लखनऊ में बिजली कंपनियों में चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के चयन तथा कुछ अन्य मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश के विद्युतकर्मियों की तीन दिन की हड़ताल गुरुवार रात 10 बजे शुरू हो गई। वहीं सरकार ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए काम पर नहीं आने वाले संविदाकर्मियों को बर्खास्त करने और प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है। उधर, बिजलीकर्मियों के एक अन्य धड़े ने इस हड़ताल के मद्देनजर अपने अभियंताओं को दो घंटे अतिरिक्त काम करने को कहा है।
इस हड़ताल का आह्वान करने वाली ‘विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति’ के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रदेश के करीब एक लाख बिजलीकर्मियों ने आज रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, ‘‘आनपारा, ओबरा, पारिछा और हरदुआगंज विद्युत संयंत्रों में रात्रि पाली के सभी शत प्रतिशत कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियन्ता हड़ताल पर चले गए हैं। ताप बिजली घरों में रात्रि पाली में शत प्रतिशत हड़ताल हो गई है।’’
बिजलीकर्मियों की तीन दिवसीय हड़ताल शुरू
दुबे ने बताया कि प्रदेश में करीब 23 साल बाद बिजलीकर्मियों की पूर्ण हड़ताल हो रही है। उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर 2022 को प्रदेश सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच समझौता हुआ था। सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिये 15 दिन का समय मांगा था मगर अब तीन महीने से ज्यादा वक्त गुजर चुका है मगर समझौते पर अमल नहीं हुआ। उन्होंने कहा, सरकार ने समझौते में कहा था कि बिजली कम्पनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिये ही किया जाएगा, लेकिन इस व्यवस्था को बंद करके अब इन पदों पर स्थानांतरण के आधार पर तैनाती की जा रही है। यह टकराव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।
सरकार ने दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
इस बीच, प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने देर शाम प्रेस कांफ्रेंस में हड़ताल को लेकर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि संविदा पर कार्यरत बिजलीकर्मी अगर हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा। हड़ताल के मद्देनजर प्रदेश भर में अलर्ट घोषित किया गया है। मंत्री ने दावा किया कि कई बिजली संगठनों ने इस हड़ताल से खुद को अलग कर लिया है और बहुत से कर्मचारी काम करना चाहते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी ने बिजली कर्मचारियों को काम करने से रोका तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और यदि हड़ताल के दौरान कोई ‘नुकसान’ पहुंचाया गया तो रासुका के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हड़ताल से अगर जनता को परेशानी हुई तो सरकार हड़ताल कर रहे बिजलीकर्मियों पर आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) के तहत कार्रवाई करेगी। सरकार ने प्रदेश की विद्युत व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिये बंदोबस्त किये हैं। बिजली मंत्री ने कहा कि हड़ताल की घोषणा करने वाले संगठनों से सरकार लगातार बात कर रही है। आज भी दो घंटे तक बातचीत हुई मगर ‘हठधर्मी’ लोग बात सुनने को तैयार नहीं हैं। हालांकि सरकार ने बातचीत का रास्ता अब भी खुला रखा है।
अरविंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने बिजलीकर्मियों के साथ पिछली तीन दिसंबर को हुए समझौते के कई बिंदुओं पर कदम उठाये हैं। बाकी बिंदुओं पर भी विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस बीच, बिजलीकर्मियों के एक अन्य धड़े ‘उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन’ ने ‘विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति’ द्वारा घोषित हड़ताल के मद्देनजर सभी जिलों में अपने सदस्यों से कहा है कि वे दो घंटे अनिवार्य रूप से अतिरिक्त काम करें ताकि प्रदेश की विद्युत व्यवस्था ठीक रहे। एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि उन बिजली अभियंताओं को खास तौर से जिम्मेदारी दी गई है जो बाधित बिजली आपूर्ति को ठीक करने में माहिर हैं।
आखिर क्या चाहते हैं हड़ताल करने वाली कर्मी
‘विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति’ के संयोजक दुबे ने कहा कि 3 दिसंबर 2022 को बिजलीकर्मियों और सरकार के बीच हुए समझौते में कई बिन्दुओं पर सहमति बनी थी। इनमें ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एवं प्रबन्ध निदेशक का चयन समिति द्वारा किया जाना, पूर्व की तरह मिल रहे तीन पदोन्नति पदों के समयबद्ध वेतनमान के आदेश किया जाना, बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉईज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना और पारेषण के विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालन एवं अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बन्द करना प्रमुख रूप से शामिल हैं।
