रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों के अन्य देशों पर पड़ रहे असर का उल्लेेख करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि इस तरह का निर्णय लेते समय देशों को इन कदमों के ‘कुल मिलाकर असर’ को ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से जिंसों के दाम बढ़े हैं और कई देशों में महंगाई दर उच्च स्तर पर है। उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुओं जैसे अनाज की आपूर्ति बाधित हुई है। बहरहाल उन्होंने कहा कि भारत के पास गेहूं का बड़ा भंडार है और वह निर्यात करना चाहता है। स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में उन्होंने कहा कि प्रतिबंध का असर सिर्फ उस देश पर नहीं पड़ता, जिस पर प्रतिबंध लगाया जाता है, बल्कि इसका सामूहिक असर तमाम देशों पर होता है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि ऐसी स्थिति इसलिए है, क्योंकि हम वैश्विक रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ऐसे में जब प्रतिबंध लगाने पर फैसला किया जाता है तो इससे पडऩे वाले अनजाने असर पर भी ध्यान रखा जाना चाहिए।’ सीतारमण ने कहा कि रूस के बैंकों पर स्विफ्ट संबंधी प्रतिबंध लगाए जाने से तमाम अन्य देशों पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की चिंता सिर्फ आर्थिक हितों को लेकर ही नहीं है, बल्कि सुरक्षा संबंधी चिंता भी है। उन्होंने कहा कि भूराजनीतिक स्थिति को देखते हुए हर फैसला किया जाना चाहिए। सीतारमण ने कहा कि एक दूसरे से जुड़ी दुनिया में महंगाई तेजी से फैल रही है और यह इस समय सिर्फ अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कार्रवाई से नहीं बढ़ रही है, बल्कि व्यापक रूप से जिंसों के दाम की वजह से बढ़ रही है।
सीतारमण ने कहा कि अनाज जैसे आवश्यक जिंस दुर्लभ हो रहे हैं क्यों कि गेहूं और खाद्य तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता यूक्रेन अव्यवस्था से जूझ रहा है। वह जगह खाली है क्योंकि तमाम देश मिलकर भी उतनी मात्रा में गेहूं नहीं पैदा कर सकते। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत के पास गेहूं का बड़ा स्टॉक है और वह निर्यात करने को इच्छुक है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे नहीं आ रही है और इसका असर तमाम अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘कीमतें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। प्राकृतिक गैस सहित विभिन्न आपूर्ति बाधित है। इसकी वजह से महंगाई की समस्या विकराल रूप ले रही है।’