भारत

सुप्रीम कोर्ट ने भूषण स्टील के मामले में NCLT की कार्रवाई पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूषण स्टील के परिसमापन पर फिलहाल कोई फैसला नहीं होगा, जेएसडब्ल्यू की याचिका पर सुनवाई 10 जून तक टाली गई

Published by
भाषा   
Last Updated- May 27, 2025 | 8:38 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने भूषण स्टील ऐंड पावर लिमिटेड (बीपीएसएल) के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष जारी परिसमापन कार्यवाही पर यथास्थिति बनाए रखने का सोमवार को आदेश दिया। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा के पीठ ने कहा कि बीपीएसएल के परिसमापन से पुनर्विचार याचिका पर असर होगा। जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की जानी है।

पीठ ने कहा, ‘इस स्तर पर कोई राय व्यक्त किए बिना, हमारा मानना है कि यह न्याय के हित में होगा यदि एनसीएलटी के समक्ष लंबित कार्यवाही पर यथास्थिति बनाए रखी जाए।’ न्यायालय ने कहा, ‘हम अपीलकर्ता के वरिष्ठ वकील के इस प्रतिवेदन को भी रिकॉर्ड में लेते हैं कि पुनर्विचार याचिका सीमा अवधि समाप्त होने से पहले और कानून के अनुसार दायर की जाएगी।’

सुनवाई के दौरान जेएसडब्ल्यू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने दलील दी कि एनसीएलटी पुनर्विचार याचिका दायर करने का समय समाप्त होने से पहले ही परिसमापक नियुक्त करने की कार्यवाही कर रहा है। कौल ने कहा, ‘यदि परिसमापक नियुक्त किया जाता है तो हम बड़ी मुश्किल में पड़ जाएंगे। यह एक लाभ कमाने वाली कंपनी है और यह समाधान योजना चार वर्ष साल पहले दी गई थी।’

ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के लिए नियुक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि मामले को 10 जून तक टाल दिया जाए। उन्होंने कहा, ‘मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूं। एनसीएलटी को मामले की सुनवाई करनी होगी। सवाल यह है कि किस तारीख पर। उन्हें 10 जून को इस मामले पर गौर करने के लिए कहें। सभी के हितों का ध्यान रखा गया है।’

पीठ के सामान्यतः ग्रीष्मावकाश के दौरान पुनर्विचार याचिकाएं सूचीबद्ध नहीं होने की बात कहने पर मेहता ने न्यायालय से कहा कि सीओसी को धनराशि वापस करनी होगी। मेहता ने कहा, ‘यह पांच साल पहले लागू की गई एक समाधान योजना है। हमने पैसे ले लिए हैं। अब, सब कुछ बदलने के लिए…उन्होंने अन्य बैंकों से पैसे लिए हैं। उनमें से कुछ विदेशी बैंक हैं। उनके लिए विदेशी बैंकों से निपटना मुश्किल होगा। इसलिए और कोई रास्ता निकालना होगा।’

पूर्व प्रवर्तक संजय सिंघल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता ने तर्क दिया कि एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ दायर जेएसडब्ल्यू की याचिका विचारणीय नहीं है।

First Published : May 27, 2025 | 8:38 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)