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सेम सैक्स मैरिज पर SC में सुनवाई हुई शुरू, जानें मामले से जुड़ी हर बात

Last Updated- April 18, 2023 | 6:35 PM IST
Supreme Court

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में आज समान-लिंग विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर सुनवाई चल रही है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और अन्य न्यायाधीशों वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

याचिका में विशेष विवाह अधिनियम, विदेशी विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम सहित कई अधिनियमों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की गई है।

कैसे पहुंचा यह मामला मौजूदा स्थिति में:

  • नवंबर 2022 में, दो समलैंगिक जोड़ों ने विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए एक याचिका दायर की और अनुरोध किया कि इसे जेंडर-न्यूट्रल बनाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र और भारत के अटॉर्नी जनरल से जवाब मांगा।
  • 14 दिसंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने एक समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर नोटिस जारी किया। जिसने विदेशी विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग की थी। एक पति/पत्नी भारतीय नागरिक थे और दूसरे अमेरिकी नागरिक।
  • 6 जनवरी, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में पेंडिंग सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले में सहायता के लिए भारत संघ और याचिकाकर्ताओं के लिए नोडल वकील नियुक्त किए।
  • 12 मार्च, 2023 को, केंद्र ने समान-सेक्स विवाह का विरोध करते हुए एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि यह एक भारतीय परिवार की अवधारणा के खिलाफ है जिसमें एक पुरुष और महिला शामिल हैं और यह कि सामाजिक और धार्मिक कारणों से विधायी नीति को बदलना संभव नहीं होगा।
  • 1 अप्रैल, 2023 को जमात उलमा-ए-हिंद ने ‘इस्लाम के समलैंगिकता पर बैन’ का हवाला देते हुए समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिका का विरोध किया।
  • 15 अप्रैल, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए पांच जजों की बेंच के गठन को सूचित किया।
  • 17 अप्रैल, 2023 को, केंद्र ने एक नया आवेदन दिया, जिसमें याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाया गया था। जिसमें कहा गया था कि समान-सेक्स विवाहों की मान्यता विधायिका के अधिकार क्षेत्र में होनी चाहिए, न कि न्यायपालिका के माध्यम से। केंद्र ने तर्क दिया कि विवाह एक विषमलैंगिक संस्था है जो भारतीय सामाजिक ढांचे से गहराई से जुड़ी है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि अगर एक ही लिंग के दो व्यक्ति बच्चों का पालन पोषण करेंगे, तो इसका असर बच्चों पर पड़ सकता है क्योंकि उन्हें इसकी वजह से जेंडर के भूमिका और उनकी पहचान करने में भी भविष्य में दिक्कत आ सकती है। जबकि दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) ने समान-लिंग का समर्थन करते हुए एक इंटरवेंशन दायर किया।

उनका कहना है कि कोई कानूनी सबूत नहीं है कि समलैंगिक जोड़े माता-पिता बनने के लिए अयोग्य हैं या यह बच्चों के दिमाग के विकास (psychological development) को प्रभावित करता है।

First Published - April 18, 2023 | 6:23 PM IST

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