उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि यदि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 (NEET-UG 2024) की शुचिता ‘नष्ट’ हो गई है और पेपर सोशल मीडिया पर लीक हुआ है, तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा।
अदालत ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) और सीबीआई से प्रश्नपत्र लीक होने के समय तथा लीक होने और वास्तविक परीक्षा के बीच की अवधि आदि के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि क्या पेपर लीक का मामला पूरे व्यवस्थित ढंग से अंजाम दिया गया। यह भी पता लगाना होगा कि क्या इस धोखाधड़ी से फायदा उठाने वालों को ईमानदारी से परीक्षा देने वाले छात्रों से अलग करना संभव है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने कहा, ‘एक बात स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है।’ पीठ ने कहा कि प्रश्नपत्र लीक की सीमा और भौगोलिक सीमाओं के पार लाभार्थियों का पता लगाना होगा, उसके बाद ही अदालत दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दे सकती है।
नीट-यूजी में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय करते हुए शीर्ष अदालत ने सीबीआई (CBI) के जांच अधिकारी को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
सीबीआई कदाचार, ‘ओएमआर’ शीट में हेरफेर, अभ्यर्थी के बदले किसी अन्य के परीक्षा देने और धोखाधड़ी के आरोपों की जांच कर रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसकी जांच करनी होगी कि क्या कथित उल्लंघन प्रणालीगत स्तर पर हुआ है, क्या उल्लंघन ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता को प्रभावित किया है और क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है।
पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी गड़बडि़यां रोकने के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित करने पर विचार करे। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘नष्ट’ हो गई है और यदि इसके लीक प्रश्नपत्र को सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा।
उसने कहा कि यदि प्रश्नपत्र लीक टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से हो रहा है, तो यह ‘जंगल में आग की तरह फैलेगा।’
पीठ ने एनटीए से उन केंद्रों और शहरों की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी, जहां प्रश्नपत्र लीक हुए थे। पीठ ने साथ ही इसके लाभार्थियों की पहचान करने के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों और अब तक पता लगाई गई उनकी संख्या के बारे में भी जानकारी मांगी।
पीठ ने कहा कि इसमें कुछ चेतावनी के संकेत हैं, क्योंकि 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए हैं। पीठ ने कहा, ‘पिछले वर्षों में यह अनुपात बहुत कम था।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह जानना चाहता है कि प्रश्नपत्र लीक से कितने लोगों को लाभ हुआ और केंद्र ने उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की। पीठ ने सवाल किया, ‘गलत काम करने वाले कितने लोगों के परिणाम रोके गए हैं और हम ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं।’