दिल्ली सरकार ने राजधानी में मकानों के निर्माण और ढहाए जाने की प्रक्रिया पर लगे प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने के लिए रविवार को 586 टीमों का गठन किया। सरकार ने यह फैसला वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा ग्रेडेड रिस्पॉन्स ऐक्शन प्लान (ग्रैप) का तीसरा चरण लागू करने के बाद किया।
आयोग का यह फैसला तब आया जब राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को सुबह 12:10 बजे समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर स्तर को छूते हुए 400 पहुंच गया।
हालांकि, रविवार को शहर को कुछ राहत मिली और समग्र एक्यूआई घटकर 349 पर आ गया। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कुछ समय के लिए ही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कम तापमान और धीमी हवाओं में वृद्धि, और पंजाब में पराली जलाने के मामलों में वृद्धि से शहर में प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ जाएगा।
सरकार ने निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत निगरानी व्यवस्था तैयार की है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने 586 टीमों का गठन किया है जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारी शामिल हैं।
शून्य से 50 तक की एक्यूआई का स्तर अच्छा माना जाता है, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 सामान्य, 201 से 300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब और 401 से 500 गंभीर और 500 से ऊपर का स्तर आपातकालीन श्रेणी में आता है।
वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी ऐंड वेदर फोरकास्टिंग ऐंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, आने वाले दिनों में पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से उत्तर पश्चिमी हवाओं के साथ एक्यूआई गंभीर हो जाएगा और पराली जलाने का धुआं दिल्ली की तरफ आएगा।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के पूर्वानुमान के अनुसार, वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती रहेगी और सोमवार से यह गंभीर स्तर पर ही बनी रहेगी। इसके आगे के छह दिनों तक भी इसके गंभीर या बहुत खराब श्रेणी में बने रहने की संभावना है।
आईएमडी के कहा कि शांत हवाएं रात में चली। इसमें अनुमान जताया है कि है कि दिन के दौरान मध्यम हवा की गति 8 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहेगी। ठंड की स्थिति में कम मिश्रण ऊंचाई के कारण प्रदूषक जमीन के करीब फंस जाते हैं ।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, पीएम2.5 के नाम से जाने जाने वाले फेफड़े को नुकसान पहुंचाने वाले सूक्ष्म कणों की सांद्रता सुबह 10 बजे 400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर थी। यह कई क्षेत्रों के 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की सुरक्षित सीमा से लगभग सात गुना अधिक थी।
सीएक्यूएम ने एनसीआर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को भी जीआरएपी के तहत कड़े कदम उठाने का आदेश दिया है।
ग्रैप के तीसरे चरण के तहत, सभी उद्योग, ईंट- भट्ठे और हॉट मिक्स प्लांट, जो सरकार की एनसीआर क्षेत्र के लिए बनाई गई स्टैंडर्ड सूची में शामिल ईंधनों द्वारा संचालित नहीं किए जा रहे हैं, बंद रहेंगे।
एनसीआर में स्टोन क्रशर, खनन और इससे जुड़ी गतिविधियां बंद रहेंगी। एनसीआर में राज्य सरकारें और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली सरकार भारत स्टेज 3 (बीएस 3) पेट्रोल और बीएस 4 डीजल वाले हल्के मोटर वाहन (4-पहिया) पर प्रतिबंध लगा सकती है।
मॉनसून में देरी के कारण इस सीजन में पराली जलाने में थोड़ा देरी हुई थी। लेकिन दीवाली के बाद से फसल जलने में तेजी आई है और आने वाले दिनों में इसके बढ़ने की उम्मीद है।
उत्तरी राज्यों में पराली जलाने के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में 19 फीसदी की वृद्धि हुई है। 15 सितंबर से 29 अक्टूबर तक छह राज्यों में पराली जलाने के कुल 15,461 मामले सामने आए हैं।
राज्यवार आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 12,112, हरियाणा में 1,813, उत्तर प्रदेश में 705, दिल्ली में 5, राजस्थान में 227 और मध्य प्रदेश में 599 मामले सामने आए। पिछले वर्ष की तुलना में पंजाब में पराली जलाने के बाद के बचे अवशेष को जलाने में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
