विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की कोविड-19 से होने वाली मौतों पर जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस महामारी की वजह से तकरीबन 47 लाख लोगों को (प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से) अपनी जान गंवानी पड़ी है। यह भारत सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों से करीब 10 गुना ज्यादा संख्या है। सरकार ने डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों को बेबुनियाद बताया है।
भारत में आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 1 जनवरी, 2020 से 31 दिसंबर, 2021 के बीच कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 4,81,486 है। ऐसे में डब्ल्यूएचओ का अनुमान आधिकारिक अनुमान से कारीब 10 गुना अधिक है और इससे संकेत मिलता है कि दुनिया में इस महामारी की वजह से हुई मौतों में भारत की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई है।
डब्ल्यूएचओ की रिपार्ट के अनुसार 2020 से 2021 के दौरान कोविड-19 से 47,40,894 मौतें हुई हैं। इसमें कहा गया है कि दुनिया भर में 1 जनवरी, 2020 से 31 दिसंबर, 2021 के बीच कोविड महामारी से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी मौतें करीब 1.49 करोड़ रहीं। ज्यादा मौतों में कोविड-19 से होने वाली मौतें या स्वास्थ्य तंत्र और समाज पर इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव के कारण हुई मौतों को शामिल किया गया है। इसकी गणना मौतों की संख्या और कोविड से पहले के वर्षों में महामारी के बिना हुई मौतों की संख्या के अंतर के आधार पर की गई है।
डब्ल्यूएचओ ने इन आंकड़ों की गणना का तरीका भी बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में हमने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर पर मौतों की संख्या दर्ज करने के लिए विभिन्न स्रोतों का उपयोग किया है। इसमें राज्यों द्वारा आधिकारिक रिपोर्ट और सूचना के अधिकार के तहत पत्रकारों द्वारा जुटाए गए मौत के आंकड़ों से मिली जानकारियों को भी शामिल किया गया है।’
मगर भारत सरकार को इस तरीके पर एतराज है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा है कि भारत मौत के अनुमानित आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा उपयोग की गई विधि का पुरजोर विरोध करता है। मंत्रालय ने कहा कि भारत द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं पर समुचित ध्यान दिए बिना अत्यधिक मौत के अनुमानित आंकड़े जारी किए हैं।
भारत ने इस हफ्ते की शुरुआत में भारत के महापंजीयक (आरजीआई) द्वारा जन्म और मृत्यु पर सिविल पंजीकरण प्रणाली जारी की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूएचओ को सूचित किया था कि आरजीआई द्वारा सीआरएस के जरिये प्रकाशित वास्तविक आंकड़ों के मद्देनजर भारत में मौत के आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए गणितीय विधि का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
भारत ने कहा कि देश में जन्म और मृत्यु की पंजीकरण व्यवस्था काफी उन्नत है और दशकों से सांविधिक कानूनी दायरे में इसका संचालन किया जा रहा है। भारत ने कहा, ‘आरजीआई द्वारा 3 मई, 2022 को प्रकाशित सीआरएस डेटा 2020 से स्पष्ट तौर पर पता चलॄा है कि विभिन्न पद्घतियों से भारत में कोविड-19 से हुई मौतों के अनुमान को लेकर जो आंकड़े बताए जा रहे है, वे वास्तविकता से काफी अलग हंै।’ डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रोस ऐडरेनॉम गैबरेयेसस ने कहा, ‘यह आंकड़ा न केवल महामारी के प्रभाव को दर्शाता है बल्कि सभी देशों में उन्नत स्वास्थ्य ढांचे पर ज्यादा निवेश की जरूरत भी बताता है ताकि संकट के दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें।’