पिछले कुछ महीनों से 35 वर्षीय मेघा रानडे इस बात से चिंतित हैं कि वह जो सब्जियां और फल घर ला रही हैं, वे शायद उपभोग के लिए सुरक्षित न हों। कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण की प्रकृति ने उनका यह डर कुछ हद तक बढ़ा दिया है जिसके बारे में माना जाता है कि यह पूरी सतह पर आसानी से फैल जाता है। हालांकि वह घर आने वाली हर चीज पर निगाह रखती हैं, लेकिन सब्जियां और फल इससे छूटते दिख रहे थे। फिर फल और सब्जी साफ करने वाले उस क्लीनर से उनकी यह दिक्कत दूर हो गई जिसे उन्होंने ऑनलाइन खोजा था।
मेघा का अनुभव कुछ ऐसा है जिससे भारत में कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद ज्यादातर लोगों को गुजरना पड़ा है। इस रोग के संक्रमण से असरदार ढंग से निपटने की जरूरत ने नए उपभोक्ता उत्पादों को जन्म दिया है जो छह महीने पहले मुश्किल से ही वजूद में थे। उपभोक्ताओं की इन वस्तुओं में पराबैगनी कीटाणुनाशक और सैनिटाइजिंग बॉक्स, उंगली के स्पर्श बिना काम करने वाले यंत्र, स्वयं सजने-संवरने वाली किट, खुद से साफ होने वाली पानी की बोतलें, स्मार्ट टिफिन बॉक्स, पहनने वाले हैंड-सैनिटाइर, ऐंटी-वायरल कपड़े, टाइल्स, फर्श, गद्दे और ऐंटी-फॉगिंग चश्मे शामिल हैं।
जहां एक ओर नीलसन का कहना है कि उसने अब तक इन श्रेणियों को नहीं जांचा है, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ता वस्तुओं वाली कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि यह चलन बना रहने वाला है। डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा कहते हैं कि पिछले कुछ महीनों से यह स्वास्थ्य संकट चल रहा है तथा टीका पाने के प्रयास तेज होने के बावजूद कुछ समय तक ऐसा ही रह सकता है।
वह कहते हैं कि लोग इन चुनौतियों से अवगत हैं तथा इस संबंध में उन व्यवहार और आदतों को अपना रहे हैं जिन्हें पहले बेकार मान लिया गया था। इसका परिणाम यह है कि ऐसे नए उत्पादों की आवश्यकता है जो पहले मौजूद नहीं थे।
मैरिको के प्रवक्ता कहते हैं कि फल-सब्जी साफ करने वाला उत्पाद, जिसे कंपनी ने शुरू किया है, उपभोक्ताओं के बीच स्वच्छता की तीव्र भावना के बाद लाया गया है। प्रवक्ता का कहना है कि हमें सब्जी साफ करने वाले और मेडिकर हैंड सैनिटाइजर जैसे अपने स्वच्छता उत्पादों के लिए बढिय़ा मांग नजर आई है। हम इनमें वृद्धि के लिए निवेश करना जारी रखेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि आज दिखाई देने वाली नई वस्तुओं के उपभोग का दायरा घर से लेकर व्यक्तिगत स्वच्छता, कपड़ों, सजने-संवरने और खाद्य उत्पादों तक फैला हुआ है। इस सूची में और अधिक उत्पाद शामिल हो सकते हैं क्योंकि कंपनियां लगातार नवोन्मेष कर रही हैं। जरा इस बात पर गौर कीजिए कि रायचूर की फार्मा कंपनी शिल्पा मेडिकेयर ने टी बैग के विकल्प के तौर पर एक ग्रीन टी झिल्ली की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य ग्रीन टी बनाने को न केवल सुविधाजनक, स्वच्छ और आसान बनाना है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाना है।
