भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को कोविड-19 के लिए एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी की दिशा में दावों को इनकार नहीं करने के लिए कहा है। इसके अलावा नियामक ने उनसे यह भी कहा है कि वे अब तक उक्त उपचार के संबंध में जितने दावों को इनकार किया है उनकी समीक्षा करें और नियम तथा शर्तों के मुताबिक उनका निपटारा करें।
सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों को भेजे गए एक परिपत्र में नियामक ने कहा, ‘…बीमाकर्ताओं को यह सलाह दी जाती है कि वे इस प्रकार के दावों में किए गए इनकार/कटौतियों की समीक्षा करें और दावों का निपटारा नियम तथा शर्तों के मुताबिक हुआ है यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कार्रवाई करें।’
बीमा नियामक ने परिपत्र में कहा कि उसके समक्ष कई ऐसे उदहारण आए हैं जिनमें बीमाकर्ताओं ने या तो दावों को इनकार कर दिया या फिर कोविड-19 के लिए उपचार एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी पर किए गए खर्च की रकम देने में कटौती की गई। इसके लिए तर्क दिया गया कि यह एक प्रायोगिक उपचार है।
नियामक ने बीमा कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों को निर्देशित इस परिपत्र में कहा, ‘…एंटीबॉडी कॉकटेल (कैसिरिमैब और इंबडेवीमैब) को हमारे देश में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएसओ) द्वारा मई, 2021 में आपातकालीन उपयोग अधिकार (ईयूए) दी गई है।’
इसलिए, नियामक ने बीमा कंपनियों से प्रासंगिक प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई/मंजूरियों का अद्यतन करने के लिए एक प्रभावी दावा निपटान प्रक्रिया अपनाने को कहा है ताकि सभी दावों को नियम और शर्तों के मुताबिक निपटाया जाए।
पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक पुराने बीमाकर्ता ने कहा कि मरीजों को एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी उन्हें अस्पतालों में भर्ती किए बिना ही दी जा सकती है लेकिन उसे बीमा में कवर नहीं किया जाएगा क्योंकि बीमाकर्ता दावे का भुगतान केवल तभी करते हैं जब मरीज को अस्पताल में भर्ती किया गया हो। उन्होंने कहा, ‘इसीलिए, ऐसा देखा गया था कि कई सारे मरीज इस इलाज के लिए अस्पतालों में केवल एक या दो दिन के लिए भर्ती हो रहे थे ताकि उन्हें बीमा के तहत कवर किया जाए। अब चूंकि आईआरडीएआई ने परिपत्र जारी किया है ऐसे में बीमाकर्ताओं को दावों का सम्मान करना होगा बशर्ते कि मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ हो।’
एंटीबॉडी कॉकटेल दो प्रकार के आनुवंशिक प्रतिरक्षी के मिश्रण से तैयार किया जाता है। ये मानव शरीर में तैयार होने वाले प्रतिरक्षी के समान ही होते हैं लेकिन इस मायने में अलग होते हैं कि इन्हें प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है।
