केंद्र सरकार द्वारा हाल में अधिसूचित 4 श्रम संहिताओं को प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकारें अपने अधिकार क्षेत्र के लिए अपनी जरूरतों के मुताबिक नियम बना सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी देते हुए कहा कि इसमें केवल इतनी शर्त है कि राज्य के श्रम नियम नई संहिता की भावना के अनरूप होने चाहिए।
सूत्रों ने कहा, ‘श्रम को समवर्ती सूची में रखा गया है। ऐसे में प्रत्येक राज्य को अपने क्षेत्र में अपने नियम अधिसूचित करने की जरूरत होगी। ऐसे में वे या तो केंद्र द्वारा अपनाई गई समय-सीमा का पालन कर सकते हैं या अपनी समय-सीमा निर्धारित कर सकते हैं। बशर्ते संहिताओं की व्यापक भावना बरकरार रहे। इसमें एकरूपता और सामंजस्य महत्त्वपूर्ण है।’
खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार नई संहिता के तहत दिसंबर के पहले सप्ताह में नियम पेश करने पर काम कर रही है। उसके बाद नियम लागू होने के पहले विभिन्न हिस्सेदारों से परामर्श के लिए 45 दिन का वक्त रखा जाएगा।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को 4 नई श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया, जिसमें वेतन संहिता (2019), औद्योगिक संबंध संहिता (2020), सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता (2020) शामिल हैं। यह संहिता मौजूदा 29 केंद्रीय श्रम कानूनों की जगह लेने को तैयार है।
सूत्रों ने कहा, ‘कुछ को छोड़कर ज्यादातर राज्यों ने अपने नियम बनाए हैं और उन्हें प्रकाशित भी कर दिया है, जैसा कि केंद्र ने कुछ समय पहले किया था। चूंकि कुछ समय बीत चुका है और केंद्र भी अपने नियमों पर नए सिरे से विचार कर रहा है, इसलिए राज्यों के लिए भी यह उचित होगा कि वे फिर से विचार करें और नए नियम लेकर आएं।’
अब तक 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने वेतन संहिता, 2019 के तहत मसौदा नियम प्रकाशित किए हैं, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 के तहत 33, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत 32 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता, 2020 के तहत 33 ने नियम प्रकाशित किए हैं।
सूत्रों ने कहा, ‘11-12 नवंबर को आयोजित बैठक सहित राज्यों के साथ हमारी बैठकों में नियमों के बारे में हमने राज्यों को अपना दृष्टिकोण बताया है। मोटे तौर पर उन सभी ने केंद्र द्वारा तय समय-सीमा का पालन करने की इच्छा व्यक्त की है। अगर उन्हें किसी सहायता की आवश्यकता है तो हम लगातार उनके संपर्क में हैं। हमें यह भी उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल भी आगे आएगा और अपने नियम प्रकाशित करेगा। यदि यह आगे नहीं आता है, तो उसे नए निवेश के मामले में अलग-थलग पड़ने का खतरा है।’