शिल्पा मेडिकेयर के प्रबंध निदेशक विष्णुकांत चतुर्भुज भुटडा़ कहते हैं कि हम ग्रीन टी के एक विशिष्ट घटक के बारे में बात कर रहे हैं जिसे एपिगैलोकैटेचिन गैलेट (ईजीसीजी) कहा जाता है। अनुसंधान से पता चलता है कि यह वायरल संक्रमण से बचाता है। हमारी ग्रीन टी झिल्ली में 60 प्रतिशत ईजीसीजी तत्त्व होता है। सेंचुरी प्लाई ने प्लाईवुड और लेमिनेट उत्पादों की शुरुआत की है जो वायरस मारने का दावा करते हैं, जबकि ड्यूरोफ्लेक्स में स्विस तकनीक से बना ऐंटी-वायरल गद्दा संरक्षक रहता है और वेलस्पन के पास अमेरिका की प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणित ऐंटी-वायरल फर्श है।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की प्रबंध निदेशक और साझेदार निमिषा जैन कहती हैं कि उपभोक्ता व्यवहार को तीन विस्तृत श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसमें उत्प्रेरक, व्युत्क्रमण और अपूर्वानुमेय घटक शामिल हैं।
वह कहती हैं कि उत्प्रेरक वे आदतें हैं जो पहले मौजूद तो थीं, लेकिन उन्हें अब गति मिली है। इसमें डिजिटल तकनीक अपनाने के साथ-साथ स्वस्थ जीवन शैली और खान-पान की आदतों सहित स्वास्थ्य शामिल रहता है। व्युत्क्रमण वे आदतें हैं जिनकी इस महामारी में कमी आने के बाद दोबारा वापसी हो सकती है जैसे घर से बाहर भोजन करना, जबकि अपूर्वानुमेय घटक व्यवहार का वह समूह होता है जो किसी के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुका हो जैसे स्वच्छता की आदतें और खुद से काम करने का कौशल।
फिलिप्स (भारतीय उपमहाद्वीप) के उपाध्यक्ष (व्यक्तिगत स्वास्थ्य) गुलबहार तौरानी भी इस बात की तस्दीक करते हैं। इन्होंने पिछले कुछ महीनों के दौरान सजने-संवरने वाले उत्पादों और रसाईघर के उपकरणों वाले खंड की शृंखला पेश की है। वह कहते हैं कि इस मुश्किल वक्त में उभोक्ताओं को घर पर खुद ही सौंदर्य और त्वचा संबंधी देखभाल करने के लिए तेजी से उत्पाद पेश किए जा रहे हैं। हम व्यक्तिगत स्वच्छता को लेकर बढ़ती जागरूकता से प्रेरित इन सभी उत्पादों की मांग में लगातार इजाफा देख रहे हैं। इसके अलावा घर में खाना पकाने में भी इजाफा हुआ है जिससे रसोईघर के उपकरणों का उपयोग इतना बढ़ गया है, जितना पहले कभी नहीं बढ़ा था।
टाइटन आईप्लस ने जोरदार ढंग से अपने ऐंटी-फॉगिंग चश्मे का विज्ञापन किया है। महामारी शुरू होने से पहले इसकी शायद ही जरूरत थी। टाइटन के इस अनुभाग के मुख्य कार्याधिकारी सौमेन भौमिक कहते हैं कि जब तक आपको मास्क और चश्मा पहनना है, तब तक एंटी-फॉग लेंस साफ तौर पर जरूरी है।
गोदरेज अप्लायंसेज के कारोबार प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष कमल नंदी कहते हैं कि पराबैगनी सैनिटाइजिंग बॉक्स भी इस महामारी की वजह से महसूस की गई जरूरत का नतीजा थे। उन्होंने कहा कि घर में जो कुछ भी लाया जाता है, उसे स्वच्छ करने की जरूरत महामारी हमसे दूर जाने के बाद भी बनी रहेगी। हाथ धोने की तरह, जो अब लोगों की आदतों में शामिल हो चुका है, यह आदत (सब कुछ स्वच्छ करने की) बनी रहेगी। यही वजह है कि हमने 30-लीटर वाला एक घनाकार बॉक्स पेश किया है जो घर के अधिकांश उत्पादों को साफ कर सकता है। साफ है कि उपभोक्ता वस्तुओं वाली कंपनियों के पास विकास के नए मार्ग उपलब्ध हैं।
