खेल उत्पादों के दो बड़े ब्रांड एडीडास और प्यूमा का नाम तो सबने सुन रखा होगा, पर हमसे से शायद ही कुछ लोग होंगे जिन्हें यह पता होगा कि इन दो कंपनियों के बनने के पीछे क्या कहानी थी।
दरअसल खेल उत्पादों के इन दोनों दिग्गजों के तैयार होने में दो भाइयों की आपसी प्रतिस्पद्र्धा थी। जर्मनी के एक छोटे से गांव में रहने वाले दो भाइयों एडोल्फ और रुडोल्फ डैसलर ने इन कंपनियों को खड़ा किया था। इन कंपनियों के गठन की कहानी को बारबरा स्मिथ ने अपनी किताब स्नीकर वार्स में बयान किया है।
इसमें बताया गया है कि डैसलर बंधुओं ने सबसे पहले अपनी मां के लॉन्ड्री रूम से जूते बनाने शुरू किए थे। यह पहले विश्व युद्ध के बाद की बात है। दूसरे विश्व युद्ध के आते आते इन दोनों भाइयों में जलन और संदेह ने घर कर लिया और इस तरह उन्होंने अपने काम को एडीडास और प्यूमा दो ब्रांड नामों के साथ चलाना शुरू कर दिया। ये इन दोनों भाइयों के बीच आपसी रंजिश का ही नतीजा था कि आधुनिक खेल उत्पाद उद्योग की बुनियाद रखी गई।
एडोल्फ जो जूते बनाने में माहिर था, पहले विश्व युद्ध के बाद उन फौजियों के हथियारों का इस्तेमाल किया करता था, जिसे फौजी इस युद्ध में छोड़कर चले गए थे। चमड़े को काटने और उसे आकार देने के लिए एडोल्फ फौजियों के हेलमेट का इस्तेमाल किया करता था। वही दूसरा भाई रुडोल्फ को तैयार उत्पादों को बेचना अच्छा लगता था। या फिर आधुनिक समय के संदर्भ में कह सकते हैं वह सेल्समैन कला में निपुण था। रुडोल्फ ने अपने भाई के कारोबार में हाथ बंटाने का काम 1923 से शुरू किया था।
1930 के आते आते इन दोनों भाइयों के कारोबार ने अच्छा खासा रंग दिखाना शुरू कर दिया था। उनके कारोबार के फलने फूलने की एक वजह यह भी थी कि जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर को खेलों और उससे जुड़े उत्पादों से बेहद लगाव था। पर इन दोनों भाइयों के बीच दूसरे विश्व युद्ध के दौरान से खटपट शुरू हो गई थी। एडोल्फ को इस युद्ध में सैन्य सेवा से बाहर निकाल दिया गया था और रुडोल्फ को जबरन सेना में भर्ती किया गया था। एडोल्फ ने इसका आरोप अपने भाई पर लगाया।
जैसे ही युद्ध खत्म हुआ ये दोनों भाई ऑरेच नदी के दो किनारों पर बसने चले गए। इन दोनों ने अपनी अपनी कंपनियां खोल लीं। एडोल्फ डैसलर ने अपने नाम के पहले दो अक्षरों को जोड़कर कंपनी का नाम एडीडास रख लिया। रुडोल्फ ने भी पहले अपनी कंपनी का नाम रूडा रखा था, पर बाद में उसने इसे बदलकर प्यूमा रख लिया। एडीडास ने 1936 में पहली बार खासी ख्याति प्राप्त की थी जब बर्लिन ओलंपिक्स के दौरान कंपनी के बनाए जूते को पहनकर एथलीट जेसे ओवन्स ने जीत हासिल की थी।
ओवन्स जब यूरोप के ट्रिप पर गए थे तो उनके जूते सबके बीच चर्चा का विषय बन गया था और तब से ही इस कंपनी का नाम खेल उत्पाद बाजार में चमकने लगा। एडोल्फ अपने काम को लेकर इतने गंभीर थे कि कई दफा तो वह खुद खेल के मैदान पर जर्मनी की फुटबॉल टीम के लिए टूल बॉक्स लेकर जाते थे और खिलाड़ियों के जूतों में कोई गड़बड़ी आने पर उसे खुद ठीक करते थे।
जूतों को तैयार करने की उनकी ही तकनीक का नतीजा था कि जर्मनी ने 1954 का फुटबॉल वर्ल्ड कप जीता। इसी का नतीजा था कि देश की टीम ने एडीडास पर भरोसा जताना शुरू कर दिया और कंपनी को ज्यादा से ज्यादा ठेके मिलने लगे। हालांकि 1980 के दौरान दोनों ही भाइयों की कंपनियां अमेरिका में नाइकी और रिबोक के सामने पिछड़ने लगीं। हालात तब और बिगड़ गए जब नाइकी ने बास्केटबॉल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन के साथ करार किया।
जॉर्डन ने कंपनी के लिए प्रचार करना शुरू किया। पर उसके बाद दोनों ही कंपनियों ने प्रचार पर काफी जोर दिया और बाजार में अच्छी वापसी की। एडीडास को डिस्ट्रीब्यूशंस के अधिकार वापस लेने के लिए 12 करोड़ डॉलर खर्च करने पड़े थे। पर प्यूमा के बाद स्थितियां उसके बाद भी कुछ खास अच्छी नहीं हो सकीं। डायचे बैंक ने कंपनी पर कब्जा जमा लिया और 1989 में उसे बेच दिया गया।