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वैश्विक खाद्य सुरक्षा में देश की योजना अहम, भारत ने WTO से कहा- वैश्विक निर्यात से भी ज्यादा चावल की है जरूरत

Last Updated- April 09, 2023 | 10:49 PM IST
Preparatory meeting for WTO Ministerial Conference 13 to be held

भारत की सार्वजनिक भंडारण योजना पर बहुत ज्यादा सब्सिडी को लेकर कुछ विकसित देशों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि इससे अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो रही है। वहीं विश्व व्यापार संगठन (WTO) की हाल की एक बैठक में भारत अपने रुख पर कायम रहा है।

WTO की कृषि समिति की जिनेवा में हुई एक बैठक में भारत ने यह कहते हुए अपनी स्थिति का बचाव किया है कि भारत में चावल की जरूरत खाद्यान्न के कुल वैश्विक निर्यात से भी ज्यादा है। चावल को लेकर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका सहित कुछ अन्य सदस्य देशों ने चिंता जताई थी।

इस चर्चा से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘अगर हम पर्याप्त स्टॉक बरकरार नहीं रखेंगे (संकट के समय), तो हमें अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ेगा। 2021 में चावल का वैश्विक निर्यात 5.6 करोड़ टन था। भारत ने 80 करोड़ लाभार्थियों के 5.8 करोड़ टन चावल दिया था। अगर हमें अन्य देशों से 5.8 करोड़ टन चावल लेना होता तो वैश्विक बाजार में कीमत आसमान पर पहुंच जाती।’

उन्होंने कहा कि अगर ऐसी स्थिति पैदा होता तो कम विकसित देशों की खाद्य सुरक्षा बुरी तरह प्रभावित होती और उन्हें ज्यादा खतरे में डाल देती। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘हमने अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है।’

WTO के कुछ सदस्यों ने भारत के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना को लेकर सवाल उठाए हैं, खासकर चावल को लेकर, जिस पर सब्सिडी बहुत ज्यादा है।

व्यापार के मानकों के मुताबिक WTO के सदस्यों का खाद्य सुरक्षा बिल उत्पादन के कुल मूल्य के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

भारत ने सीमा के उल्लंघन की स्थिति में सदस्य देशों कीओर से किसी भी कार्रवाई से अपनी खाद्यान्न खरीद योजना की रक्षा के लिए विश्व व्यापार संगठन के मानकों के मुताबिक ‘पीस क्लॉज’ लागू किया है। हालांकि कोई देश भारत को किसी विवाद में नहीं घसीट सकता, लेकिन वे विकासशील देशों से इस पर परामर्श ले सकते हैं और सीमा के उल्लंघन पर जानकारी मांग सकते हैं। भारत ने WTO को समर्थन दिया है।

कृषि पर बनी समिति की पहले की बैठक में भारत ने उठाए गए सवालों का जवाब दिया था और भारत की खाद्य सुरक्षा योजना को लेकर प्रस्तुति दी थी।
भारत ने यह भी साफ किया है कि एमएसपी के तहत खरीदे गए अनाज का निर्यात नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘कुछ देश यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत अतिरिक्त अनाज का निर्यात कर देगा, जो गलत है। जब हमारे पास अतिरिक्त स्टॉक होता है तो उसे खुले बाजार में बेच देते है। हमारे पास इसके लिए समुचित व्यवस्था है।’

भारत सामान्य धान का निर्यात नहीं करता है, लेकिन प्रीमियम क्वालिटी के चावल जैसे बासमती व कुछ अन्य किस्मों का निर्यात करता है, जिसकी मांग दुनिया भर में है। वहीं दूसरी तरफ एमएसपी के तहत सामान्य गुणवत्ता के धान की खरीद होती है।

First Published - April 9, 2023 | 10:49 PM IST

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