एशिया प्रशांत की पंद्रह अर्थव्यवस्थाओं ने आज दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समूह का गठन किया। चीन समर्थित इस समझौते से अमेरिका को बाहर रखा गया है। अमेरिका राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की अगुआई में एशिया प्रशांत के विरोधी समूह से भी बाहर आ चुका है।
विश्व के सबसे इस बड़े व्यापारिक गुट के गठन पर चीन और 14 अन्य देशों ने सहमति जताई है, जिसके दायरे में करीब एक-तिहाई आर्थिक गतिविधियां आएंगी। एशिया में कई देशों को उम्मीद है कि इस समझौते से कोरोना वायरस महामारी की मार से तेजी से उबरने में मदद मिलेगी। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) पर 10 देशों के दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के इतर आज वर्चुअल तरीके से हस्ताक्षर किए गए।
मेजबान देश वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुक ने कहा, ‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद हम आधिकारिक तौर पर आरसेप वार्ताओं को हस्ताक्षर तक लेकर आ पाए हैं।’ फुक ने कहा, ‘आरसेप वार्ताओं के पूरा होने के बाद इस बारे में मजबूत संदेश जाएगा कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को समर्थन देने में आसियान की प्रमुख भूमिका रहेगी। यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है। इससे क्षेत्र में एक नया व्यापार ढांचा बनेगा, व्यापार सुगम हो सकेगा और कोविड-19 से प्रभावित आपूर्ति शृंखला को फिर से खड़ा किया जा सकेगा।’
इस करार से सदस्य देशों के बीच व्यापार पर शुल्क और नीचे आएगा। यह पहले ही काफी निचले स्तर पर है। इस समझौते में आसियान के 10 देशों के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। अमेरिका इस समझौते में शामिल नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते में भारत के फिर से शामिल होने की संभावनाओं को खुला रखा गया है।
समझौते के तहत अपने बाजार को खोलने की अनिवार्यता के कारण घरेलू स्तर पर विरोध की वजह से भारत इससे बाहर निकल गया था। जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा कि उनकी सरकार समझौते में भविष्य में भारत की वापसी की संभावना समेत स्वतंत्र एवं निष्पक्ष आर्थिक क्षेत्र के विस्तार को समर्थन देती है और उन्हें इसमें अन्य देशों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है।
मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं उद्योग मंत्री मोहम्मद आजमीन अली ने कहा, ‘यह समझौता संकेत देता है कि आरसेप देशों ने इस मुश्किल समय में संरक्षणवादी कदम उठाने के बजाय अपने बाजारों को खोलने’ का फैसला किया है।
समझौते में भारत के लिये दरवाजे खुले रहेंगे
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) के मंत्रियों के एक घोषणा पत्र में कहा गया है कि भारत इस समूह में शामिल होने को लेकर लिखित अनुरोध करता है, तो इस पर हस्ताक्षर करने वाले देश उसकी भागीदारी पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
गौरतलब है कि आरसेप की बातचीत में भारत के हित के कुछ मुद्दों का हल नहीं निकल सका था। इसके कारण भारत ने खुद को इस समझौते की बातचीत से पिछले साल चार नवंबर को अलग कर लिया था। शेष बचे 15 देशों ने आरसेप समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इन देशों ने कहा है कि समझौते में भारत के लिये दरवाजे खुले रहेंगे। अब जिन देशों ने आरसेप समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, उनमें आसियान देशों (इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया) तथा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
आरसेप में भारत की भागीदारी के बारे में मंत्रियों की घोषणा के अनुसार, ‘भारत यदि आरसेप समझौते को स्वीकार करने के अपने इरादे का लिखित रूप में एक अनुरोध प्रस्तुत करता है, तो उसकी नवीनतम स्थिति तथा इसके बाद होने वाले किसी बदलाव को ध्यान में रखते हुए समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देश बातचीत शुरू कर सकते हैं।’ भाषा