप्त राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद होगी। उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव होंगे। भाजपा को उम्मीद होगी कि जब मार्च 2022 तक उत्तर प्रदेश में चुनाव आएंगे, अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगेगी और वह अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मुख्य चुनावी मुद्दे के साथ दूसरे मुद्दों को लेकर मैदान में उतरेगी।   
हालांकि कांग्रेस ने मध्यम वर्गों के लिए, विशेषकर महामारी के दौरान किसी भी राहत की कमी के लिए बजट की आलोचना की। संघ तथा उसकी सहयोगी इकाइयों ने भी इसे लेकर चिंता जाहिर की है।   भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि महामारी की स्थिति के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद कोई आयकर राहत नहीं दी गई, जबकि कॉर्पोरेट कर को कम किया गया। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में मध्यम वर्ग ने भाजपा का समर्थन किया था और उनके साथ के चलते ही भाजपा ने 2014 और 2019 की शानदार जीत दर्ज की थी।  बीएमएस ने कहा कि सरकार की आक्रामक विनिवेश योजना, एलआईसी का आईपीओ लाना, नीति आयोग को विनिवेश के लिए नई कंपनियों को सूचीबद्ध करने एवं सरकारी संपत्तियों को मुद्रीकृत करने के लिए कहना ‘आत्मनिर्भर भारत के आकर्षण और बजट में कुछ अच्छे प्रस्तावों के लाभ को कम करेगा ।’ बीएमएस के महासचिव ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल और असम में चाय श्रमिकों के लिए विशेष योजना को छोड़कर बजट में बीएमएस एवं दूसरे कारोबारी संगठनों द्वारा की गई मांगों में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है।’  
चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में राजमार्गों के निर्माण के लिए केंद्र के बजट आवंटन पर प्रहार किया और इसे राज्य के सड़क नेटवर्क के निर्माण एवं सुधार में अपने रिकॉर्ड प्रदर्शन से जोडऩे का प्रयास किया।

First Published : February 2, 2021 | 12:49 AM IST