इस सप्ताह के अंत तक विदेश से भारत में 12 चीतों का दूसरा समूह आएगा। ये मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य में पिछले साल आए आठ चीतों के समूह में शामिल होंगे। दूसरे समूह में सात नर और पांच मादा हैं जो शनिवार को दक्षिण अफ्रीका से उड़ान भरेंगे।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से भारत लाने की गुरुवार को घोषणा की।
मंत्री ने कहा, ‘भारतीय वायुसेना का एक सी-17 विमान दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लाने के लिए गुरुवार सुबह देश से रवाना हुआ। इन चीतों के लिए कूनो अभयारण्य में दस संगरोध बाड़े बनाए गए हैं।’
दक्षिण अफ्रीका में, तीन चीतों को क्वाज़ुलु-नताल प्रांत में फिंडा क्वारंटाइन बोमा में और नौ चीतों को लिम्पोपो प्रांत में रूइबर्ग क्वारंटाइन बोमा में रखा गया है।
चीते शुक्रवार शाम दक्षिण अफ्रीका के गौटेंग के ओआर टैंबो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कुनो के लिए रवाना होंगे।
चीता प्रोजेक्ट प्रमुख एसपी यादव ने बताया कि चीते शनिवार सुबह 10 बजे मध्य प्रदेश के ग्वालियर एयरफोर्स बेस पर पहुंचेंगे और फिर उन्हें भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से ले जाया जाएगा।
एसपी यादव ने कहा, ‘अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण अभ्यास के दौरान चीता विशेषज्ञों, पशु चिकित्सकों और वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल चीतों के साथ जाएगा।’
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा, ‘फरवरी में 12 चीतों के आने के बाद, अगले 8 से 10 वर्षों के लिए सालाना 12 और चीतों को स्थानांतरित करने की योजना है। एमओयू की शर्तों की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए हर पांच साल में समीक्षा की जाएगी।’
महत्वाकांक्षी चीता पुन: परिचय कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर नामीबिया से आए आठ चीतों के पहले समूह को मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में छोड़ा था। इनमें पांच मादा और तीन नर थे।
चीता के पुन: परिचय के पहले चरण की सफलता के बारे में एसपी यादव ने कहा कि 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए गए सभी चीतों ने कूनो अभयारण्य में अपने परिवेश के लिए अच्छी तरह से अनुकूलन किया है। उन्होंने कहा, ‘सासा नाम की एक चीता को छोड़कर सभी चीते ठीक हैं और अब सासा भी ठीक हो रही है।’
उम्मीद की जा रही है कि चीतों की निगरानी करने वाली टीम जल्द ही पहले समूह के आठ चीतों को जंगल में छोड़ने पर फैसला लेगी। बड़े बाड़ों में पूरक शिकार को छोड़ने की योजना है जहां बाड़ों में समय बिताने के बाद चीतों को छोड़ा जाता है।