भारत सरकार शुक्रवार को विकासशील देशों का दूसरा शिखर सम्मेलन (वॉयस आफ ग्लोबल साउथ समिट) शुक्रवार को कराने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा है कि शिखर सम्मेलन में भारत वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ भारत की अध्यक्षता के दौरान विभिन्न जी20 बैठकों में हासिल किए गए प्रमुख परिणामों को साझा करेगा।
वैश्विक बदलावों से आई चुनौतियों पर भी चर्चा होने की संभावना है। संवाददाताओं से गुरुवार को बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि इसमें शामिल होने वाले देश किसी भी मसले पर अपनी राय रखने को स्वतंत्र होंगे, जो उन्हें महत्त्वपूर्ण लगता है और उन्हें उनकी चिंता साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
वैश्विक दक्षिण में वे देश शामिल हैं, जहां आर्थिक और औद्योगिक विकास तुलनात्मक रूप से कम हुआ है और ये ज्यादा औद्योगिक देशों के सुदूर दक्षिण में स्थित हैं। भारत ने 12-13 जनवरी 2023 को पहला वॉयस आफ ग्लोबल साउथ समिट का आयोजन किया था। यह भी वर्चुअल प्रारूप में था। इस पहल का मकसद वैश्विक दक्षिण के 125 देशों को एक साथ लाना था, जिससे वे अपने पहलुओं और प्राथमिकताओं को साझा प्लेटफॉर्म पर रख सकें।
उसके बाद भारत ने उसे संकलित कर अपनी अध्यक्षता वाले जी-20 सम्मेलन के एजेंडे में शामिल किया था। अफ्रीकी देशों ने जी-20 में प्रतिनिधित्व की मांग की थी, जो प्रमुख सिफारिशों में से एक है। इसे हासिल कर लिया गया और अफ्रीकन यूनियन नई दिल्ली सम्मेलन के दौरान इस संगठन का 21वां सदस्य बना।
अफ्रीकी देशों के साथ एशिया प्रशांत देशों ने इसकी प्रशंसा की। सरकार को उम्मीद है कि वैश्विक दक्षिण के साथ लगातार बातचीत जारी रखने के बेहतर परिणाम होंगे और इन देशों के साथ नजदीकी संबंध स्थापित हो सकेगा और प्रभावी तरीके से बाजार खुलने के साथ रणनीतिक साझेदारी बन सकेगी और चीन को दूर रखा जा सकेगा।