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Ram Mandir Pran Pratistha: संघ परिवार के लिए हिंदू एकता का उत्सव

Ram Mandir Pran Pratistha: संघ प्रमुख भागवत बोले, भारतवर्ष के पुनर्निमाण का अभियान शुरू होगा

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- January 22, 2024 | 11:07 PM IST

सोमवार को अयोध्या में संपन्न राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह संघ परिवार के लिए सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम भर नहीं है बल्कि यह सभी जातियों और क्षेत्रों में हिंदू एकता का आह्वान है।

इस कार्यक्रम के लिए कार्यकर्ताओं ने दान इकट्ठा करने के लिए कई महीने तक कवायद की और अक्षत का वितरण लोगों के दरवाजे-दरवाजे जाकर किया गया। इसके अलावा देश भर के लोगों से मंदिर जाने का अनुरोध भी किया गया है जिससे ये सारे उद्देश्य पूरे होंगे।

संघ परिवार इस वक्त बेहद ताकतवर है, इसके बावजूद वह दिसंबर 1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपनी राजनीतिक इकाई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार के सबक को लेकर सचेत है। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के ओबीसी-दलित सामाजिक गठबंधन ने भाजपा को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के एक साल बाद हरा दिया था।

चुनावी नतीजे आने के कुछ हफ्ते बाद, राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व करने वाले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी सबक सीखा। इसके नेतृत्वकर्ताओं, अशोक सिंघल और आचार्य गिरिराज किशोर ने हिंदू संतों के साथ वाराणसी के श्मशान घाटों के प्रमुख डोम राजा द्वारा भोज के आयोजन में हिस्सा लिया। सामुदायिक दोपहर के भोजन में भाग लिया। संघ परिवार के एक नेता ने कहा, ‘सिंघल ने उस समय जो किया वह अकल्पनीय था।’

सोमवार के समारोह में, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने वाराणसी के वर्तमान डोम राजा, अनिल चौधरी और पूरे देश से विभिन्न जातियों और समुदायों के 14 अन्य जोड़ों को यजमान (मेजबान) का कर्तव्य निभाने के लिए आमंत्रित किया गया।

इन जोड़ों में दलित, आदिवासी, ओबीसी (यादव सहित) और अन्य जातियां भी शामिल थीं। यजमान के रूप में ये जोड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान से जुड़े।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या की रामजन्मभूमि के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अब भारतवर्ष के पुनर्निमाण के अभियान की शुरुआत होगी जो सद्भाव, एकता, प्रगति, शांति और कल्याण के लिए है। उन्होंने अयोध्या के मंदिर निर्माण में हिंदू समाज के लगातार संघर्ष का हवाला दिया और कहा कि इस विवाद पर अब संघर्ष और कटुता समाप्त होनी चाहिए।

बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, ‘प्राण प्रतिष्ठा हिंदू एकता का त्योहार है। यह एक राष्ट्रीय त्योहार है।’ विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हिंदू धर्म, जैन, बौद्ध और सिख धर्म के सभी जातियों, समुदायों और संप्रदायों के नेताओं या बुद्धिजीवियों को समारोह में आमंत्रित किया गया और वे इसमें शामिल हुए।

आमंत्रित लोगों में संघ से जुड़े आदिवासी वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी, उदयपुर के आदिवासी कैलाश यादव, प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से कवींद्र प्रताप सिंह, असम के राम कुई जेमी, सरदार गुरु चरण सिंह गिल (जयपुर), कृष्ण मोहन (रविदासी समाज, हरदोई), रमेश जैन (मुल्तानी), अदलरासन (तमिलनाडु) शामिल हैं। विट्ठलराव कांबले, महादेव राव गायकवाड़ (लातूर, घुमंतु समाज ट्रस्टी), लिंगराज बसवराजप्पा (कर्नाटक में कलबुर्गी), दिलीप वाल्मिकी (लखनऊ) और अरुण चौधरी (हरियाणा के पलवल) शामिल थे।

नवंबर 2019 में, जब उच्चतम न्यायालय ने राम मंदिर के निर्माण की राह प्रशस्त की तब संघ और उसके सहयोगी संगठनों ने सभी जातियों और समुदायों की भागीदारी के प्रतीक के रूप में मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने का अभियान चलाया।

First Published : January 22, 2024 | 11:07 PM IST