पहलगाम में आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए विभिन्न देशों में भेजे जा रहे सात बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडलों में से तीन को संबोधित करते हुए विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पाकिस्तान के भारत-विरोधी दुष्प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए सरकार की इस पहल के महत्त्व के बारे में बताया। पाकिस्तान वर्तमान में यूएनएससी के 10 अस्थायी सदस्यों में से एक है और उसका कार्यकाल 2026 के अंत में समाप्त होगा। सात बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडल बुधवार से 32 देशों और यूरोपीय संघ का दौरा शुरू करेंगे।
प्रतिनिधिमंडल यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य देशों में से फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस का दौरा करेंगे। पांचवां सदस्य पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त चीन है, जहां यह प्रतिनिधिमंडल नहीं जाएगा। इसके अलावा शेष वर्तमान अस्थायी सदस्य देशों में भी जाएंगे। इन देशों में अल्जीरिया, डेनमार्क, ग्रीस, गुयाना, पनामा, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया शामिल हैं।
इनमें से पांच देशों अल्जीरिया, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन और स्लोवेनिया का अस्थायी सदस्य के तौर पर कार्यकाल इस वर्ष के अंत तक समाप्त हो रहा है। इनकी जगह लातविया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, बहरीन, लाइबेरिया और कोलंबिया लेंगे और ये नए सदस्य कम से कम 31 दिसंबर, 2026 को पाकिस्तान का कार्यकाल समाप्त होने तक यूएनएससी के अस्थायी सदस्य बने रहेंगे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल इन सभी देशों का दौरा कर रहे हैं।
मिस्री के तीनों प्रतिनिधिमंडलों को जानकारी देने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लोक सभा सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि विदेश सचिव ने भारत की वैश्विक पहुंच के महत्त्व को सामने रखा और यह भी उम्मीद जताई कि ये प्रतिनिधिमंडल यूएनएससी सदस्यों और अन्य देशों के मंत्री, विधायकों, थिंक टैंक, नागरिक समाज के सदस्यों और मीडिया हस्तियों से मिलेंगे।
इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल की सदस्य सारंगी ने कहा, ‘यूएनएससी में अपनी सदस्यता के अगले 19 महीनों के लिए पाकिस्तान अपने भारत-विरोधी दुष्प्रचार को सामने रखने की कोशिश करेगा। हमें इन गैर-स्थायी यूएनएससी सदस्यों को यह बताने की ज़रूरत है कि पाकिस्तान के सैन्य और नागरिक नेतृत्व ने आतंकवाद को कैसे प्रायोजित किया है और भारत इस मुद्दे पर पूरी तरह एकजुट है।’
सांसदों, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और पूर्व राजनयिकों वाले 51 प्रतिनिधियों को सिंधु जल संधि को स्थगित करने के संबंध में भारत की स्थिति के बारे में भी समझाया गया। उन्हें यह भी बताया गया कि वे इस पक्ष को दुनिया के सामने रखे कि यह समझौता केवल पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देना बंद करने तक रोका गया है, न कि स्थायी रूप से रद्द किया गया है।
मिस्री ने सांसदों को बताया कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन वह अपनी धरती पर किसी भी आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा और अपनी ‘नई सामान्य’ स्थिति (न्यू नॉर्मल) के तहत जवाबी कार्रवाई करेगा। सूत्रों ने कहा कि सांसदों को भारत में आतंकी हमलों में पाकिस्तान के हाथ होने संबंधी डोजियर दिए जाएंगे। उन्हें इस बारे में भी जानकारी दी गई कि 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले की स्वतंत्र जांच की पाकिस्तान की पेशकश खोखली है, क्योंकि उसने पहले सबूतों को नजरअंदाज किया और जब भारत ने 2008 में मुंबई में 26/11 और 2016 में पठानकोट सहित अन्य आतंकी हमलों के बाद तथ्यों को पेश किया तो उसने कुछ नहीं किया। एक सांसद ने मिस्री के हवाले से कहा कि पाकिस्तान पर भरोसा करना कुछ ऐसा ही है जैसे जांच की जिम्मेदारी उसी चोर को सौंपना जिसने चोरी की है।
मिस्री ने सदस्यों को बताया कि वर्तमान और भविष्य के यूएनएससी सदस्यों के अलावा, प्रतिनिधिमंडलों द्वारा दौरा किए जा रहे अन्य देशों में जी7 के सदस्य शामिल हैं, जैसे कि जर्मनी, जापान, इटली और यूरोपीय संघ, लेकिन स्पेन भी, जो यूरोप में एक महत्त्वपूर्ण देश है। ब्रिक्स और जी20 के सदस्य जैसे दक्षिण अफ़्रीका और ब्राज़ील भी सूची में हैं, जैसा कि इथियोपिया है, जहां अफ्रीकी संघ का मुख्यालय है। प्रतिनिधिमंडल सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, मिस्र, कुवैत, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे प्रमुख मुस्लिम बहुल देशों का दौरा करेंगे, जो इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के सदस्य भी हैं।