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रिजर्व बैंक का महंगाई दर का पूर्वानुमान ‘निष्पक्ष’: डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता

गुप्ता ने कहा कि पूर्वानुमान की त्रुटियों को न्यूनतम करने के अलावा अनुमान में व्यवस्थागत पूर्वग्रह नहीं होना सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है

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सुब्रत पांडा   
Last Updated- November 26, 2025 | 10:28 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने बुधवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के संकल्प में इस्तेमाल किया गया रिजर्व बैंक का महंगाई दर का पूर्वानुमान ‘निष्पक्ष’ है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर का लक्ष्य तय करने की व्यवस्था के दौरान मौद्रिक नीति समिति द्वारा महंगाई दर और वृद्धि के पूर्वानुमानों का वास्तविक महंगाई दर और वृद्धि से पूर्वाग्रह नहीं है।

मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान गुप्ता ने कहा, ‘पूर्वानुमान की त्रुटियों को न्यूनतम करने के अलावा अनुमान में व्यवस्थागत पूर्वग्रह नहीं होना सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। जहां तक मौद्रिक नीति समिति के संकल्प में इस्तेमाल किए गए महंगाई दर के पूर्वानुमानों का सवाल है, वे पूरी तरह निष्पक्ष हैं।’

भारत का केंद्रीय बैंक दीर्घावधि महंगाई दर के साथ साथ सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान मुहैया कराता है। अक्टूबर की मौद्रिक नीति की बैठक में रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 में खुदरा महंगाई दर 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में 1.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2027 की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

इसी तरह रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के दौरान भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जिसमें दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2027 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

गुप्ता ने कहा, ‘मौद्रिक नीति का असर एक पहले से अनुमानित निश्चित अंतराल के बाद होता है। आज लिए गए फैसले कुछ तिमाहियों तक उत्पादन और महंगाई दर पर असर डालते हैं। मौद्रिक नीति समिति को अपने फैसलों को को प्रभावी ढंग से असरकारक बनाने के लिए न केवल वर्तमान स्थितियों का, बल्कि निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के हिसाब से दृष्टिकोण बनाने की जरूरत होती है।

इसलिए समिति के द्वि-मासिक संकल्प में 4 तिमाहियों तक की महंगाई दर और वृद्धि का पूर्वानुमान दिया जाता है।’ उन्होंने पू्र्वानुमान की कोई भी कवायद प्रकृति के मुताबिक अलग अलग होती है और इसमें अनुमान संबंधी त्रुटियों का जोखिम होता है और इस तरह की त्रुटियां पूरी दुनिया में सामान्य हैं।

गुप्ता ने कहा, ‘महंगाई दर का अनुमान लगाना अगर ज्यादा नहीं तो उतना भारत में भी चुनौतीपूर्ण है। यह सीपीआई बास्केट में खाद्य वस्तुओं को ज्यादा महत्त्व दिए जाने और खाद्य वस्तुओं की कीमत में उतार चढ़ाव की प्रकृति के कारण और कठिन हो जाता है।’

रिजर्व बैंक महंगाई दर का अनुमान लगाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाता है। इसमें स्ट्रक्चरल और टाइम-सीरीज मॉडल का इस्तेमाल करना, कीमतों में अंदरूनी गति की पहचान करने के लिए आंकड़ों में पुराने पैटर्न की जांच करना और आधार के असर का आकलन करना शामिल है। यह सभी आंकड़े अक्सर कम समय में महंगाई की गति को आकार देते हैं।

First Published : November 26, 2025 | 10:23 PM IST