अमर्त्य को नहीं भाया बाजार का तड़का
मिड डे मील में बदलाव के खिलाफ कोलकाता से प्रबुध्द लोगों ने भेजा प्रधानमंत्री को संदेश
स्कूली बच्चों को पका खाना ही मुहैया कराने के लिए यूपीए सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पर दबाव अब और गहराता जा रहा है। इस मसले पर ताजा मुहिम छेड़ी है नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने, जिन्होंने कोलकाता से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बाबत संदेश भेजा है। अपने संदेश में उन्होंने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है कि दोपहर के भोजन (मिड डे मील) योजना के तहत स्कूली बच्चों को बिस्कुट और प्री-पैकेज्ड खाना मुहैया कराने का प्रस्ताव किसी भी सूरत में न माना जाए। साथ ही, उन्होंने पके खाने की बजाय पैकेट बंद खाना देने की योजना का भी विरोध किया है।
कोलकाता स्थित एक समूह की अध्यक्षता करते हुए सेन ने एक बैठक के बाद इस संदेश को तैयार किया है। समूह की इस बैठक का आयोजन सेन की संस्था प्रातिची ट्रस्ट और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया था। बैठक में विभिन्न क्षेत्रों के 40 लोग शामिल हुए, जिन्होंने महिला और बाल विकास मंत्रालय की इस पहल पर आश्चर्य और दुख जताया कि स्कूली बच्चों को प्री-पैकेज्ड खाना और बिस्कुट दिए जाने चाहिए।
मंत्रालय ने यह प्रस्ताव रेणुका चौधरी की अध्यक्षता में तैयार किया है। आंगनवाड़ी के ठेकेदारों की मदद से लागू होने वाले इस प्रस्ताव की कई हलकों में आलोचना की जा रही है। प्रधानमंत्री को भेजे संदेश को तैयार करने में शिक्षाशास्त्री अभिजीत सेन, एनएसी चेयरमैन ए.के. शिवकुमार, राष्ट्रीय उद्योग आयोग के चेयरमैन अर्जुन सेनगुप्ता जैसे जाने-माने लोग शामिल हैं। संदेश में कहा गया है कि इस बात को लेकर सभी सहमत हैं कि मिड डे मील से स्कूलों में बच्चों, खासतौर पर लड़कियों की, तादाद तेजी से बढ़ी है। और इस बात पर भी एक मत हैं कि फिलहाल जो खाना दिया जा रहा है, बच्चों के लिए वह प्रस्तावित खाने की तुलना में कहीं ज्यादा पोषक है।
बैठक के भागीदारों ने सरकार की मिड डे मील योजना और उसके तहत किए कार्यों की भी काफी सराहना की। लेकिन दबावों, खासतौर पर बाजार के दबाव के चलते अगर इसमें कोई बदलाव किए गए तो इसके नतीजे इस योजना और बच्चों के लिए अच्छे नहीं होंगे।
सेन द्वारा भेजे इस संदेश को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने वालों में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की डॉ. रीमा बारू, राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य डॉ. एन.सी. सक्सेना, बिराज पटनायक और राजीव दासगुप्ता शामिल थे। प्रधानमंत्री ने इस दल को आश्वासन दिया कि इस मामले पर वह गंभीरता से विचार करेंगे।