यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद लगे प्रतिबंधों की वजह से भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों की करीब 2,500 करोड़ रुपये की डिविडेंड आय रूस में फंसी हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
पब्लिक सेक्टर की पेट्रोलियम कंपनियों ने रूस में चार विभिन्न संपत्तियों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए 5.46 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है। इन तेल एवं गैस क्षेत्रों के ऑपरेशन से होने वाले लाभ पर भारतीय कंपनियों को डिविडेंड मिलता है। लेकिन पिछले साल यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद लगे आर्थिक प्रतिबंधों से भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों को अब तक यह डिविडेंड नहीं मिल पाया है।
ऑयल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक रंजीत रथ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमें लगातार इन परियोजनाओं से डिविडेंड आय होती रहती थी लेकिन इस बार यह रूस के बैंक खातों में ही पड़ी हुई है।’ इसकी वजह यह है कि रूसी बैंकों को वित्तीय अंतरण की वैश्विक प्रणाली स्विफ्ट से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके अलावा रूस की सरकार ने डॉलर में भुगतान पर भी पाबंदियां लगाई हुई हैं।
भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों की रूस में 30 करोड़ डॉलर यानी करीब 2,500 करोड़ रुपये की डिविडेंड आय फंसी हुई है। इस गठजोड़ में ऑयल इंडिया, इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोरिसोर्सेज लिमिटेड शामिल हैं। भारत पेट्रोरिसोर्सेज लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. की इकाई है। ONGC विदेश लिमिटेड को भी करीब इतना ही डिविडेंड मिलने की उम्मीद है। रथ ने कहा कि इस लाभांश आय को रूस से लाने के विकल्पों पर गौर किया जा रहा है।