विश्व बैंक (World Bank) ने पिछले सप्ताह चीन की आर्थिक वृद्धि (China’s economic growth) के पूर्वानुमान को 4.9 प्रतिशत कर दिया। साथ ही आगाह किया था कि व्यवसायों में कम होता विश्वास, बढ़ती उम्र की आबादी के साथ-साथ कम खपत तथा उच्च ऋण जैसे मुद्दे भविष्य में चीन की वृद्धि पर दबाव डालते रहेंगे। चीन की विनिर्माण गतिविधियां हाल ही में किए गए प्रोत्साहन उपायों तथा बढ़ते व्यापार जोखिमों के बीच दिसंबर में धीमी गति से बढ़ीं।
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (China’s National Bureau of Statistics) की ओर से मंगलवार को दी गई जानकारी के अनुसार, कारखाना प्रबंधकों के सर्वेक्षण पर आधारित क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Managers Index) दिसंबर में घटकर 50.1 पर आ गया। नवंबर में यह 50.3 पर था। सूचकांक के 50 से ऊपर होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा संकुचन दर्शाता है। यह लगातार तीसरा महीने 50 से ऊपर है जो विनिर्माण गतिविधियों में विस्तार का संकेत देता है।
कैपिटल इकोनॉमिक्स के गैब्रियल एनजी ने बयान ने कहा कि कारखाना गतिविधि में नरमी ‘‘उत्पादन घटक में गिरावट’’ की वजह से रही। दूसरी ओर, गैर-विनिर्माण क्षेत्र के लिए समानांतर क्रय प्रबंधक सूचकांक, जिसमें निर्माण तथा सेवाएं शामिल हैं वह दिसंबर में बढ़कर 52.2 पर रहा। नवंबर में यह 50 पर था।
नवंबर में चीन के औद्योगिक उत्पादन (China’s industrial output) में थोड़ी तेज़ी आई, जबकि खुदरा बिक्री ने निराश किया, जिससे बीजिंग पर दबाव बना रहा कि वह कमज़ोर अर्थव्यवस्था के लिए प्रोत्साहन बढ़ाए, जिससे चीनी अर्थव्यवस्था दूसरे ट्रम्प प्रशासन में और अधिक अमेरिकी व्यापार शुल्कों के लिए तैयार रहे। Mixed set of data, साल 2025 में चीनी नेताओं के सामने आने वाली चुनौतियों को दिखा रहा है, जब संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)के साथ व्यापार संबंध ऐसे समय में खराब हो सकते हैं, जब घरेलू खपत भी कमज़ोर बनी हुई है।
चीन के औद्योगिक उत्पादन में नवंबर में साल-दर-साल 5.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो अक्टूबर में देखी गई 5.3 प्रतिशत की गति से अधिक है, जैसा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NBS) के डेटा ने सोमवार को दिखाया, जो रॉयटर्स पोल में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीदों को पीछे छोड़ देता है। हालांकि, खुदरा बिक्री, जो खपत का एक पैमाना है, पिछले महीने केवल 3.3 प्रतिशत बढ़ी, जो अक्टूबर में देखी गई 4.8 प्रतिशत की वृद्धि से बहुत धीमी है। विश्लेषकों ने 4.6 प्रतिशत विस्तार की भविष्यवाणी की थी। प्रमुख ऑनलाइन शॉपिंग प्रमोशन और सरकार द्वारा सब्सिडी वाले ट्रेड-इन कार्यक्रमों के बावजूद खुदरा बिक्री के आंकड़े कमजोर हैं, जिससे ऑटोमोबाइल सहित अन्य क्षेत्रों में बिक्री में तेजी आई है।
जनवरी-नवंबर, 2024 में अचल संपत्ति निवेश में भी पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.3 प्रतिशत की धीमी गति से वृद्धि हुई, जबकि अपेक्षित 3.4 प्रतिशत की वृद्धि थी। जनवरी से अक्टूबर की अवधि में इसमें 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
एनबीएस के प्रवक्ता (NBS Spokesperson) फू लिंगहुई ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि खपत में सुधार की प्रवृत्ति में कोई बदलाव नहीं आया है और अधिकारी घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए और अधिक नीतियों को लागू करेंगे।
केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन (Central Economic Work Conference) में चीन के शीर्ष नेताओं ने बजट घाटे को बढ़ाने, अधिक ऋण जारी करने और खपत को बढ़ावा देने को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाने का संकल्प लिया। यह टिप्पणी इस महीने की शुरुआत में कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष अधिकारियों, पोलित ब्यूरो की एक बैठक द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को बताती है, जिसने 14 वर्षों में अपने रुख में पहली बार ढील देते हुए “appropriately loose” monetary policy का समर्थन किया।
