facebookmetapixel
IPO Alert: PhysicsWallah जल्द लाएगा ₹3,820 करोड़ का आईपीओ, SEBI के पास दाखिल हुआ DRHPShare Market: जीएसटी राहत और चीन से गर्मजोशी ने बढ़ाई निवेशकों की उम्मीदेंWeather Update: बिहार-यूपी में बाढ़ का कहर जारी, दिल्ली को मिली थोड़ी राहत; जानें कैसा रहेगा आज मौसमपांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुई

अमेरिका-चीन शुल्क समझौते के बाद ढुलाई दरों में बढ़ोतरी, कार्गो की आवाजाही में आएगी तेजी

उल्लेखनीय है कि चीन से अमेरिका जाने वाले कंटेनरों की ढुलाई दर में लगभग 20 प्रतिशत या 704 डॉलर की वृद्धि के कारण यह तेजी आई।

Last Updated- May 18, 2025 | 11:16 PM IST
Cargo

अमेरिका द्वारा चीन के साथ 90 दिन के लिए शुल्क युद्ध में विराम की घोषणा के बाद भारत के मालवाहकों की चिंता बढ़ गई है। चीनी माल भेजने की होड़ के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान का खतरा बढ़ा है। ओस्लो की मार्केट इंटेलिजेंस फर्म जेनेटा के मुख्य विश्लेषक पीटर सैंड ने कहा, ‘अमेरिका-चीन द्वारा शुल्क में अस्थायी रूप से कमी करने की घोषणा से शिपर्स को 90 दिन का अवसर मिला है। इस दौरान मालवाहकों की कवायद होगी कि अधिकतम आयात कर लें। शिपर्स के पास बर्बाद करने के लिए वक्त नहीं है। ऐसी स्थिति में कार्गो की भीड़ बढ़ने से ट्रांस पैसिफिक कारोबार में कार्गो की हाजिर दरों में तेजी को लेकर दबाव बढ़ेगा।’

इस घोषणा का असर तत्काल दिखने लगा। गुरुवार को वैश्विक बेंचमार्क इंडेक्स, ड्रेवरी वर्ल्ड कंटेनर इंडेक्स तेजी से 8 प्रतिशत बढ़कर 2,233 डॉलर पर पहुंच गया। इसमें कई सप्ताह से गिरावट आ रही थी। ड्रेवरी इंडेक्स से पूर्व-पश्चिम के 8 जलमार्गों की माल ढुलाई की दरों का साप्ताहिक मापन होता है। उल्लेखनीय है कि चीन से अमेरिका जाने वाले कंटेनरों की ढुलाई दर में लगभग 20 प्रतिशत या 704 डॉलर की वृद्धि के कारण यह तेजी आई। इस मार्ग पर 40 फुट के कंटेनर की औसत ढुलाई लागत अब 4,350 डॉलर है।

जीना ऐंड कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी प्रेदिमन कौल ने कहा, ‘शुल्क को लेकर 90 दिन के संघर्ष विराम ने कंटेनर शिपिंग की संख्या में संभावित वृद्धि की पृष्ठभूमि तैयार कर दी है। राहत की इस अवधि के दौरान अमेरिका और चीन के बंदरगाहों पर भीड़ बढ़ सकती है। भारत के निर्यातकों के हिसाब से देखें तो इस समझौते के दो पहलू हैं। एक तरफ तो यह निर्यातकों के लिए निर्यात बढ़ाने का मौका है और वे कम शुल्क का लाभ उठाकर अमेरिका को निर्यात तेज कर सकते हैं। दूसरी संभावना यह भी है कि आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पैदा हो जाए, क्योंकि लॉजिस्टिक्स सेवाओं की मांग बढ़ने से क्षमता की कमी के कारण ढुलाई दर बढ़ सकती है।’

इस सेक्टर के विशेषज्ञों के मुताबिक इसका मतलब यह है कि शिपिंग की क्षमता का बेहतर इस्तेमाल होगा और ढुलाई के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर बातचीत करते समय मोलभाव करने की क्षमता रहेगी। भारत के कारोबारियों को व्यवधान कम करने के लिए अतिसक्रिय रुख अपनाना होगा। इसमें आपूर्ति श्रृंखला मार्गों का आकलन, मौजूदा क्षमता का पूरा इस्तेमाल और वेंडरों के साथ तालमेल में सुधार शामिल है। कुछ लोगों का मानना ​​है कि चीन और अमेरिका के बीच हुए समझौते से पहले से ही अस्त-व्यस्त शिपिंग क्षेत्र व्यवस्थित होगा।

लॉजिस्टिक्स कंपनी हेक्सालॉग के सह संस्थापक विनीत मलिक ने कहा, ‘अगले 90 दिनों में कंटेनर दर पर दबाव में कुछ अल्पकालिक कमी आ सकती है। साथ ही हवाई और समुद्री माल ढुलाई के शेड्यूल में पूर्वानुमान की उम्मीद की जा सकती है। खासकर ट्रांस पैसिफिक और एशिया-यूरोप मार्गों पर ऐसा होने की संभावना है।’

सैंड ने कहा, ‘हाजिर दरें शुरुआत में तेज होंगी। उसके बाद ढुलाई करने वालों द्वारा क्षमता को नए सिरे से व्यवस्थित करने के बाद इसमें स्थिरता आ जाएगी, और दरें गिरने लगेंगी। हमने जनवरी-मार्च में ऐसा देखा था। ऐसा अगले 2 से 4 सप्ताह के दौरान होने की संभावना है।’

सीजफायर की घोषणा के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण वाणिज्यिक और सुरक्षा के हिसाब से भारतीय ट्रांसपोर्टरों पर दोहरी मार पड़ रही है। निजी क्षेत्र का कहना है कि उद्योग के धैर्य की ऐसी परीक्षा पहले कभी नहीं हुई थी।

सभी भारतीय बंदरगाहों और व्यापारिक जहाजों को कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा गया है। हालांकि कोई दुर्घटना नहीं हुई है, लेकिन अरब सागर जोखिम भरा क्षेत्र बना हुआ है। कौल ने कहा कि अरब सागर में नौसेना की गतिविधियां बड़ने के कारण माल ढुलाई की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है और हमारा उद्योग वैकल्पिक मार्ग तलाश रहा है।

First Published - May 18, 2025 | 11:16 PM IST

संबंधित पोस्ट