अमेरिका में बैंकिंग नियामकों ने शुक्रवार को सिलिकन वैली बैंक (SVB) को बंद कर दिया। इससे टेक और बैंकिंग उद्योगों में चिंता पैदा हो गई है। यह बैंक बड़ी तादाद में स्टार्टअप कंपनियों, उद्यम पूंजीपतियों (वीसी) और प्रौद्योगिकी कंपनियों की जरूरतें पूरी करता था, और बंद होने से पहले तक अमेरिका में 16वां सबसे बड़ा बैंक था।
सिल्वरगेट के बंद होने के बाद SVB दूसरा बैंक है। इसके बाद रविवार को अमेरिकी बैंकिंग नियामकों ने इस सप्ताह तीसरे बैंक ‘सिग्नेचर बैंक’ के दरवाजे भी बंद कर दिए।
ध्यान देने की बात यह है कि 2008 की मंदी के बाद अमेरिका के इतिहास में यह दूसरा सबसे बड़ा बैंकिंग संकट है। इससे पहले सितंबर 2008 में वाशिंगटन म्युचुअल बैंक पर ताला लगा था। उसकी परिसंपत्तियां 307 अरब डॉलर और जमाएं 188 अरब डॉलर थीं। बंद होने से पहले तक SVB की परिसंपत्तियां 209 अरब डॉलर और जमाएं 175 अरब डॉलर थीं।
क्या है सिलिकन वैली बैंक?
वर्ष 1983 में कैलिफोर्निया के सैंटा क्लारा में शुरू हुआ SVB टेक इंडस्ट्री के सबसे बड़े समर्थकों में शुमार था। 2021 तक, बैंक से करीब 50 प्रतिशत अमेरिकी उद्यम-समर्थित स्टार्टअप जुड़े हुए थे। टेक कंपनियों के अलावा, उसने वीओएक्स मीडिया जैसी मीडिया कंपनियों को भी सेवा मुहैया कराई।
बैंक में कई क्रिप्टोकरेंसी कंपनियों की भी रकम जमा थी। सर्किल ने कहा है कि SVB के पास उसकी 3.3 अरब डॉलर की रकम जमा थी। अब दिवालिया हो चुके क्रिप्टो ऋणदाता ब्लॉकफाई की भी SVB में 22.7 करोड़ डॉलर की रकम फंसी हुई है।
क्यों बंद हुआ SVB?
बैंक की कार्य प्रणाली को समझने के लिए SVB में हुई गलतियों को जानना जरूरी है। मूल रूप से यह बैंक अपने ग्राहकों से जमाएं स्वीकार करता है और फिर इस राशि का इस्तेमाल अन्य ग्राहकों को कर्ज देने में करता है और शेष रकम निवेश करता है।
अब अन्य बैंकों की तरह, SVB भी बॉन्ड जैसे सुरक्षित विकल्पों में निवेश करता है। 2008 की मंदी के बाद, अमेरिका में ब्याज दरें काफी नीचे आ गई थीं। इससे सस्ते ऋण सुनिश्चित हुए और वीसी द्वारा स्टार्टअप में ज्यादा निवेश किया गया। इससे SVB जैसे बैंकों को फायदा हुआ, क्योंकि इन स्टार्टअप का अपनी जमाओं को लेकर उनके साथ भरोसा बढ़ा।
लेकिन अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से बॉन्डों पर प्रतिफल घटता गया। ऊंची ब्याज दरों की वजह से स्टार्टअप फंडिंग में कमजोरी को बढ़ावा मिला। इससे SVB में जमाओं की रफ्तार भी कम हुई।
8 मार्च को बैंक ने कहा कि उसने तरलता सुनिश्चित करने के लिए 1.8 अरब डॉलर के नुकसान पर 21 अरब डॉलर की प्रतिभूतियां बेची हैं। वह 2.2 अरब डॉलर मूल्य के शेयर बेचने की भी योजना बना रहा है। इससे SVB के शेयरधारकों में चिंता बढ़ गई। शुक्रवार को बैंक के शेयर का कारोबार बंद कर दिया गया। नियामकों ने सक्रियता बढ़ाते हुए इस बैंक को बंद कर दिया।
क्या ग्राहकों को वापस मिलेगा पैसा?
FDIC ने 2,50,000 डॉलर तक की जमाओं का बीमा किया है। इसलिए 2,50,000 डॉलर से कम जमाओं वाले ग्राहकों को पैसा वापस मिल जाएगा। अन्य को कुछ भुगतान हासिल होने की संभावना रहेगी।
रविवार को जो बाइडन प्रशासन ने घोषणा की कि करदाताओं को SVB में समाधान प्रक्रिया की वजह से किसी तरह के नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा। एक संयुक्त बयान में FDIC, अमेरिकी फेड और ट्रेजरी विभाग ने कहा है कि अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है।
स्टार्टअप को पहुंचेगा नुकसान?
स्टार्टअप क्षेत्र को कम से कम अगले कुछ सप्ताहों तक कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। रविवार को अमेरिकी सरकार को वाई कॉम्बिनेटर द्वारा सौंपी गई याचिका के अनुसार, SVB में करीब 10,000 छोटे व्यवसायियों की जमाएं थीं और वे इस संकट की वजह से अगले 30 दिन में पेरोल भुगतान में सक्षम नहीं हो पाएंगे। इस संकट की वजह से करीब 1,00,000 नौकरियां प्रभावित होने का अनुमान है।
भारत में कई वीसी कंपनियां और स्टार्टअप इस संकट से प्रभावित अन्य स्टार्टअप की मदद के लिए आगे आए हैं। वैकल्पिक फंडिंग प्लेटफॉर्म रेक्यूर क्लब ने कहा है कि वह इस संकट से प्रभावित सभी भारतीय संस्थापकों को 1.5 करोड़ डॉलर की राशि आवंटित कर रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मामलों के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट के जरिये कहा है कि वह इस सप्ताह स्टार्टअप प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करेंगे।
क्या SVB संकट से प्रभावित होंगे भारतीय बैंक?
रिपोर्टों के अनुसार, वित्त मंत्रालय और विश्लेषकों ने कहा है कि इस संकट का असर भारत की वित्तीय व्यवस्था पर नहीं पड़ेगा। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम घरेलू तौर पर इस संकट के वृहद आर्थिक प्रभाव को लेकर चिंतित नहीं हैं।’