चीनी नीति निर्माता वर्षों से चल रहे संपत्ति संकट से जूझ रहे हैं, जो उपभोक्ता विश्वास और व्यापक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, जिसमें लगभग 70 प्रतिशत घरेलू बचत रियल एस्टेट में लगी हुई है। चीन के नए घरों की कीमतों में कुछ उत्साहजनक संकेत मिले हैं, जो नवंबर में 17 महीनों में सबसे धीमी गति से गिरे हैं।
हाल के महीनों में अधिकारियों ने घर खरीदने को प्रोत्साहित करने के प्रयासों को दोगुना कर दिया है, जिसमें बंधक दरों और न्यूनतम डाउन-पेमेंट अनुपात में कटौती, साथ ही आवास लेनदेन की लागत को कम करने के लिए कर प्रोत्साहन शामिल हैं। हालांकि, अधिकांश विश्लेषकों का कहना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में निश्चित सुधार अभी दूर की बात है।
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रॉयटर्स ने बताया है कि नीति सलाहकारों ने सिफारिश की है कि बीजिंग अगले साल के लिए लगभग 5.0 प्रतिशत की वृद्धि लक्ष्य बनाए रखे, एक सरकारी अर्थशास्त्री ने कहा कि चीन घरेलू मांग को और बढ़ाकर अपने निर्यात पर अपेक्षित अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकता है। ट्रंप, जो जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने वाले हैं, ने चीनी वस्तुओं के आयात पर 60 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी है।
रॉयटर्स ने पिछले सप्ताह यह भी बताया कि चीन दंडात्मक व्यापार उपायों के जवाब में युआन को कमज़ोर करने पर विचार कर रहा है, लेकिन CEWC के बाद सरकारी मीडिया शिन्हुआ के एक रीडआउट ने युआन की बुनियादी स्थिरता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। हाल ही में रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि चीन अगले साल 4.5 प्रतिशत की वृद्धि करेगा, जिसमें नए अमेरिकी टैरिफ संभावित रूप से विकास में 1 पैरेंटेज पॉइंट तक की कमी लाएंगे।
2024 की जनवरी-फरवरी से ही चीन की इकानॉमी के हालात बुरे ही दिख रहे थे। Reutersद्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया था कि चीनी निर्माता विदेशी खरीदारों को आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे और उन्हें घरेलू स्तर पर नीतिगत समर्थन की आवश्यकता थी। जिसके चलते चीन के निर्यात में जनवरी-फरवरी, 2024 की अवधि में धीमी वृद्धि होने की आशंका जताई गई थी। 34 अर्थशास्त्रियों के औसत अनुमान के अनुसार, जनवरी-फरवरी, 2024 अवधि के लिए अमेरिकी डॉलर में निर्यात में साल-दर-साल 1.9% की वृद्धि होने की उम्मीद थी, यह दिसंबर, 2023 में दर्ज की गई 2.3% की वृद्धि से कम थी।
चीन के राज्य आर्थिक योजनाकार के प्रमुख ने कहा था कि जनवरी-फरवरी के दौरान चीन के निर्यात में 10% की वृद्धि हुई। यह वृद्धि युआन या डॉलर में हुई है, यह स्पष्ट नहीं किया। चीन की सीमा शुल्क एजेंसी हर साल फरवरी में पड़ने वाले चंद्र नव वर्ष के बदलते समय के कारण उत्पन्न विकृतियों को दूर करने के लिए जनवरी और फरवरी के संयुक्त व्यापार डेटा प्रकाशित करती है। वहीं चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने 2024 के लिए 5% का आर्थिक विकास लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य महत्वाकांक्षी था, क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था (Chinese Economy) पिछले कुछ वर्षों में धीमी हो रही है। ली कियांग ने देश के विकास मॉडल को बदलने का भी वादा किया है, जो तैयार माल के निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। फरवरी, 2024 में, चीन की विनिर्माण गतिविधि में लगातार पांचवें महीने गिरावट जारी रही, जैसा कि 1 मार्च, 2024 को सरकार के purchasing managers के इंडेक्स द्वारा दिखाया गया था। इसके अलावा, नए निर्यात ऑर्डर में लगातार 11वें महीने गिरावट आई थी।
