Wikimedia Commons
भारत के साथ प्रैट ऐंड व्हिटनी (P&W) का जुड़ाव 70 साल से अधिक पुराना है और इसका दायरा नागरिक विमानन और सैन्य उड्डयन दोनों क्षेत्रों तक फैला हुआ है। 1940 के दशक की शुरुआत में वायु सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले डगलस डीसी-3 परिवहन विमान और एयर इंडिया के मशहूर बोइंग 747 विमान, दोनों में P&W के इंजन थे। भारतीय वायु सेना के भारी-भरकम सी-17 ग्लोबमास्टर 3 और शामिल किए जाने वाले सी-295 विमानों में भी P&W के इंजन हैं।
P&W इंजनों ने वर्षों से दुनिया भर की विमानन कंपनियों और सेनाओं का भविष्य बेहतर किया है। लेकिन अब अमेरिका की इस इंजन निर्माता कंपनी को काफी हलचल का सामना करना पड़ रहा है।
किफायती सेवाएं देने वाली विमानन कंपनी गो फर्स्ट ने अपने दिवालिया होने के लिए P&W को जिम्मेदार ठहराया है। यूरोप में, स्विस इंटरनैशनल एयरलाइंस ने इंजन की समस्याओं के कारण अपने एक-तिहाई एयरबस ए220 विमान पर रोक लगा दी है। इंजन की खराबी के कारण होने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए अफ्रीका के विमानों का सहयोग भी लेना पड़ रहा है।
एक विमानन समाचार पोर्टल, फ्लाइटग्लोबल के एशिया प्रबंध संपादक, ग्रेग वाल्ड्रॉन ने कहा,‘प्रैट ऐंड व्हिटनी दशकों से वैश्विक प्रपल्शन उद्योग की आधारशिला रही है और इसने कई नागरिक और सैन्य विमानों को संचालित किया है। हाल के वर्षों में इसने छोटे विमानों के इंजनों पर ध्यान केंद्रित किया है, विशेष रूप से ए320 विमानों के लिए।’
Also Read: Go First का ऑपरेशन बंद होने के बाद Air India बढ़ाएगी अपनी उड़ानें
उन्होंने कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियां पूरे उद्योग के लिए एक मुद्दा है लेकिन आधुनिक जेट इंजनों में इस्तेमाल की जाने वाली शीर्ष स्तर की इंजीनियरिंग और उत्कृष्ट सामग्री उन्हें किसी विपरीत परिस्थिति के लिहाज से कमजोर बनाती है। इसके अलावा, रखरखाव, मरम्मत और विमान में बदलाव (एमआरओ) क्षमता की कमी है। जबकि P&W1000जी श्रृंखला के इंजन (ए320 विमान में इस्तेमाल होने वाले) स्पष्ट रूप से आपूर्ति की चुनौतियों का सामना करते हैं और इसकी अंतर्निहित तकनीक मजबूत है और यह लंबी अवधि में विमानन कंपनियों को महत्त्वपूर्ण ईंधन बचत का लाभ उठाने में मदद करेगी।
भारत में, वर्तमान में लगभग 1,500 P&W इंजन और सहायक बिजली इकाइयों का इस्तेमाल 135 परिचालकों द्वारा उड़ाए जा रहे 700 से अधिक विमानों और हेलीकॉप्टरों में हो रहा है। इनमें इंडिगो और गो फर्स्ट के साथ 180 से अधिक एयरबस ए320/ए321नियो विमान शामिल हैं जिनमें पीडब्ल्यू1000जी सीरीज वाले गियर वाले टर्बोफैन (जीटीएफ) इंजन हैं।
जीटीएफ इंजनों को उनकी ईंधन क्षमता के लिए तवज्जो दी जाती है (पीऐंडडब्ल्यू सूत्रों का कहना है कि इन इंजनों ने अब तक भारतीय विमानों की 1 अरब डॉलर से अधिक राशि की बचत कराई है)।
हालांकि वे वर्ष 2016 से ही सेवा देने के बाद से विवादों में रहे हैं। उनके साथ कम दबाव वाले टर्बाइन ब्लेड, सील, कंबस्टर और अन्य पुर्जों से जुड़ी दिक्कत बनी रही है। इसके कारण उड़ान बंद हो गई या विमान से इंजनों को समय से पहले हटा लिया गया। हालांकि अधिकांश समस्याओं का समाधान कर लिया गया है, लेकिन समस्याएं बनी हुई हैं।
Also Read: Go First insolvency: विमानों पर यथास्थिति चाहते हैं पट्टादाता, सोमवार को NCLT में अगली सुनवाई
राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण को दिए गए अपने दिवाला आवेदन में गो फर्स्ट ने कहा कि इंजन की खराबी के कारण सेवा न देने वाले विमानों की संख्या वर्ष 2020 के 31 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2023 में 50 प्रतिशत से अधिक हो गई। पीऐंडडब्ल्यू ने भारत में अपना कारोबार खोना शुरू कर दिया क्योंकि इसके जीटीएफ इंजनों के साथ दिक्कतें दिखनी जारी रहीं।
वर्ष 2019 और फिर 2021 में, इंडिगो ने अपने एयरबस ए320नियो विमान के लिए प्रतिस्पर्द्धी इंजन निर्माता सीएफएम के एलईएपी-1ए इंजन को चुना। इंडिगो द्वारा इन दोनों समझौतों में शामिल विमानों की कुल संख्या 590 थी।
रॉयल ब्रुनेई एयरलाइंस और कतर एयरवेज ने शुरू में अपने एयरबस ए320/321नियो विमान के लिए P&W इंजन चुनने के बाद इंजन बदला। एविएशन वीक पत्रिका ने कहा पिछले नवंबर में कहा कि P&W जीटीएफ इंजन ने सीएफएम एलईएपी-1ए से पहले वैश्विक स्तर पर सेवाओं में अपनी शुरुआत की लेकिन सीएफएम एलईएपी-1ए का उच्च स्थापित आधार है। हालांकि, पत्रिका ने अगले दशक में इंजनों के बीच काफी हद तक समान बाजार हिस्सेदारी का अनुमान लगाया है।
कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी इंजन के मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) को प्रभावित किया है। महामारी के चलते नए ऑर्डर और उत्पादन प्रभावित हुए हैं जबकि युद्ध के चलते इंजनों के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख धातुओं की आपूर्ति सीमित हो गई और इसके परिणामस्वरूप लागत में वृद्धि हुई।
Also Read: Go First को पटरी पर लाने की कवायद
P&W ने ईमेल के सवालों के जवाब नहीं दिए। नाम न छापने की शर्त पर एक विमान क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘सभी यांत्रिक घटक विफलता के लिहाज से अतिसंवेदनशील होते हैं और इस प्रकार विमानन कंपनियों के लिए सभी आकस्मिकताओं को कवर करने और निर्बाध उत्पाद समर्थन हासिल करने के लिए ओईएम के साथ निर्विवाद अनुबंध होना अनिवार्य है।’
विमानन सलाहकार और एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक (इंजीनियरिंग) संजीव रोटकर ने कहा, ‘एक स्व-स्वामित्व वाले विमान बेड़े में भी आंतरिक पुर्जों की अदला-बदली की अनुमति दी गई।