डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के “अमेरिका फर्स्ट” अभियान के संभावित प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन यह उनके पहले कार्यकाल और वर्तमान जो बाइडन (Joe Biden) प्रशासन के दौरान भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक जुड़ाव का आकलन करने का समय है।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) सालाना 2.5-3 प्रतिशत की दर से बढ़ा। हालांकि, उनके कार्यकाल का अंतिम वर्ष कोविड-19 महामारी से प्रभावित रहा। बाइडन के कार्यकाल में भी स्थिति बहुत अलग नहीं रही, जहां अर्थव्यवस्था सालाना 2.5-2.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी। (देखें-चार्ट 1)
व्यापार के लिहाज से, भारत को विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ अधिशेष का लाभ मिलता रहा है। (देखें-चार्ट 2)
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में तेजी से गिरावट आई, जो अक्सर अमेरिका की हाई ग्रोथ रेट के साथ संबंध दर्शाता है। ट्रंप के कार्यकाल में यह 13.8 प्रतिशत और बाइडन प्रशासन के दौरान (अक्टूबर अंत तक) 12.9 प्रतिशत तक कमजोर हुआ। (देखें-चार्ट 3)
ट्रंप प्रशासन के दौरान, FY21 में भारत में अमेरिकी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) फ्लो में तेजी आई, जिससे अमेरिका कुल FDI इक्विटी में दूसरे सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में उभरा, जबकि पिछले वर्षों में यह चौथे स्थान पर था। बाइडन प्रशासन में यह स्थान पहले तीसरे और फिर FY25 की पहली तिमाही में चौथे स्थान पर खिसक गया। (देखें-चार्ट 4)
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की देखरेख में संपत्तियों के मामले में अमेरिका ने दोनों प्रशासन के दौरान अपनी शीर्ष स्थिति बनाए रखी। (देखें-चार्ट 5)
ट्रंप और बाइडन दोनों प्रशासनों के दौरान भारत ने अपने नागरिकों को जारी किए गए H-1B वीजा की संख्या के मामले में नंबर वन स्थान बनाए रखा है। (देखें-चार्ट 6)