भूकंप के बाद क्षतिग्रस्त घर
Myanmar Earthquake: म्यांमार में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या रविवार को बढ़ती रही और साथ ही विदेशी बचाव दल सहायता देने के लिए यहां पहुंचे। यहां के अस्पतालों में भारी भीड़ देखी गई और कुछ समुदाय अपने सीमित संसाधनों के साथ राहत-बचाव की कोशिश में जुटे थे।
शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने युद्धग्रस्त दक्षिण पूर्व एशियाई देश को हिला दिया जो म्यांमार में एक सदी में सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक था। यहां की सैन्य सरकार ने जानकारी दी कि इस भूकंप के कारण रविवार तक लगभग 1,700 लोग मारे गए, 3,400 घायल हुए और 300 से अधिक लापता हो गए।
सरकारी मीडिया के मुताबिक जुंटा प्रमुख, वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए अपील करने के तीन दिन बाद चेतावनी दी कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है और उनके प्रशासन को एक चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
भारत, चीन और थाईलैंड, म्यांमार के पड़ोसी देश हैं जिन्होंने राहत सामग्री और अपनी टीमें भेजी हैं और इसके अलावा मलेशिया, सिंगापुर और रूस से भी सहायता भेजी गई है। इंटरनैशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस ऐंड रेड क्रिसेंट सोसायटीज ने एक बयान में कहा, ‘बरबादी बेहद व्यापक स्तर पर हुई है और मानवीय सहायता की जरूरत हर घंटे बढ़ रही है। तापमान बढ़ने और कुछ ही हफ्तों में मॉनसून का मौसम आने के साथ, दूसरा संकट पैदा होने से पहले ही प्रभावित समुदायों की स्थिति में स्थिरता लाना तत्काल आवश्यक है।’
यह तबाही म्यांमार में और संकट लेकर आई है जो पहले से ही गृहयुद्ध की अराजकता में घिरा है। वर्ष 2021 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, आंग सान सू की निर्वाचित सरकार के सैन्य तख्तापलट के बाद एक राष्ट्रव्यापी विद्रोह के चलते गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनी।
करीब 5.5 करोड़ की आबादी वाले देश में पुलों, राजमार्गों, हवाई अड्डों और रेलवे सहित महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे मानवीय सहायता के प्रयासों में देरी हो रही है। वहीं आंतरिक संघर्ष के कारण अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हो गई और करीब 35 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं तथा स्वास्थ्य प्रणाली कमजोर हुई है।
सरकारी मीडिया के अनुसार, मिन आंग ह्लाइंग ने शनिवार को अधिकारियों से कहा, ‘परिवहन मार्गों को जल्द से जल्द बहाल करना आवश्यक है। रेलवे की व्यवस्था को दुरुस्त करना और हवाईअड्डों को फिर से खोलना भी जरूरी है ताकि बचाव अभियान अधिक प्रभावी हो सके।’ अमेरिका के भूवैज्ञानिक सेवा के पूर्वानुमान वाले मॉडल ने अनुमान लगाया कि म्यांमार में मरने वालों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है।