श्रीलंका ने चीन की सिनोपेक और दो अन्य विदेशी कंपनियों को ईंधन के खुदरा बाजार में संचालन की अनुमति दी है जबकि राज्य संचालित भारतीय कंपनी की बाजार में प्रमुख हिस्सेदारी है।
अधिकारियों ने नई दिल्ली में कहा कि दोनों देशों के साझा हित हैं। इसलिए भारत श्रीलंका को ईंधन की आधारभूत संरचना में मदद करना जारी रखेगा। लंका आईओसी और इंडियन ऑयल कारपोरेशन की सहायक कंपनी का द्वीप के ईंधन के खुदरा बाजार पर एक तिहाई कब्जा है। बाकी बाजार पर राज्य संचालित सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (सीपेटको) का कब्जा है।
भारत के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सचिव पंकज जैन ने प्रतिनिधिमंडल के साथ इस हफ्ते के शुरू में श्रीलंका का दौरा किया था। स्थानीय मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक जैन ने ऊर्जा क्षेत्र की संभावित परियोजनाओं में दोनों देशों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया था।
उन्होंने कहा था कि देशों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे हरित हाइड्रोजन, अमोनिया और कंप्रेसड बॉयोगैस की संभावनाओं को अवश्य तलाशें।
भारत पीछे हटने को तैयार नहीं
श्रीलंका की संसद ने मंगलवार को चीनी सरकार की सिनोपेक, यूनाइटिड पेट्रोलियम ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की आरएम पार्कस को देश में संचालन की अनुमति दी। अमेरिका की आरएम पार्क का ब्रिटेन की तेल दिग्गज कंपनी शैल से गठजोड़ है।
श्रीलंका के बिजली और ऊर्जा मंत्री कंचना विजसेकरा ने ट्ववीट किया, ‘‘इन तीन कंपनियों में हरेक को 150 डीलर संचालित ईंधन स्टेशन आबंटित किए जाएंगे। हालिया समय में इन स्टेशनों का संचालन सीपेटको के पास है। इन तीन कंपनियों को 20 साल श्रीलंका में आयात, भंडार, वितरण और तेल उत्पादों को बेचने का लाइसेंस दिया गया है। ये चुनिंदा कंपनियां नई जगहों पर 50 फ्यूल स्टेशन भी स्थापित करेंगी।’’
वर्तमान समय में लंका आईओसी 211 ऐसे आउटलेट्स का संचालन करती है। भारतीय अधिकारी ने बताया, ‘‘श्रीलंका सरकार ने हाल में 50 और आउटलेट्स खोलने की इजाजत दे दी है और इस दिशा में कार्य जारी है।’’
श्रीलंका के बाजार पर सिनोपेक अपनी पकड़ बढ़ा रही है। चीन पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन की इकाई सिनोपेक है। विश्व का सबसे बड़ा तेल शोधन, गैस और पेट्रोकेमिकल्स का समूह चीन पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन है। श्रीलंका ने सिनोपेक को विवादित हंबनटोटा अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह के निकट प्रस्तावित रिफाइनरी के लिए धन जुटाने व उसे बनाने की मार्च में पेशकश की थी।
चीन अपने वित्तीय संसाधनों से हंबनटोन बंदरगाह का निर्मा कर रहा है। श्रीलंका भारत से पांच साल की बातचीत के बाद संयुक्त रूप से 55 करोड़ डॉलर की लागत से त्रिकोमाली तेल फार्म विकसित करने के लिए तैयार हो गया है। त्रिनको पेट्रोलियम टर्मिनल लिमिटेड में सीपेटको की हिस्सेदारी 51 फीसदी होगी और बाकी हिस्सेदारी लंका आईओसी की होगी।
पड़ोसी और साझेदार
भारत पेट्रोलियम की खोज में श्रीलंका की साझेदारी चाहता है। श्रीलंका विदेशी कंपनियों को 900 अपतटीय ब्लॉक में तेल व खोज के लिए दो साल के लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में है। ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल ) श्रीलंका के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में इच्छुक है।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक श्रीलंका भारत से एक अरब डॉलर की नई अस्थायी ऋण सुविधा की मांग कर रहा है। कोलंबो ने बीते साल के एक अरब डॉलर के भुगतान की सीमा बढ़ाने के लिए बीते सप्ताह बातचीत की थी। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार महामारी और आर्थिक संकट से पहले 2019 में श्रीलंका के 2.2 करोड़ लोग रोजाना 123000 बैरल तेल का उपयोग करते थे।