पिछले कुछ वर्षों से कई भारतीय युवा नेता स्विटजरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सालाना सम्मेलन में शिरकत करने जाते रहे हैं जिनमें मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ केंद्रीय और राज्य मंत्री भी शामिल हैं। नेताओं का इस सम्मेलन में हिस्सा लेने का मकसद कारोबारी और निवेश अनुकूल साख को बढ़ाना है। इस मायने में इस वर्ष का शिखर सम्मेलन भी अलग नहीं है।
कुछ अपवादों को छोड़कर जैसे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, केंद्रीय मंत्री सी आर पाटिल और उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के अलावा डब्ल्यूईएफ में हिस्सा लेने वाले अन्य दूसरे मंत्री भारत की नई पीढ़ी के नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
हालांकि नायडू ने ही 1990 के दशक के आखिर में डब्ल्यूईएफ जैसे सम्मेलनों में सबसे पहले शिरकत करना शुरू किया था। डब्ल्यूईएफ द्वारा प्रकाशित एक पत्रिका ‘वर्ल्ड लिंक’ ने अपनी वैश्विक ‘ड्रीम कैबिनेट’ में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और ईरान के राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी आदि के साथ नायडू को भी शामिल किया था जो तब अविभाजित आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री थे।
उस समय नायडू करीब 45 वर्ष के थे और उनके राज्य में उनकी छवि तकनीक कुशल ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ की थी जो दावोस में डब्ल्यूईएफ के वार्षिक सम्मेलन में चर्चा में छाए रहे।
उस वक्त के बाद से भारत के युवा मुख्यमंत्री, केंद्रीय और राज्य मंत्रियों की इस सम्मेलन में शिरकत करने के लिए कतार लगी है। आंध्र प्रदेश से नायडू के अलावा उनके बेटे नारा लोकेश भी इस सम्मेलन में राज्य सरकार के मजबूत प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। नारा लोकेश को नायडू का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है। लोकेश की दावोस यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के भीतर यह मांग की जा रही है कि 41 वर्षीय इस नेता को राज्य का उप मुख्यमंत्री बनाया जाए। लोकेश ने 2019 में आधिकारिक तौर पर दावोस में डब्ल्यूईएफ में हिस्सा लिया था तब इस सम्मेलन में हिस्सा लेने का उनका पहला मौका था।
डब्ल्यूईएफ 2025 में शिरकत करने वाले मुख्यमंत्रियों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री 55 वर्षीय रेवंत रेड्डी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (54 वर्षीय) शामिल हैं जो वर्ष 2014-19 के अपने पहले मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान भी इस सम्मेलन में हिस्सा ले चुके हैं। इनके अलावा केरल के उद्योग मंत्री पी राजीव (57 वर्षीय), तमिलनाडु के उद्योग मंत्री टीआरबी राजा (48 वर्षीय), तेलंगाना के आईटी मंत्री डी श्रीधर बाबू (55 वर्षीय) उत्तर प्रदेश के नंद गोपाल गुप्ता नंदी (50 वर्षीय) भी हिस्सा ले रहे हैं।
डब्ल्यूईएफ में हिस्सा लेने वाले पाटिल (69 वर्षीय) को छोड़कर लगभग सभी केंद्रीय मंत्री 60 वर्ष से कम उम्र के हैं जिनमें अश्विनी वैष्णव (54 वर्षीय), चिराग पासवान (42 वर्षीय), जयंत चौधरी (46 वर्षीय) और नागरिक विमानन मंत्री के राम मोहन नायडू (37 वर्षीय) शामिल हैं। दक्षिण के राज्यों में इस बार केवल कर्नाटक ने दावोस में अपना प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजा है।
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र ने दावोस की बैठक में कर्नाटक की अनुपस्थिति को लेकर सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के पास राज्य की ‘भारत की स्टार्टअप राजधानी’ होने के खोए गौरव को वापस हासिल करने के लिए कोई कार्ययोजना नहीं है न ही वह इसके लिये कोई प्रयास करती नजर आती है।
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘जहां एक ओर महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे अन्य राज्य वैश्विक निवेश हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं वहीं कांग्रेस की प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं: भविष्य की बजाय मुफ्त सुविधाओं पर जोर देना और नवाचार की बजाय स्थिरता को बढ़ावा देना।’
डब्ल्यूईएफ की सालाना बैठक में भारत की तरफ से केंद्र एवं राज्यों ने वहां के पविलियन में एकजुट होकर शिरकत की है। दावोस की मशहूर प्रोमेनेड स्ट्रीट के एक तरफ कुछ ही ब्लॉक की दूरी पर दो भारतीय मंडप मौजूद हैं। इन मंडप में केंद्रीय मंत्रियों, केंद्र सरकार के विभागों और राज्य सरकारों के लिए बैठक एवं सम्मेलन कक्ष मौजूद हैं। एक में वामपंथी पार्टी शासित केरल, कांग्रेस शासित तेलंगाना और भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य उत्तर प्रदेश के मंडप हैं। वहीं दूसरे में तेदेपा शासित आंध्र प्रदेश, राजग शासित महाराष्ट्र और द्रमुक शासित तमिलनाडु के मंडप स्थित हैं।
दोनों मंडप अलग-अलग समय पर पांच केंद्रीय मंत्रियों की मेजबानी भी करेंगे। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), इन्वेस्ट इंडिया और दो एजेंसियां यहां भारत की बेहतर मौजूदगी के प्रबंधन में जुटी हैं। सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू और तेलंगाना के रेड्डी ने ज्यूरिख हवाईअड्डे पर मुलाकात की। नायडू और लोकेश ने भी स्विटजरलैंड में भारत के राजदूत मृदुल कुमार से मुलाकात की और स्विटजरलैंड की दवा कंपनियों जैसे कि नोवार्तिस, रॉश की तरफ से निवेश हासिल करने में सहयोग की उम्मीद जताई।
