जम्मू-कश्मीर में हवाई यातायात एवं पर्यटन पहलगाम आतंकवादी हमले की चोट से अब तक नहीं उबर पाए हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के आंकड़ों के अनुसार श्रीनगर, जम्मू और लेह हवाई अड्डों पर यात्रियों की आवाजाही अब भी पिछले साल के स्तर से काफी नीचे है। ये आंकड़े 2024 की समान अवधि में देखी गई निरंतर बढ़ोतरी से एकदम उलट हैं।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में तीन प्रमुख नागरिक हवाई अड्डे जम्मू, श्रीनगर और लेह हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने एएआई के आंकड़ों का विश्लेषण किया है जिसके अनुसार श्रीनगर हवाई अड्डे पर मासिक यात्री संख्या अब भी पिछले साल के स्तर पर नहीं लौट पाई है। इस साल मई में हवाई अड्डे पर 1,61,214 यात्रियों की आवाजाही हुई, जो सालाना 67.1 प्रतिशत की कमी है। अगस्त में इस हवाई अड्डे से 2,57,867 यात्रियों की आवाजाही हुई जो पिछले साल समान अवधि की तुलना में 17.9 प्रतिशत कम है।
इस क्षेत्र में यात्रा परिचालकों ( टूर ऑपरेटर) के लिए यह एक निराशाजनक मौसम रहा है। इस क्षेत्र के एक होटल परिचालक ने कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद भारत और पाकिस्तान में हुई सैन्य झड़प स्थानीय पर्यटन अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका था। रही-सही कसर भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने पूरी कर दी। इस क्षेत्र में अप्रैल में होटलों में कमरे खाली रहने लगे हैं।’
कुल मिलाकर, इस साल अप्रैल-अगस्त की अवधि में श्रीनगर हवाई अड्डे पर सालाना यात्री की संख्या में 33.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 10.2 प्रतिशत बढ़ी थी।
जम्मू हवाई अड्डे का हाल भी ऐसा ही है। इस साल मई में जम्मू हवाई अड्डे से 68,654 यात्रियों ने सफर किया, जिसमें सालाना 51.6 प्रतिशत की कमी आई है। टूर ऑपरेटरों को कारोबार में सुधार की उम्मीद जगी थी मगर अब तक उन्हें मायूसी ही हाथ लगी है। अगस्त में जम्मू हवाई अड्डे पर 1,07,260 यात्रियों की आवाजाही हुई, जो सालाना आधार पर 14.4 प्रतिशत कम है।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अध्यक्ष रवि गोसाईं ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में हाल की दुखद घटनाओं और मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव ने यात्रियों के आत्मविश्वास को हिला दिया है। होटल व्यवसायियों और हाउसबोट मालिकों से लेकर गाइड, कारीगरों और परिवहन कारोबार से जुड़े लोगों सभी को तगड़ा नुकसान हुआ है।’ उन्होंने कहा, ’पर्यटन क्षेत्र स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। मगर हालात खराब रहने से हजारों परिवारों के गुजर-बसर पर सीधी चोट पड़ती है।’
लेह हवाई अड्डे पर भी यात्रियों की आवाजाही कम हुई है। इस हवाई अड्डे पर मई में 79,572 यात्रियों की आवाजाही हुई जो सालाना आधार पर 37.2 प्रतिशत कम है। अगस्त तक स्थिति सामान्य नहीं हुई थी क्योंकि तब तक 1,01,420 यात्रियों की ही आवाजाही हो पाई जो सालाना आधार पर 20 प्रतिशत कम है।
पूरे क्षेत्र में हवाई यात्रा में गिरावट की वजह केवल भू-राजनीतिक और मौसमी से जुड़ी चिंताओं तक ही सीमित नहीं हैं। आध्यात्मिक पर्यटन (जिसमें वार्षिक अमरनाथ यात्रा और वैष्णो देवी मंदिर जैसे अन्य शामिल हैं) भी इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। मगर हेलीकॉप्टर सेवाओं पर प्रतिबंध लगने से आध्यात्मिक पर्यटन से जुड़े कारोबार भी प्रभावित हुए हैं।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इस साल जुलाई में गुफा मंदिर के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं बंद कर दी थीं। अमरनाथ यात्रा का आयोजन करने वाले एक टूर ऑपरेटर वंडर वर्ल्ड यात्रा के बिक्री विभाग के जतिन नागर ने कहा, ‘हमारे यहां कुल जितनी बुकिंग हुई थी उसका लगभग 60 प्रतिशत हेलीकॉप्टर यात्रा के लिए थी। मगर प्रतिबंध की घोषणा के बाद ये बुकिंग रद्द हो गई।’ पहलगाम हमले के बाद कंपनी को इस साल किराये में 6-7 प्रतिशत की कमी भी करनी पड़ी।
जम्मू क्षेत्र में एक अन्य होटल कारोबारी कहा, ‘मेरे होटल में इस साल सबसे अधिक कारोबार वाले समय में भी कमरे भरने की दर 6-8 प्रतिशत तक ही रही। यह साल कारोबार के लिहाज से नागवार गुजर रहा है। उम्मीद तो यही है कि अगले साल हालात बेहतर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के बेहतर इंतजाम और वित्तीय समर्थन की अदद जरूरत महसूस हो रही है।’
फेडेरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडियन टूरिज्म ऐंड हॉस्पिटैलिटी के महासचिव राजीव मेहरा ने कहा, ‘पहलगाम की घटना ने कश्मीर में पर्यटन क्षेत्र को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया था। शुरू में हर कोई सदमे में था लेकिन सरकार की पहल के बाद हालात बेहतर हुए हैं। हमें उम्मीद है कि आने वाले महीनों में हालात सामान्य हो जाएंगे।’
फेडेरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडियन टूरिज्म ऐंड हॉस्पिटैलिटी के महासचिव राजीव मेहरा ने कहा,‘हमें सरकार से और भी उम्मीदें हैं। सबसे पहले सरकार को सुरक्षा इंतजाम और पुख्ता करना चाहिए और राज्य और विदेश में कारोबार के अवसर भी सुनिश्चित किए जाने चाहिए। चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच बंद पर्यटन स्थल खोलने के साथ पूरे आतिथ्य क्षेत्र (होटल, टूर ऑपरेटर और स्थानीय गाइड) को प्रोत्साहन की आवश्यकता है।’
इस साल की शुरुआत में एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि राज्य सरकार ने विकास के लिए नौ नए पर्यटन स्थलों की पहचान की है और उनके लिए 5,500 करोड़ रुपये रकम के इंतजाम में जुट गई है।