अंतरराष्ट्रीय

UK Govt का बड़ा फैसला, भारत को किया “Deport Now, Appeal Later” नीति सूची में

जून 2025 में पास हुए कानून के तहत, अब विदेशी अपराधियों को सजा की केवल 30% अवधि पूरी करने के बाद भी डिपोर्ट किया जा सकेगा, जो पहले 50% थी।

Published by
सुरभि ग्लोरिया सिंह   
Last Updated- August 11, 2025 | 5:48 PM IST

यूनाइटेड किंगडम (UK) की लेबर सरकार ने अपनी विवादास्पद “Deport Now, Appeal Later” नीति का विस्तार करते हुए भारत समेत कई अन्य देशों को इस सूची में शामिल कर लिया है। अब जिन विदेशी नागरिकों की मानवाधिकार संबंधी दलीलें खारिज कर दी गई हैं, उन्हें अपील का मौका मिलने से पहले ही उनके देश वापस भेजा जा सकेगा। यूके के गृह मंत्रालय (Home Office) ने इस बात की पुष्टि की है कि यह योजना अब 8 देशों से बढ़ाकर 23 देशों तक लागू होगी, जिनमें भारत का नाम भी शामिल है।

अब भारतीय नागरिकों को, जिनकी वीज़ा या मानवाधिकार संबंधी अपीलें खारिज हो जाती हैं, यूके में रुकने की अनुमति नहीं मिलेगी। उन्हें देश वापस भेज दिया जाएगा और अपील की प्रक्रिया भारत से ही पूरी करनी होगी। यह कदम अवैध प्रवास, फर्जी वीज़ा और अपराधों से जुड़े मामलों में यूके की सख्त होती नीति का हिस्सा है।

सरकार ने 80 से अधिक जेलों में विशेष स्टाफ तैनात करने के लिए £5 मिलियन का बजट भी निर्धारित किया है ताकि डिपोर्ट प्रक्रिया को तेज किया जा सके। यूके की यह नई नीति प्रवासियों के लिए बड़ी चेतावनी है — अब अपील लंबित होने का मतलब यूके में रहना नहीं होगा। भारत समेत कई देशों के लिए यह नीतिगत बदलाव गंभीर असर डाल सकता है, खासकर उन प्रवासियों पर जो वीज़ा अस्वीकृति या आपराधिक मामलों में उलझे हुए हैं।

जून 2025 में पास हुए कानून के तहत, अब विदेशी अपराधियों को सजा की केवल 30% अवधि पूरी करने के बाद भी डिपोर्ट किया जा सकेगा, जो पहले 50% थी। यह नियम उन कैदियों पर लागू नहीं होगा जो आजीवन कारावास, आतंकी गतिविधियों या हत्या जैसे गंभीर मामलों में सजा काट रहे हैं। 

  • जुलाई 2024 से अब तक 5,200 विदेशी नागरिकों को डिपोर्ट किया जा चुका है — पिछले साल की तुलना में 14% ज़्यादा।
  • यूके की जेलों में 12% कैदी विदेशी नागरिक हैं।
  • एक कैदी की सालाना लागत लगभग £54,000 (लगभग ₹56 लाख) है।

क्या है “Deport Now, Appeal Later” नीति?

इस नीति के तहत:

  • यदि किसी व्यक्ति की यूके में रहने की याचिका खारिज कर दी जाती है, तो उसे देश से तुरंत वापस भेजा जा सकता है, भले ही उसकी अपील लंबित हो।
  • वह व्यक्ति अपील की प्रक्रिया में वीडियो कॉल या रिमोट लिंक के माध्यम से भाग ले सकता है।
  • अगर अपील सफल होती है, तो उसे दोबारा यूके आने की अनुमति दी जा सकती है।
  • यह नीति पहले 2014 में लागू की गई थी और तब यह केवल कम से कम 12 महीने की सजा पाए विदेशी अपराधियों पर लागू होती थी।
  • अब इसे पुनः लागू करते हुए अगस्त 2025 से इसका दायरा बढ़ा दिया गया है।
  • गृह मंत्रालय का कहना है कि यह कदम उन लोगों को रोकने के लिए है जो अपील की आड़ में लंबे समय तक यूके में रहना जारी रखते हैं।

Also Read | Luxembourg Business Visa के नाम पर करोड़ों की ठगी, कैसे शिकार हो जाते हैं लोग

2023 में यह नीति जिन देशों पर लागू थी:  फिनलैंड, नाइजीरिया, एस्टोनिया, अल्बानिया, बेलीज़, मॉरिशस, तंजानिया और कोसोवो। Financial Times के अनुसार अब ये देश जोड़े गए हैं। 

  • भारत
  • ऑस्ट्रेलिया
  • कनाडा
  • केन्या
  • मलेशिया
  • इंडोनेशिया
  • लेबनान
  • ब्रुनेई
  • लातविया
  • युगांडा
  • जाम्बिया
  • अंगोला
  • बुल्गारिया
  • बोत्सवाना
  • गायना

गृह मंत्रालय ने पूरी सूची आधिकारिक रूप से जारी नहीं की है, लेकिन कहा है कि कई देशों से बातचीत चल रही है। गृह सचिव यवेट कूपर ने कहा, “हमारे देश में अपराध करने वालों को सिस्टम का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अब समय है कि हम नियंत्रण वापस लें और सख्त संदेश दें कि यूके के कानूनों का सम्मान किया जाना चाहिए।” विदेश सचिव डेविड लैमी ने कहा कि यूके अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारियों में निवेश कर रहा है ताकि अपराधियों की तेज़ वापसी सुनिश्चित की जा सके।

First Published : August 11, 2025 | 5:36 PM IST