इस साल की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने घोषणा की थी कि वैश्विक मानकों के अनुरूप तालमेल बिठाने के लिए सप्ताह के काम के दिनों को घटाकर 4.5 दिन किया जाएगा। हालांकि भारत को अभी अपने श्रम कानूनों में संशोधन करना है लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि देश काम के हफ्ते को घटाकर चार दिन कर देगा। हालांकि, काम का समय बढ़कर 12 घंटे हो जाएगा जिससे सप्ताह में काम की अवधि 48 घंटे तक सीमित हो जाएगी। फैक्टरी अधिनियम, 1948 के मुताबिक भारत में 48 घंटे का कार्य सप्ताह है, लेकिन इसमें यह बात तय की गई है कि कोई भी दिन में नौ घंटे से अधिक काम नहीं कर सकता है।
हाल ही में चिली के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने वाले गैब्रियल बोरिच ने घोषणा की थी कि वह हफ्ते में काम की अवधि को घटाकर 40 घंटे कर देंगे। वर्ष 2000 में फ्रांस ने 39 घंटे में कमी करते हुए 35 घंटे के कार्यसप्ताह की शुरुआत की थी। अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स ने भविष्य में 15 घंटे के कार्यसप्ताह की भविष्यवाणी की थी।
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के आंकड़ों से पता चलता है कि कोलंबिया और तुर्की में सबसे ज्यादा औसत कार्यसप्ताह हैं, वहीं ज्यादातर यूरोपीय देशों में 40 घंटे से कम कार्यसप्ताह है। एशिया में लोग दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक काम करते हैं और अमेरिका के कामगार यूरोपीय देशों के कामगारों की तुलना में काम पर अधिक समय बिताते हैं। हालांकि ओईसीडी में भारत के आंकड़े शामिल नहीं हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने पाया कि भारत सबसे खराब पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था जहां एक सप्ताह में औसतन 48 घंटे तक काम का समय था। कोलंबिया में कामगार औसतन हर हफ्ते 47.6 घंटे काम करते हैं जबकि तुर्की में कामगार 45.6 घंटे काम करते हैं जबकि एक मैक्सिकन श्रमिक हर सप्ताह 44.7 घंटे काम करता है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के द्वारा आगे विश्लेषण करने से पता चलता है कि एक दशक पहले की तुलना में अमेरिका, ब्रिटेन और ओईसीडी देशों में नौकरी के लिए काम करने वाले औसत घंटे बढ़ गए थे। जनवरी-दिसंबर 2019 के लिए भारत के समय इस्तेमाल सर्वेक्षण में यह पाया गया था कि शहरी क्षेत्रों में एक औसत व्यक्ति रोजगार और संबंधित गतिविधियों पर 485 मिनट (8 घंटे और 5 मिनट) खर्च करता है। इसके उलट ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने 404 मिनट (6 घंटे और 44 मिनट) खर्च किए।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खर्च किया गया औसत समय 7 घंटे और 9 मिनट था। पुरुषों ने महिलाओं की तुलना में रोजगार और संबंधित गतिविधियों पर अधिक वक्त दिया।
