यूक्रेन संकट, अंतरराष्ट्रीय मालभाड़े में बढ़ोतरी और कच्चे तेल के दाम आगे और बढऩे की संभावनाओं को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्यातकों के भविष्य को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत का उद्योग युद्ध प्रभावित इलाके में फंसा है और उसे इस संकट से उबरने का समाधान लेकर सामने आने की जरूरत है।
बजट के बाद आयोजित एक चर्चा में उद्योग जगत को संबोधित करते हुए सीतारमण मे कहा, ‘हमारे निर्यातकों के साथ क्या होने जा रहा है, इसे लेकर मैं बहुत चिंतित हूं, जो अभी बहुत बेहतर कर रहा है।’ उन्होंने सूरजमुखी और उर्वरकों जैसे आवश्यक जिंसों को लेकर भी चिंता जताई है, जिसके मामले में देश अभी अन्य देशों पर निर्भर है।
उर्वरक के बाजार और जिंसों के दाम में बहुत तेजी आने की संभावना है। पिछले साल के दौरान रूस ने भारत को यूरिया, एनपीके, अमोनिया, यूएएन और अमोनियम नाइट्रेट का सबसे ज्यादा निर्यात किया था।
कुल वैश्विक गेहूं निर्यात में उसकी हिस्सेदारी करीब 34 प्रतिशत है। तिलहन के मामले में देखें तो रूस और यूक्रेन की कुल सूरजमुखी निर्यात में हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है और विश्व की मक्के की आपूर्ति में इसकी हिस्सेदारी 19 प्रतिशत है। भारत के हिसाब से देखें तो खाद्य तेल उद्योग चिंतित है। इस बात की चिंता है कि कीमतों में बढ़ोतरी होगी क्योंकि भारत के कुल सूरजमुखी तेल के आयात का 90 प्रतिशत यूक्रेन व रूस से आता है।
सीतारमण ने ट्रैक्टर्स ऐंड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड की चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक मल्लिका श्रीनिवासन की ओर से पूछे हुए सवाल के जवाब में कहा, ‘यूक्रेन को होने वाले निर्यात व वहां से आने वाले तात्कालिक आयात पर बोझ पडऩे वाला है। हम वहां से आने वाली चीज को लेकर चिंतित हैं।’
वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र पर पडऩे वाले असर को भी लेकर चिंता जताई क्योंकि रूस व यूक्रेन को भारत से उल्लेखनीय निर्यात होता है। भारत का रूस के साथ 2021-22 में द्विपक्षीय व्यापार 11.9 अरब डॉलर का था, जिसमें 3.3 अरब डॉलर का निर्यात और 8.6 अरब डॉलर का आयात है। भारत के आयातों में कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, उर्वरक, सोना और कोयला प्रमुख है। वहीं यूक्रेन के साथ भारत का व्यापार 3.1 अरब डॉलर रहा है, जिसमें 51 करोड़ डॉलर का निर्यात और 2.6 अरब डॉलर का आयात पिछले साल हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय ऐसे निर्यातों को देख रही है, जिसके लिए पहले ही भुगतान किया जा चुका है। सीतारमण ने कहा, ‘इन सभी मसलों पर मैं समग्र रूप से विचार करूंगी। विभिन्न संबंधित मंत्रालयों के माद्यम से मैं संपूर्ण आकलन करूंंगी।’
उन्होंने इस क्षेत्र में काम करने में लगे उद्योग जगत से अनुरोध किया कि वहइसके लिए संभावित समाधान प्रस्तुु करें, जिससे मौजूदा संकट से निपटने के लिए भारत कदम उठा सके।