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इकॉनमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के वैश्विक परिदृश्य रिपोर्ट में भारत के 2024-28 के दौरान सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने का अनुमान जताया गया है। भारत की वृद्धि चीन से अधिक होने का आकलन है। Economist Intelligence Unit’s Global Outlook report के अनुसार भारत की आर्थिक ताकत का तेजी से विस्तार होगा। 2040 के मध्य तक ब्रिक्स देश जी-7 की नॉमिनल जीडीपी से आगे निकल जाएंगे। ईआईयू ने 2024 के वास्तविक जीडीपी वृद्धि के अनुमान को संशोधित कर 2.5 प्रतिशत कर दिया है जबकि यह पहले 2.4 प्रतिशत था।
ईआईयू की वैश्विक परिदृश्य रिपोर्ट के अनुसार ‘वर्ष 2023 से वृद्धि धीमी पड़ने की बजाये कोई बदलाव नहीं होगा। यह वृद्धि उच्च ब्याज दरों और भूराजनीतिक जोखिमों से निपटने के लिए अप्रत्याशित रूप से मजबूत सिद्ध हो रही है।’ ईआईयू ने अगले पांच वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का आकलन किया है। बहरहाल, विश्व अर्थव्यवस्था की विकास की संभावनाएं बिखराव और क्षेत्रीयकरण के कारण कम हो गई हैं। ईआईयू की रिपोर्ट के अनुसार, ‘औद्योगिक नीति की वापसी के तहत प्रतिबंध और नए पहलों के लिए उपबंध हैं और यह कंपनियों पर अपर्याप्त आपूर्ति श्रृंखला को अपनाने के लिए दबाव डालेगी। इससे कंपनियों पर रणनीतिक क्षेत्रों में कारोबारी दबाव बढ़ेगा और इससे वैश्विक मार्केट प्लेस में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा।’
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने अप्रैल की मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि वित्त वर्ष 24 में बाजार के अनुमान से भी मजबूत वृद्धि हुई। शुरुआती संकेतक सुझाव देते हैं कि वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में भी आर्थिक गति कायम रहेगी।
एसऐंडपी की ग्लोबल मार्केट इंटेलीजेंस (S&P Global Market Interligence Report) की अक्टूबर 2023 की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि भारत 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इस क्रम में भारत की अर्थव्यवस्था जर्मनी और जापान से आगे निकल जाएगी।
आज चीन की श्रम योग्य आबादी में करीब एक अरब लोग शामिल हैं। अब से आगे हर दशक इनमें करीब 10 करोड़ की कमी आएगी। उदाहरण से समझें तो ये 10 करोड़ की आबादी जर्मनी की कामगार आयु की आबादी की दोगुनी है। आगामी 20 साल में चीन में 20 करोड़ श्रमिक कम होंगे जबकि भारत में 17.5 करोड़ बढ़ेंगे। भारत की अर्थव्यवस्था को युवा जनसांख्यिकीय और तेजी से बढ़ती शहरी आमदनी से मजबूती मिलेगी।
चीन में अगले एक दशक में 60 से अधिक आयु तथा 15-59 की आयु के लोगों की का अनुपात यानी निर्भरता अनुपात 30 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा। 2001 में यह अनुपात केवल 15 फीसदी था। 2031-32 तक चीन की आबादी में 60 से अधिक उम्र के लोग, अमेरिका से अधिक होंगे। 2036 तक चीन में उम्रदराजों का निर्भरता अनुपात अमेरिका से अधिक होगा। बढ़ता निर्भरता अनुपात गिरती उत्पादकता और बढ़ती राजकोषीय चुनौतियों का प्रतीक होता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के मुताबिक 2100 तक चीन की आबादी 46 फीसदी घटकर 77 करोड़ रह जाएगी। वहीं माध्य अनुमान के मुताबिक उस समय तक चीन की आबादी गिरकर मात्र 63 करोड़ रह जाएगी। यह भी तथ्य है कि यह आंकड़ा निरंतर गिर रहा है। उदाहरण के लिए 2010 में ऐसे ही अनुमान में कहा गया था कि 2100 तक चीन की श्रम योग्य आबादी वर्तमन अनुमान से 12.5 करोड़ अधिक होगी।