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भारत में कोविड-19 टीके की 2 अरब खुराक लगीं

Last Updated- December 11, 2022 | 5:31 PM IST

भारत की 1.39 अरब की आबादी को 2 अरब कोविड-19 टीके की खुराक देने में 548 दिन लगे। रविवार को टीके ने 2 अरब के अहम स्तर को छू लिया और इतने टीके लगाने वाला दुनिया का एकमात्र देश भारत है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया, ‘17 जुलाई 2022, हमेशा याद रखने वाला दिन बन गया।’
दुनिया की दूसरी सबसे अधिक आबादी वाले देश ने 16 जनवरी, 2021 को अपना टीकाकरण अभियान शुरू किया जिसके बाद  202 दिनों में पहली 50 करोड़ खुराक दे दी गई थी। टीके की दूसरी और तीसरी 50 करोड़ खुराक क्रमशः 76 और 79 दिनों में दी गई क्योंकि उन्हीं दिनों भारत डेल्टा और ओमीक्रोन स्वरूप के चलते महामारी की दूसरी और तीसरी लहर से जूझ रहा था। 1.5 अरब से 2 अरब खुराक तक की यात्रा धीमी रही क्योंकि भारत 191 दिनों में ही इस स्तर को छूने की ओर बढ़ रहा था।
भारत की 15 साल से अधिक उम्र की दो-तिहाई से अधिक आबादी को टीके की दोनों खुराक लग चुकी है। अगला महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य सभी को एहतियाती बूस्टर खुराक या तीसरी खुराक देनी है।
भारत को 100 प्रतिशत बूस्टर खुराक कवरेज हासिल करने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी होगी। भारत की पात्र आबादी के केवल 3.9 प्रतिशत को ही बूस्टर खुराक मिली है जबकि सिंगापुर में 77.6 प्रतिशत और अमेरिका में 37.7 प्रतिशत लोगों को बूस्टर खुराद दी जा चुकी है।
बूस्टर खुराक देने के पहले ही दिन भारत में सभी वयस्कों को 20 लाख खुराक दी गई जिनमें से 14.9 लाख बूस्टर खुराक थी और इससे पिछले दिन की तुलना में 95 प्रतिशत अधिक टीके दिए गए थे। त्योहारों के मौसम से पहले 18-59 वर्ष के उम्र वर्ग के लोगों में बूस्टर खुराक लेने के लिए उत्साह दिख रहा है।
इस कदम के जरिये टीके की इन्वेंट्री को भी खपाने की कोशिश की जा रही है जिनके इस्तेमाल की समयसीमा खत्म हो सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित रूप से बूस्टिंग व्यावहारिक नहीं है
शाहिद जमील, ग्रीन टेम्पलटन कॉलेज, ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शोध फेलो ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि 2 अरब खुराक एक बड़ी उपलब्धि है लेकिन यह हमारी बड़ी आबादी के प्रतिशत कवरेज को सीमित करती है।
जमील ने कहा, ‘यह सिर्फ एक संख्या है और इससे कोई रणनीति बदलती नहीं दिखती है। भारत को दूसरी खुराक और बूस्टर खुराक कवरेज बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इसके अलावा निरंतर निगरानी विशेष रूप से सीवेज के पानी की, जीनोमिक अनुक्रमण, नए स्वरूप के बारे में जानना महत्त्वपूर्ण है।
 जमील ने कहा, ‘अस्पताल में भर्ती होने की दर और वहां की क्षमता पर नजर रखने की जरूरत है। साथ ही यह भी स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, ऐसे में स्वेच्छा से दवाई से इतर और परहेज जारी रखा जाना चाहिए। नियमित बूस्टिंग भविष्य में न तो संभव है और न ही व्यावहारिक है। 
किसी गंभीर संक्रमण की स्थिति के लिए दवा की आवश्यकता होती है। पैक्सलोविड कुछ उपयोगी दिखता है, हालांकि यह इतना भी नहीं है जितना कि यह शुरू में बताया गया था। आवश्यकता यह है कि अन्य संभावित दवाओं का क्लिनिकल परीक्षण किया जाए।’
विशेषज्ञ भी यह भी सुझाव देते हैं कि यह होमोलोगस बूस्टिंग छोड़ने का वक्त है जिसमें तीसरी खुराक भी पहली-दूसरी खुराक वाले टीके के समान ही हो। जमील ने कहा, ‘होमोलोगस बूस्टिंग टीके के लिए सबसे अच्छा इस्तेमाल नहीं है और इसके लिए वैश्विक स्तर के उदाहरण भी देखे जा सकते हैं कि कैसे होमोलोगस बूस्टिंग से दूरी बनाई गई।’
वेलूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और सूक्ष्मजीव विज्ञानी गगनदीप कांग भी इस पर सहमति जताती हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें बुजुर्गों और अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए बूस्टर खुराक की आवश्यकता है, लेकिन कौन सा बूस्टर इस्तेमाल किया जाना चाहिए और कब, यह स्पष्ट नहीं है। एमआरएनए के अलावा किसी भी अन्य टीके के लिए उपलब्ध डेटा के आधार पर होमोलोगस बूस्टिंग का कोई मतलब नहीं है। यहां तक कि एमआरएनए टीके के लिए भी हमें यह आकलन करना चाहिए कि क्या अन्य टीकों के साथ और विभिन्न अंतरालों टीके दिए जाने से लंबे समय तक और व्यापक सुरक्षा मिलती है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि यह वक्त अन्य संचारी रोगों पर ध्यान केंद्रित करने का समय है। केरल में मंजेरी के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसन के एसोसिएट प्रोफेसर अनीश टी एस ने कहा, ‘हमें अपना ध्यान कोविड-19 से इतर भी अन्य ज्वलंत स्वास्थ्य मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। बूस्टर खुराक के लिए बुजुर्गों और अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए टीकाकरण जारी रखा जा सकता है। कोविड के लिए महामारी विज्ञान और विषाणु संबंधी घटनाक्रम की भी निगरानी जारी रखी जानी चाहिए। लेकिन पूरी प्रणाली को इस पर भी ध्यान देना चाहिए कि ‘महामारी से क्या सीखा’ गया।’
प्रोफेसर ने कहा कि स्वास्थ्य प्रणाली को नई संक्रामक बीमारियों, पुरानी बीमारियों और कोविड के चलते अन्य बीमारियों से बचाव के लिए तैयार किया जाना चाहिए।

First Published - July 18, 2022 | 1:02 AM IST

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