भारत का दूध उत्पादन पिछले 8 साल में 51 प्रतिशत बढ़ा है। विश्व के कुल दूध उत्पादन में 2021-22 में भारत की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत हो गई है। इसके बावजूद दूध में मिलावट भारतीय ग्राहकों की चिंता का प्रमुख विषय बना हुआ है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT Madras) और भारतीय विज्ञान, शिक्षा एवं शोध संस्थान (IISER ) भोपाल संयुक्त रूप से इसका समाधान निकालने में जुटे हैं। इस तरीके से एक बूंद दूध का इस्तेमाल कर वाष्पन तकनीक से मिलावट के बारे में जाना जा सकेगा।
इस तकनीक से दूध में स्टार्च मिलाए जाने की पहचान हो सकेगी और मात्रा के हिसाब से 0.005 प्रतिशत वजन तक स्टार्च की मिलावट का पता चल सकेगा। शोधकर्ताओं ने दूध व अन्य तरल पदार्थों में स्टार्च की मात्रा का पता लगाने के लिए बहुत आसान तकनीक पेश की है। इसे पोर्टेबल माइक्रोस्कोप के तहत दूध के ‘अवरुद्ध बूंद’ के रूप में जाना जाता है। परंपरागत तकनीक की तुलना में यह तरीका ज्यादा सस्ता, ज्यादा प्रभावी और सही है और इसे संबंधित जगहों पर स्थापित किया जा सकता है।
केंद्र सरकार की विभिन्न पहल के कारण भारत का कुल दूध उत्पादन 2014-15 के 1,463.1 लाख टन से बढ़कर 2021-22 में 2,211 लाख टन हो गया है। उद्योग के कुछ अनुमान के मुताबिक इसमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा मिलावटी होता है।
FSSAI द्वारा कराए गए पिछले देशव्यापी राष्ट्रीय दुग्ध सुरक्षा और गुणवत्ता सर्वे में पाया गया कि कुल 6,432 नमूनों में से सिर्फ 0.19 प्रतिशत मिलावट वाले थे।
आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के माडिवाला जी वासवराज ने कहा, ‘यह अवधारणा बूंद के वाष्पीकरण पर आधारित है। हमने अपनी परिकल्पना के मुताबिक परीक्षण किए हैं। स्टार्च सबसे सस्ता उपलब्ध विकल्प है, जिसकी मिलावट भारत मे होती है।’