धन-शोधन रोधी मानक निर्धारित करने वाले अंतर सरकारी निकाय – आर्थिक कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के आकलनकर्ताओं द्वारा पूछे गए सवालों पर मॉरीशस ने स्पष्टीकरण उपलब्ध कराया है। इन आकलनकर्ताओं ने इस वैश्विक महामारी के बावजूद एफएटीएफ की कार्य योजना लागू करने में की गई निरंतर प्रगति के लिए इस मॉरीशस की सराहना की है। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि यह देश इस साल कभी भी ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है।
मॉरीशस और एफएटीएफ के अफ्रीकी मध्य पूर्व संयुक्त समूह के बीच पिछले महीने आयोजित एक आभासी बैठक के दौरान यह पर्यवेक्षण किया गया था। अगला एफएटीएफ का अगला पूर्ण अधिवेशन इस महीने आयोजित किया जाएगा जिसके दौरान आकलनकर्ताओं की इस रिपोर्ट के साथ-साथ दूसरी प्रगति रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा।
नवंबर में मॉरीशस ने एफएटीएफ को अपनी दूसरी प्रगति रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें एफएटीएफ की कार्य योजना को लागू करने के लिए किए गए उपायों का ब्यौरा दिया गया था। पिछले साल एफएटीएफ ने एक नोट में कहा था कि मॉरीशस ने वैश्विक कारोबार और प्रबंधन कंपनियों के लिए जोखिम-आधारित पर्यवेक्षण योजना तैयार करते हुए धन-शोधन रोधी/आतंकवाद के वित्तपोषण से लडऩे वाले (एएमएल/सीएफटी) दौर को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं।
इसने इस देश को रणनीतिक कमियों को दूर करने के लिए उन पांच पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी कार्य योजना पर काम जारी रखने के लिए कहा था जिसमें वित्तीय सेवा आयोग के लिए प्रभावी रूप से जोखिम आधारित पर्यवेक्षण योजना लागू करना और सक्षम अधिकारियों द्वारा सटीक आधार और लाभकारी स्वामित्व की जानकारी तक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल था।
मॉरीशस को एफएटीएफ की कार्य योजना के कार्यान्वयन में सहायता के लिए यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित एएमएल/सीएफटी ग्लोबल फैसिलिटी और जर्मन सरकार (जर्मन डेवलपमेंट एजेंसी, जीआईजेड के जरिये) तकनीकी सहायता प्राप्त हुई है। मॉरीशस 58 अनुशंसित कार्रवाइयों में से 53 को पूरा करता है जिसमें छह बड़ी सिफारिशें शामिल हैं तथा पहचानी गई कमियों को दुरुस्त करने के लिए सहमति जताई गई एक समयसीमा भी शामिल है।
एफएटीएफ पहले ही मॉरीशस में बैंकिंग ढांचे का बड़े पैमाने पर अनुपालन के रूप में मूल्यांकन कर चुका है, जो सीमा पार लेनदेन के लिए लागू किए गए नियंत्रण उपायों पर आधारित है।
फरवरी में मॉरीशस को उन इलकों की सूची में डाल दिया गया था जहां अधिक निगरानी आवश्यकता थी। इस सूची को आम तौर पर ग्रे लिस्ट के रूप में जाना जाता है।
अधिक निगरानी के तहत आने वाले ये इलाके अपने प्रशासन में रणनीतिक कमियों से निपटने के लिए सक्रिय रूप से एफएटीएफ साथ काम करते हैं। धन-शोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण और प्रसार के वित्तपोषण से अधिक कुशलतापूर्वक तरीके से मुकाबला करने के लिए यह किया जाता है। मॉरीशस भारत में दूसरा सबसे बड़ा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक है जिसकी नियंत्रित परिसंपत्ति 31 जनवरी तक 4.59 लाख करोड़ रुपये है।