facebookmetapixel
Nepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमितभारतीय स्टार्टअप के सपने साकार करने के लिए वेंचर कैपिटल ईकोसिस्टम को बढ़ावा देना आवश्यककरिश्मा कपूर के बच्चे दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे, पिता संजय कपूर की करोड़ों की संपत्ति में मांगा हिस्साSEBI vs Jane Street: सेबी का जेन स्ट्रीट को और डेटा देने से इनकार, अगली सुनवाई 18 नवंबर कोNifty 50 कंपनियों की आय में गिरावट, EPS ग्रोथ रेट 4 साल में सबसे कमRSS ‘स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति तक… सीपी राधाकृष्णन का बेमिसाल रहा है सफरभारत के नए उप राष्ट्रपति चुने गए सीपी राधाकृष्णन, बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के भारी अंतर से हराया

जर्मनी मे मंदी का भारत पर असर होगा कम

Last Updated- May 26, 2023 | 9:33 PM IST
economic recession

जर्मनी में मंदी का भारत के वस्तुओं के निर्यात पर मामूली असर पड़ने की संभावना है। हालांकि 2023-24 में वाणिज्यिक वस्तुओं के कुल निर्यात में मंदी रहने की उम्मीद है।

अगर जर्मनी में आई मंदी का असर यूरो क्षेत्र के अन्य देशों में भी होता तो इसका व्यापक असर होने की संभावना थी। बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्तर पर मंदी के प्रसार की संभावना नहीं है, जिससे EU के GDP में उल्लेखनीय गिरावट आए।

यूरोप की सबसे बड़ी और विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में मंदी आ गई है, जहां 2023 की पहली तिमाही में गिरावट दर्ज हुई है। जर्मनी के संघीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च तिमाही में जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई। 2022 की आखिरी तिमाही में भी जर्मनी के जीडीपी में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लगातार 2 तिमाहियों में जीडीपी का नीचे आना तकनीकी रूप से मंदी माना जाता है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अनुमान लगाया है कि जर्मनी की अर्थव्यवस्था 2023 में 0.1 प्रतिशत तक संकुचित होगी, जिसमें 2022 में 1.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी।

बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘यह (जर्मनी में मंदी) आश्चर्यजनक नहीं है। मुझे नहीं लगात कि यह यूरो क्षेत्र के अन्य देशों में इतनी फैलेगी कि इस क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय गिरावट आए।’

आईएमएफ के वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के मुताबिक यूरो क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि 2023 में घटकर 0.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 3.5 प्रतिशत थी।

भारत से जर्मनी को वस्तुओं का निर्यात भारत द्वारा विदेश भेजे गए कुल माल का 2.2 से 2.8 प्रतिशत रहा है। जर्मनी को होने वाला निर्यात 10.1 अरब डॉलर रहा है, जो 2022-23 में हुए कुल 450.9 अरब डॉलर का 2.2 प्रतिशत है।

भारत से जर्मनी को बॉयलर, मशीनरी और मैकेनिकल उपकरण, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और उपकरण, परमाणु रिएक्टर, साउंड रिकॉर्डर और कार्बनिक रसायन भेजा जाता है।

ऐसे में सिर्फ जर्मनी में मंदी आने से भारत के वाणिज्यिक निर्यात की वृद्धि पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। सबनवीस ने कहा, ‘असर मामूली होगा।’

बहरहाल भारत के कुल निर्यात में यूरो क्षेत्र को होने वाला निर्यात हाल के वर्षों में 14 से 17 प्रतिशत रहा है। 2022-23 में भारत के वस्तुओं के कुल निर्यात का 16.6 प्रतिशत निर्यात यूरो क्षेत्र को हुआ था, जो 74.8 अरब डॉलर था।

इन आंकड़ों पर मंदी का असर दिख सकता है क्योंकि कुल मिलाकर यूरो क्षेत्र की वृद्धि पर असर पड़ने की संभावना है। यूरो क्षेत्र में फिनलैंड वित्त वर्ष 2022 की अंतिम तिमाही में ही मंदी में आ गया था, जो 2023 की पहली तिमाही में मंदी से उबर गया है।

2022 के अंत में संकुचित होने के बाद स्वीडन की अर्थव्यवस्था ने 2023 की पहली तिमाही में वापसी की है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का अभी भी मानना है कि इस साल थोड़ी मंदी रहेगी क्योंकि महंगाई दर और ज्यादा दर के कारण व्यय और निवेश में कमी आएगी।

यूरोप की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में फ्रांस की अर्थव्यवस्था 2023 की पहली तिमाही में थोड़ी बढ़ी है, भले ही सरकार के पेंशन सुधार बिल के कारण कई हड़तालें हुईं। 2022 की अंतिम तिमाही में स्थिति पूर्ववत रहने के बाद फ्रांस की अर्थव्यवस्था 2023 की पहली तिमाही में 0.2 प्रतिशत बढ़ी है।

ICRA में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि यूरो क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि असमान रह सकती है, जो 2 साल से सुस्त है। उन्होंने कहा, ‘इससे भारत के निर्यात, खासकर ज्यादा मूल्य वर्धित सामान के निर्यात में संकुचन आएगा।’

अगर यूरोप की बात करें तो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था उस समय मामूली अंतर से उबर गई थी, जब 2022 की चौथी तिमाही में वृद्धि दर 0.1 प्रतिशत बढ़ी, जबकि तीसरी तिमाही में 0.1 प्रतिशत संकुचित हुई थी। उसके बाद 2023 की पहली तिमाही में भी 0.1 प्रतिशत का विस्तार हुआ है।

Also read: वित्त वर्ष-24 में 7.5 फीसदी बढ़ेगी स्टील की डिमांड, GDP पर पड़ेगा असर: इंडियन स्टील एसोशिएसन

IMF ने हाल ही में ब्रिटेन के लिए वृद्धि का अनुमान संशोधित किया था और अब कहा है कि वह इस साल मंदी में नहीं रहेगा। 2022-23 में ब्रिटेन को होने वाला निर्यात 11.4 अरब डॉलर था, जो भारत के कुल निर्यात का 2.5 प्रतिशत है।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने अनुमान लगाया है कि वैश्विक वाणिज्यिक व्यापार में वृद्धि दर 2023 में घटकर 1.7 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2022 में 2.7 प्रतिशत थी। जिंसों की कीमत में गिरावट के बीच उम्मीद है कि भारत से वस्तुओं का निर्यात 2023-24 में सुस्त रहेगा।

Also read: मार्च तिमाही में 4.9 प्रतिशत रह सकती है आर्थिक वृद्धि दर

अमेरिका भारत के निर्यात का सबसे बड़ा केंद्र है, जिसकी अर्थव्यवस्था में 2023 की पहली तिमाही में 1.3 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि 2022 की चौथी तिमाही में 2.6 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। IMF ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 2023 में 1.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि IMF ने इसके पहले 2.1 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।

2022-23 में भारत के वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात 6 प्रतिशत बढ़ा था। बहरहाल आखिरी 2 महीनों फरवरी और मार्च में निर्यात में गिरावट आई है। 2023-24 के अप्रैल महीने में भी यह 12.7 प्रतिशत गिरकर 34.66 अरब डॉलर रहा है।

First Published - May 26, 2023 | 9:33 PM IST

संबंधित पोस्ट