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वीजा नियमों में बदलाव से काम भारत भेजेंगी आईटी फर्म

Last Updated- December 15, 2022 | 12:56 AM IST

भारतीय आईटी सेवा कंपनियां काफी काम देश में आउटसोर्स करने और अमेरिका में स्थानीय नियुक्तियों पर अधिक ध्यान दे सकती हैं क्योंकि डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के एक नए प्रस्ताव के मद्देनजर वीजाधारकों को दिए जाने वाले वेतन में बढ़ोतरी हो सकती है। इस संबंध में अमेरिका के श्रम विभाग (डीओएल) ने पिछले सप्ताह सूचनाएवं नियामकीय मामलों के कार्यालय (प्रबंधन एवं बजट कार्यालय) को एक प्रस्ताव दिया है। हालांकि उस प्रस्ताव की प्रति सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि इससे एच-1बी, एल1 एवं अन्य गैर-आव्रजन वीजाधारकों के लिए वेतन की स्थिति बदल सकती है।
बीओबी कैपिटल मार्केट्स की सहायक उपाध्यक्ष रुचि बर्डे ने कहा, ‘वेतन में बदलाव संबंधी प्रस्ताव के विवरण के अभाव में भारतीय आईटी कंपनियों पर पडऩे वाले प्रभाव का आकलन करना मुश्किल है, लेकिन यह निश्चित रूप से एच-1बी वीजाधारक प्रतिभाओं की लागत को बढ़ाएगा। ऐसे में भारतीय आईटी कंपनियां अधिक से अधिक कार्य को स्थानीय स्तर पर निपटाने अथवा भारत को आउटसोर्स करने की कोशिश करेंगी।’ एविटर लीगल के संस्थापक पार्टनर रौनक सिंह ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि अमेरिका का श्रम विभाग एच1बी वीजाधारकों के लिए वेतन स्तर में बढ़ोतरी कर रहा है ताकि उसे अमेरिकी नागरिक के बराबर किया जा सके।’ उन्होंने कहा, ‘इस बदलाव के पीछे तर्क यह है कि अमेरिकी सरकार अमेरिकी नागरिक के लिए रोजगार को बढ़ावा देना चाहती है। एच1बी वीजा धारकों के लिए वेतन को अमेरिकी नागरिकों के समान किए जाने से नियोक्ता कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे।’ टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजिज जैसी प्रमुख भारतीय आईटी सेवा कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि वे अमेरिका में स्थानीय नियुक्तियां बढ़ाने और अधिक से अधिक काम को भारत भेजने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। इससे उन्हें आव्रजन संबंधी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। इस महीने के आरंभ में इन्फोसिस ने कहा था कि वह अगले दो वर्र्षों में 12,000 अमेरिकी कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी जिससे अगले पांच वर्र्षों के दौरान अमेरिका में उसके कुल कार्यबल की संख्या 25,000 हो जाएगी।

First Published - September 26, 2020 | 12:59 AM IST

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