गुजरात की यात्रा पर पहुंचने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन बने जिन्होंने गुरुवार को वडोदरा के नजदीक में हलोल में जेसीबी की नई निर्यात आधारित फैक्टरी का उद्घाटन किया। कंपनी वैश्विक स्तर पर अपने विनिर्माण का दायरा मजबूत करना चाहती है।
गुजरात में करीब 990 करोड़ रुपये से अधिक लागत से स्थापित की गई जेसीबी की नई फैक्टरी में वैश्विक विनिर्माण के लिए सामान तैयार किए जाएंगे। करीब 47 एकड़ के दायरे में बनी यह फैक्टरी सालाना 85,000 टन स्टील को प्रसंस्कृत करेगी। जेसीबी के अध्यक्ष लॉर्ड बामफोर्ड भी इस मौके पर मौजूद थे और उन्होंने कहा कि जेसीबी इंडिया ने पहले साल उत्पादन के दौरान महज 39 मशीनें ही बनाईं थीं लेकिन कंपनी अब अगले साल से कुल 5 लाख मशीनें तैयार करने का इरादा कर रही है। लॉर्ड बामफोर्ड का कहना है, ‘यह देश इंजीनियरिंग की एक बड़ी ताकत बन रहा है और यहां हमारी मौजूदगी की वजह से कारोबार में बदलाव आया है। निश्चित तौर पर यह एक अच्छी सफलता कही जा सकती है क्योंकि वृद्धि के लिए यहां अच्छी क्षमता है। इस तरह की प्रगति लगातार निवेश की वजह से ही संभव है और गुजरात में नए संयंत्र का खोला जाना एक अहम कदम है जिससे भारत के साथ-साथ दुनिया भर में हमारा कारोबार और बढ़ेगा।’
जेसीबी इंडिया के सीईओ और प्रबंध निदेशक (एमडी) दीपक शेट्टी ने कहा कि इस नए संयंत्र से नौकरियों के करीब 1,200 मौके तैयार होंगे और आपूर्ति शृंखला में भी हजारों लोगों को काम मिलेगा। नया संयंत्र स्त्री-पुरुष विविधता के लिहाज से उद्योग में न केवल मानक बनेगा बल्कि लेजर कटिंग, वेल्डिंग और मशीनीकरण में आधुनिक तकनीक के लिहाज से भी अव्वल होगा।
ब्रिटेन में जेसीबी की 11 फैक्टरी में करीब 7,500 से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। जेसीबी ने 1979 में पहली बार निर्माण का काम शुरू किया और अब यह देश की प्रमुख कंस्ट्रक्शन उपकरण बनाने वाली कंपनी है। वर्ष 2007 के बाद से ही भारत जेसीबी का सबसे बड़ा बाजार रहा है और जेसीबी द्वारा बनाई गई हर दो कंस्ट्रक्शन मशीनों में से एक भारत में बिकती हैं। भारत में जयपुर और पुणे सहित कुछ अन्य जगहों पर जेसीबी की छह फैक्टरियां हैं।
