अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद डॉनल्ड ट्रंप ने एक संरक्षणवादी व्यापार नीति ‘अमेरिका फर्स्ट ट्रेड पॉलिसी’ की शुरुआत की है। ट्रंप ने नई व्यापार नीति के तहत ‘अनुचित एवं असंतुलित व्यापार’ से निपटने के लिए वैश्विक पूरक शुल्क लगाने की बात कही है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ब्रिक्स देश वैश्विक व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भरता को कम करने की कोशिश करेंगे तो ब्रिक्स देशों पर सौ फीसदी शुल्क लगा दिया जाएगा। इन देशों में भारत भी शामिल है।
ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान कहा था कि किसी भी देश से अमेरिकी बाजार में आने वाली वस्तुओं पर करीब 10 फीसदी का शुल्क लगा दिया जाएगा। सोमवार को जारी एक ज्ञापन में मौजूदा व्यापार समझौतों की समीक्षा करने और व्यापार भागीदारों द्वारा मुद्रा के जरिये फायदा उठाए जाने से निपटने के लिए उपाय किए जाने की बात कही गई है। शुल्क एवं अन्य विदेशी राजस्व एकत्रित करने के लिए एक विदेश राजस्व सेवा भी स्थापित की जा रही है।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘वित्त मंत्री और व्यापार प्रतिनिधि से विचार-विमर्श के साथ वाणिज्य मंत्री लगातार बढ़ रहे वस्तु व्यापार घाटे की जांच करेंगे।’ ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि वस्तु व्यापार घाटे में निहित आर्थिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थों और जोखिमों पर भी गौर करेंगे। उसके बाद ऐसे घाटे से निपटने के लिए वैश्विक पूरक शुल्क अथवा अन्य नीतिगत उपायों की सिफारिश करेंगे।’
फिलहाल ट्रंप ने केवल मैक्सिको और कनाडा पर ही उच्च शुल्क लगाने का इरादा जाहिर किया है। उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि अमेरिका 1 फरवरी से अपने दोनों पड़ोसी देशों से आयात पर 25 फीसदी शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है। हालांकि अब तक भारत को निशाना नहीं बनाया गया है, लेकिन नई दिल्ली अमेरिका की नीतिगत घोषणाओं और उपायों पर बारीकी से नजर रख रही है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अक्सर भारत के द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष की ओर इशारा किया था। उन्होंने भारत को टैरिफ किंग तक करार दे दिया था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल 30 जनवरी को उद्योग और निर्यातकों के साथ बैठक कर सकते हैं। बैठक में अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले संभावित शुल्क और उसके कारण पैदा होने वाले व्यवधान से निपटने के लिए तैयारी के बारे में चर्चा की जाएगी।
एसबीआई रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका चीन पर शुल्क लगाएगा। जहां तक भारत का सवाल है तो पिछले अनुभव से पता चलता है कि भारत ने अपने निर्यात बाजार और मूल्यवर्धित निर्यात को व्यापक बना दिया है। इसलिए अगर सीमित तरीके से भी शुल्क लगाया गया तो कुछ समय के लिए भारत पर उसका असर दिख सकता है, लेकिन लंबी अवधि में उसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।’
निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा कि यह देखना अभी बाकी है कि अमेरिका राजस्व जुटाने और अधिक संरक्षण के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने की पहल कब करता है।सहाय ने कहा, ‘अगर ऐसा होता है तो वह सबसे पसंदीदा देश के सिद्धांत पर आधारित होगा। इसका मतलब साफ है कि हर देश पर समान शुल्क लगाया जाएगा। इसलिए यह कोई खास मुद्दा नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका विशेष रूप से भारत पर निशाना साधेगा या नहीं।
ट्रंप ने चीन के खिलाफ उच्च शुल्क लगाने की घोषणा नहीं की है। मगर करीब एक महीना पहले उन्होंने 10 फीसदी शुल्क बढ़ाने की बात कही थी। ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार चीन के साथ आर्थिक एवं व्यापार समझौते की भी समीक्षा करेगी और उसके निष्कर्षों के आधार पर शुल्क अथवा अन्य उपाय किए जाएंगे।
पूर्व व्यापार अधिकारी और दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अतीत में किए गए शुल्क संबंधी उपायों के बावजूद अमेरिका चीन के साथ व्यापार युद्ध (2017-23) हार गया क्योंकि आयात मैक्सिको और वियतनाम जैसे शुल्क मुक्त चैनलों के जरिये होने लगा था।