न्यूजीलैंड ने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता को फिर से शुरू करने की इच्छा जताई है। यह जानकारी मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने गोपनीयता की शर्त पर दी है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत भी न्यूजीलैंड से एफटीए पर हस्ताक्षर करने का इच्छुक है। फिर भी वह कुछ कारकों पर विचार कर रहा है। दरअसल, भारत नई व्यापार रणनीति पर काम कर रहा है और उसने व्यापार सौदों पर बातचीत के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं को लगभग अंतिम रूप दे दिया है।
दोनों देशों ने 14 साल पहले एफटीए वार्ता शुरू की थी लेकिन10 दौर के बाद बातचीत ठप हो गई। फरवरी 2015 के बाद कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई है। भारत और न्यूजीलैंड ने एक दशक पहले कई विवादित मुद्दों के कारण समझौते को लंबित कर दिया था।
दोनों देशों के चीन समर्थित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसेप) वार्ता पर आगे बढ़ने के कारण भी एफटीए पर वार्ता की प्रगति धीमी हो गई थी। आरसेप व्यापार समझौता दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) ब्लॉक के 10 देशों और उसके पांच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के साझेदारों – न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच है। भारत आरसेप पर कई वर्षों की वार्ता के बाद अलग हो गया था।
न्यूजीलैंड एफटीए के जरिये बाजार तक अपने उत्पादों की अधिक पहुंच की मांग कर रहा है। इसमें कृषि, वन उत्पाद और शराब जैसे मादक पदार्थ हैं। भारत अपने इस रुख पर कायम रहा कि राजनीतिक संवेदनशीलता के कारण दूध, मक्खन और पनीर जैसे डेरी उत्पाद ‘रेड लाइन’ के तहत आते हैं, लिहाजा इन उत्पादों को अधिक बाजार पहुंच देना संभव नहीं है। हालांकि वार्ता शुरू होने की स्थिति में वाइन पर सीमा शुल्क को कम किया जा सकता है। दरअसल भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ दो साल पहले हुए एफटीए के बाद वहां से आयातित वाइन पर आयात शुल्क चरणबद्ध तरीके से कम कर रहा है।
भारत की मुख्य रुचि सेवा क्षेत्र में अधिक पहुंच प्राप्त करने में है। भारत कुशल कामगारों के लिए वीजा के मुद्दे को जोरदार ढंग से आगे बढ़ा रहा है। भारत का वित्त वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 24) में न्यूजीलैंड को वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 0.91 अरब डॉलर का था जबकि न्यूजीलैंड से आयात 0.84 अरब डॉलर था। इस व्यापार का कुल मूल्य 1.75 अरब डॉलर था। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 24 में भारत को न्यूजीलैंड को वस्तुओं का निर्यात 1.7 प्रतिशत गिरकर 0.54 अरब डॉलर हो गया जबकि आयात करीब 30 प्रतिशत गिरकर 0.33 अरब डॉलर हो रह गया।
भारत मुख्य तौर पर लोहा और इस्पात, एल्युमीनियम, लट्ठे व वन उत्पाद, लकड़ी का पल्प, ऊन, सेब और मेवे के उत्पादों का आयात करता है। दूसरी तरफ वह औषधि, महंगी धातुओं व रत्नों, कपड़े और गैर बुने वस्त्रों सहित अन्य का मुख्य तौर पर निर्यातक है।
न्यूजीलैंड में तीन लाख से अधिक भारतीय मूल के निवासी और गैर निवासी भारतीय (एनआरआई) हैं। फिलहाल न्यूजीलैंड में 8,000 से अधिक भारतीय छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दोनों देशों ने व्यापार समझौते के अभाव में बीते वर्ष संभावित अभिनव तकनीकी समन्वय पर चर्चा की थी। इस क्रम में कीवी फल के साथ औषधि, प्रसंस्करण, भंडारण और यातायात पर चर्चा हुई थी।