दुबे ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों की हड़ताल के समर्थन में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स के आह्वान पर देश भर के करीब 27 लाख बिजलीकर्मियों ने प्रदर्शन किया। एनसीसीओईईई के राष्ट्रीय संयोजक प्रशान्त चौधरी ने कहा है कि अगर शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन कर रहे उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों का किसी भी प्रकार से उत्पीड़न किया गया तो देश के अन्य प्रांतों के 27 लाख बिजलीकर्मी मूकदर्शक नहीं रहेंगे और ऐसे किसी भी दमनकारी कदम का देशभर में पुरजोर विरोध किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों की 72 घंटे की हड़ताल गुरुवार रात 10 बजे से शुरू हो गई है। इस हड़ताल के समर्थन में देशभर के 27 लाख बिजलीकर्मी सड़कों पर उतर आए हैं। शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी बिजलीकर्मी को गिरफ्तार किया गया तो अनिश्चितकालीन हड़ताल के साथ जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दी गई है। वहीं, योगी सरकार सख्ती के मूड में आ गई है। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि कार्यों में व्यवधान डालने, कार्मिक के साथ दुर्व्यवहार करने, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में एनएसए और रासुका के प्रावधानों के तहत भी एक्शन लिया जाएगा।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया है। गुरुवार रात से पूरे राज्य में कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों ने कहा है कि अगर हमारे किसी कर्मचारी पर एक्शन लिया गया तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे। वहीं, मंत्री शर्मा ने स्पष्ट कहा है कि अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल विद्युत व्यवस्था में किसी भी प्रकार का व्यवधान डालने पर एस्मा के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में रुकावट पैदा करने वाले और लोगों की उपलब्ध सुविधाओं में अड़चनें पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।
आंदोलन का ऐलान करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि जो समझौता हुआ था, उसका इम्प्लीमेंट होना चाहिए। अगर समझौते का पालन नहीं होगा तो प्रश्नचिन्ह खड़ा होगा। हमारी नाराजगी किसी से नहीं है। एक लाख कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे। देश के 27 लाख कर्मियों के संगठन भी हमारे समर्थन में आए हैं। कर्मचारी संगठन का कहना है कि गुरुवार की मीटिंग में भी प्रबंधन के लोग नहीं आए। पावर कॉरपोरेशन के रवैये से हम हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हुए हैं। हम किसी से भी बात करने को तैयार हैं। विद्युत संघर्ष समिति ने 72 घंटे का कार्य बहिष्कार प्रस्तावित किया है।
बिजलीकर्मियों ने बताया कि गुरुवार रात 10 बजे से 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स(एनसीसीओईईई) के आह्वान पर हड़ताल शुरू हुई है। इस हड़ताल के समर्थन में देश के सभी प्रांतों में लाखों बिजलीकर्मी सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। एनसीसीओईईई के राष्ट्रीय संयोजक प्रशान्त चौधरी, आज इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल पी। रत्नाकर राव, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर।के। त्रिवेदी ने गुरुवार को लखनऊ पहुंच कर बिजलीकर्मियों की सभा को संबोधित किया।
कर्मचारियों ने आगे कहा है कि 28000 मेगावाट की मांग है। एनटीपीसी और प्राइवेट घरानों से महंगी बिजली खरीदी जा रही है। हमारे किसी कर्मचारी पर कार्रवाई हुई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। एनसीसीओईईई के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन कर रहे उप्र के बिजलीकर्मियों का किसी भी प्रकार से उत्पीड़न किया गया तो देश के अन्य प्रांतों के 27 लाख बिजलीकर्मी मूकदर्शक नहीं रहेंगे। किसी भी दमनकारी कदम का देशभर में प्रतिकार किया जायेगा। सरकार को एम्सा एक्ट को लागू करने का अधिकार बताते चलें कि राज्य सरकार को आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा एक्ट) लागू करने का अधिकार है। इस एक्ट के लागू होने के बाद आवश्यक सेवाओं में लगे सरकारी कर्मचारी किसी तरह की हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं। अगर कोई भी कर्मचारी हड़ताल करता है तो उस पर सख्त एक्शन लिया जा सकता है।