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लौटते मजदूर : डर या त्योहार का असर !

राज्य में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों का कहना है कि उत्तर भारत के मजदूर होली और नवरात्रि त्योहारों के लिए अपने गृह राज्य जा रहे हैं

Published by
शाइन जेकब
Last Updated- March 06, 2023 | 11:07 PM IST

तमिलनाडु के उद्योग प्रतिनिधियों और स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि उत्तर भारत के मजदूर होली और चैत्र नवरात्रि जैसे त्योहारों पर अपने घर जा रहे हैं और इन प्रवासी मजदूरों पर हमले की फर्जी खबरों का उनके घर लौटने से कोई वास्ता नहीं है।

कपड़ा उद्योग के प्रतिनिधियों ने बताया कि अकेले तिरुपुर से रोज कम से कम 400 मजदूर उत्तर भारत में अपने गृह राज्य जा रहे हैं। तिरुपुर कपड़ा व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है। दूसरे औद्योगिक शहरों से भी प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्य जाने की खबरें आ रही हैं।

हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि वे हमले के भय से जा रहे हैं लेकिन उद्योग के प्रतिनिधियों और स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि ये मजदूर होली और चैत्र नवरात्रि जैसे त्योहारों पर अपने घर जा रहे हैं। उनके अनुसार बाहरी राज्यों से आए मजदूरों पर हमले की फर्जी खबरों का मजदूरों के घर लौटने से कोई लेना-देना नहीं है।

इस बीच, बिहार से आए अधिकारियों के एक विशेष दल ने रविवार को प्रवासी मजदूरों और ठेकेदारों से बातचीत की। इन अधिकारियों ने लोगों से हमले की अफवाहों पर ध्यान नहीं देने को कहा। झारखंड से अधिकारियों का भी एक दल आया था जिसने सोमवार को उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और कामगारों से बात की और स्थिति का आकलन किया। बिहार के ग्रामीण विकास सचिव बालमुरुगन डी ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से वह संतुष्ट हैं।

तिरुपुर निर्यातक संघ (टीईए) के कार्यकारी सचिव शिव स्वामी शक्तिवेल ने कहा, ‘तिरुपुर में प्रवासी मजदूरों पर हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है। इस शहर से रोज कम से कम 400 लोग बाहर जा रहे हैं मगर इसकी वजह होली और नवरात्रि जैसे त्योहार हैं। ये लोग किसी डर से अपने घर नहीं लौट रहे हैं।‘ राज्य में कपड़ा व्यवसाय के इस प्रमुख केंद्र में कम से कम 2 लाख प्रवासी मजदूर काम करते हैं।

सूत्रों के अनुसार स्थानीय पुलिस ने रेलवे स्टेशन जाकर मजदूरों से शहर से जाने का कारण भी पूछा मगर किसी ने भी नहीं कहा वे हिंसा के भय से जा रहे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में करीब 35 लाख प्रवासी मजदूर काम करते थे जिनमें सात लाख महिलाएं थीं। अनुमानों के अनुसार अब दूसरे राज्यों से आकर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या 50 लाख पार कर गई होगी।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आश्वासन दिया है कि प्रवासी मजदूर राज्य के विकास में योगदान दे रहे हैं इसलिए उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। शक्तिवेल ने कहा, ‘होली और नवरात्रि पर लोग अक्सर उत्तर भारत में अपने घर जाते हैं। हमने अपने कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि डरने वाली कोई बात नहीं है।‘ स्थानीय अधिकारियों ने भी ऐसे संकेत दिए हैं कि इस क्षेत्र से प्रवासी मजदूरों के खिलाफ हिंसा की कोई खबर नहीं आई है।

राज्य के दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों से भी प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाए जाने की खबरें नहीं आई हैं। चेन्नई से सटे अंबात्तूर इंडस्ट्रियल एस्टेट से भी मजदूर आगामी त्योहारों पर अपने प्रदेश जा रहे हैं। अंबात्तूर इंडस्ट्रियल एस्टेट दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा लघु उद्योग क्षेत्र है।

अंबात्तूर इंडस्ट्रियल एस्टेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नालनगिली ने कहा,‘अंबात्तूर में कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं आई है। इस क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है। स्थानीय अधिकारी प्रवासी मजदूरों और उद्योग के संपर्क में हैं और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया है।‘

इंस्टीट्यूट ऑफ माइग्रेशन स्टडीज, तिरुवनंतपुरम के अध्यक्ष एस इरुदय राजन ने कहा, ‘तमिलनाडु में कम से कम एक तिहाई लोग प्रवासी हैं। चेन्नई जैसे शहर में कुल आबादी में करीब 40 प्रतिशत प्रवासी होंगे। प्रवासी ही राज्य की अर्थव्यवस्था को गति दे रहे हैं। इन पर हिंसा होने से राज्य का विकास बाधित होगा।’

First Published : March 6, 2023 | 11:07 PM IST