सरकार को उम्मीद है कि ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों के आसपास अस्थायी अस्पताल बनाने से कम समय में संक्रमित लोगों के लिए लगभग 10,000 ऐसे बेड उपलब्ध कराए जा सकते हैं जहां ऑक्सीजन की भी सुविधा हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा के लिए कई बैठकें कीं।
प्र्रधानमंत्री ने कोविड-19 की मौजूदा स्थिति के प्रभावी प्रबंधन के लिए मानव संसाधन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की जिनमें चिकित्सा एवं नर्सिंग शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े छात्रों या पास कर चुके छात्रों को प्रोत्साहन देना भी शामिल है।
एक सरकारी सूत्र के मुताबिक एनईईटी की परीक्षा टालने और एमबीबीएस पास कर चुके छात्रों को कोविड-19 से बचाव अभियान में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है और अंतिम वर्ष के एमबीबीएस और नर्सिंग छात्रों की भी इस अभियान में सेवा लेने का फैसला किया जा सकता है। एक सूत्र के मुताबिक कोविड-19 के काम में जुटे चिकित्साकर्मियों को सरकारी नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जा सकती है और उन्हें वित्तीय सहायता भी मुहैया कराई जा सकती है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार की रणनीति औद्योगिक इकाइयों की पहचान करने की है जहां अपेक्षित शुद्धता वाले ऑक्सीजन गैस का उत्पादन होता है और वैसी इकाइयों का चयन करना है जो शहरों या मांग वाले केंद्रों के करीब हैं और जहां ऑक्सीजनयुक्त बेड वाले अस्थायी कोविड केयर केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं।
इन सुविधाओं के निर्माण के लिए पांच प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं। पीएमओ के बयान में कहा गया है, ‘राज्य सरकारों को महामारी से निपटने के लिए ऑक्सीजनयुक्त बेड वाले ऐसे और केंद्रों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।’
प्रधानमंत्री ने प्रेशर स्विंग ऐडसॉर्पशन (पीएसए) संयंत्रों की स्थापना की प्रगति की समीक्षा भी की और अधिकारियों को इसे पूरा करने में तेजी लाने का निर्देश दिया। पीएम केयर फंड, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य के अंशदान के माध्यम से लगभग 1,500 पीएसए संयंत्र स्थापित किए जाने की प्रक्रिया में हैं। इस समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, गृह सचिव अजय भल्ला के साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सरकार ने कहा कि इस्पात संयंत्रों, पेट्रोकेमिकल इकाइयों के साथ रिफाइनरी और बिजली संयंत्र जो ऑक्सीजन का उत्पादन भी करते हैं उन्हें मेडिकल इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन बनाने के लिए फिर से तैयार किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों में बदलाव की संभावनाओं पर भी चर्चा की। अब तक 14 उद्योगों की पहचान की गई है जहां संयंत्रों के रूपांतरण का कार्य चल रहा है। उद्योग संगठनों की मदद से अन्य 37 नाइट्रोजन संयंत्रों की भी पहचान की गई है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा है, ‘ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए बदलाव किए गए नाइट्रोजन संयंत्र को या तो पास के अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है या अगर संयंत्र को स्थानांतरित करना संभव नहीं है तब इसका उपयोग ऑक्सीजन के ऑन-साइट उत्पादन के लिए किया जा सकता है जिसे विशेष सिलिंडरों के माध्यम से अस्पताल पहुंचाया जा सकता है।’
सुनिश्चित करें कि कोविड संबंधी दवाएं, उपकरण अधिकतम खुदरा मूल्य से ज्यादा पर न बेचे जाएं: अदालत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने रविवार को दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए जरूरी ऑक्सीजन सिलिंडर, ऑक्सीजन सांद्रक और जरूरी दवाएं अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से अधिक दाम पर न बेची जाएं।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली के पीठ ने दिल्ली सरकार से यह भी कहा कि कोविड-19 से संबंधित दवाओं और उपकरणों की जमाखोरी तथा कालाबाजारी में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएं। साथ ही अवमानना कार्रवाई के अलग मामले का सामना करने के लिए उन्हें अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
कुछ वकीलों ने अदालत को बताया था कि दवाओं और उपकरणों के लिए अधिक रकम वसूली जा रही है, जिसके बाद अदालत ने ये निर्देश जारी किए हैं। भाषा