अंतत: संसद को उन कृषि कानूनों को निरस्त करने में महज 12 मिनट का वक्त लगा जिसके खिलाफ किसान पिछले एक साल से आंदोलित थे और उनमें से 750 किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 के जरिये तीन कृषि कानूनों कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून, 2020 को वापस लिया गया है। इस विधेयक को लोकसभा में महज चार मिनट में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
राज्य सभा में इससे थोड़ा अधिक वक्त लगा क्योंकि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े को संक्षेप में अपनी बात कहने की अनुमति दी गई थी। लेकिन इसके बावजूद कानूनों को बिना चर्चा के ही निरस्त कर दिया गया क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे किसानों की जीत करार दिया तो वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इन विधेयकों को निरस्त किया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उदारता का परिचायक है।
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे किसानों ने कहा कि भले ही संक्रमण का उपचार कर दिया गया है लेकिन वे कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी सहित अपनी अन्य मांगों के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे और आगे की रणनीति पर शनिवार की बैठक में निर्णय लेंगे।
दोनों सदनों में हंगामें के बीच आज काम को रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया गया। लोक सभा में सदस्यों ने तख्तियों को लहराते हुए और नारेबाजी की आौर आसन के पास पहुंच गए।
ऊपरी सदन में सभापति वेंकैया नायडू ने सदस्यों को चेताया कि आसन के समक्ष आने का प्रयास किया तो उन्हें सदन से बाहर करने से पहले नामित किया जाएगा। इसके बावजूद पूरी कार्यवाही के दौरान नारेबाजी होती रही।
सत्र के आरंभ होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘यह संसद का एक महत्त्वपूर्ण सत्र होगा। देश के नागरिक एक उत्पादक सत्र चाहते हैं। हमारी सरकार सभी प्रश्नों का जवाब देने के लिए तैयार है। हमें संसद में बहस करना चाहिए और कार्यवाही की मर्यादा को बनाए रखना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि आगे के लिए मिसाल यह होगी कि सदन ने किस तरह से काम किया, सदस्यों द्वारा कितना अधिक योगदान दिया गया और यह नहीं कि किसने सदन को बलपूर्वक बाधित करने के लिए कितना अधिक प्रयास किया…मिसाल यह होनी चाहिए कि सत्र के दौरान कितने उत्पादक कार्य संपन्न हुए।’
इससे पहले प्रधानमंत्री कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्यों के साथ बैठक की।
विपक्ष ने भी अपनी बैठक बुलाई थी जिसमें दरार स्पष्ट तौर पर नजर आई। मल्लिकार्जुन खडग़े की ओर से बुलाई गई बैठक से उम्मीद के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस ने किनारा कर लिया था।
