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Odisha train accident: बालासोर रेल दुर्घटना की CBI जांच कराने की सिफारिश, शुरुआती जांच से सिग्नल में खराबी का संकेत

Published by
ध्रुवाक्ष साहा   
शाइन जेकब   
Last Updated- June 05, 2023 | 1:28 AM IST

ओडिशा के बालासोर में हुई भीषण रेल दुर्घटना के दो दिन बाद रेल मंत्रालय ने इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सिफारिश की है। केंद्रीय रेल मंत्री अ​श्विनी वैष्णव ने आज यह बात कही। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बालासोर ट्रेन दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हुई है और 803 लोग घायल हुए हैं।

वैष्णव ने भुवनेश्वर में संवाददाताओं से कहा, ‘दुर्घटना की परिस्थितियों और प्रशासनिक स्तर से प्राप्त जानकारी को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है।’

इस बीच रेलवे बोर्ड की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि गृह मंत्रालय जांच में रेलवे की सहायता कर रहा है। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच से सिग्नल में खराबी का संकेत मिलता है।

सिन्हा ने कहा, ‘आशंका जताई जा रही है कि सिस्टम में कुछ गड़बड़ी हुई है। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच में पता चलेगा कि यह मानव हस्तक्षेप था या कुछ और।’

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नेटवर्क पर कवच होने से भी दुघर्टना को टालना आसान नहीं होता।आयुक्त कल से वैधानिक जांच शुरू करेंगे। द​क्षिण पूर्व रेलवे ने एक बयान में कहा है, ‘रेल यात्री, स्थानीय जनता और अन्य संस्थान तय समय एवं स्थान पर रह सकते हैं और दुर्घटना के बारे में आयोग को अपना बयान दे सकते हैं।’

मामले की आपरा​धिक जांच के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि फिलहाल कोई भी अधिकारी फरार नहीं है।
वैष्णव ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और पॉइंट मशीन को इस दुर्घटना की मुख्य वजह माना जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘अभी जांच चल रही है, इसलिए कुछ भी कहना मेरे लिए मुनासिब नहीं होगा। मगर इस दुर्घटना के कारण और इसके लिए जिम्मेदार व्य​क्तियों की पहचान की जा रही है।’

यह भीषण दुर्घटना 2 जून को शाम करीब 7 बजे हुई, जब शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस बालासोर में बहनागा बाजार स्टेशन के पास बगल की पटरी पर लुढ़ककर मालगाड़ी से टकरा गई।

जब पीछे चल रही किसी ट्रेन को पहले निकालना होता है तो बाकी ट्रेनों को लूप लाइन पर रोका जाता है। इस मामले में एक्सप्रेस ट्रेन को मुख्य लाइन पर सीधे जाने का सिग्ल दे दिया गया था और मालगाड़ी लूप लाइन पर थी। मगर एक्सप्रेस ट्रेन सीधे जाने के बजाय लूप लाइन पर चली गई और पूरी रफ्तार से दौड़ते हुए मालगाड़ी से भिड़ गई। रफ्तार इसलिए ज्यादा थी क्योंकि ट्रेन के ड्राइवर को लगा था कि गाड़ी मुख्य लाइन पर आराम से गुजर जाएगी इसलिए गाड़ी रोकने या रफ्तार धीमी करने का ख्याल भी उसे नहीं आया।

दुर्घटना की आ​धिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘टक्कर इतनी भीषण थी कि ट्रेन के 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और तीन डिब्बे दूसरी लाइन पर चले गए।’ उसी दौरान हावड़ा-बेंगलूरु एक्सप्रेस ट्रेन दूसरी ओर से गुजर रही थी और दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के तीनों डिब्बे लहराते हुए इससे टकरा गए। उस हावड़ा एक्सप्रेस के दो डिब्बे भी इस टक्कर से पटरी से उतर गए और दूसरी ओर लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गए।

पूर्व मध्य रेल के पूर्व महाप्रबंधक ललित त्रिवेदी ने कहा, ‘पहली नजर में यह आपरा​धिक लापरवाही का मामला लगता है।’ उन्होंने कहा, ‘जाहिर तौर पर कुछ शॉर्टकट अपनाया गया होगा, जिसके कारण अप मेन सिग्नल और अप रूट को नियंत्रित करने वाले स्विच के बीच तालमेल नहीं था।’

रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य (यातायात) शांति नारायण ने कहा, ‘यह स्पष्ट तौर पर तकनीकी विफलता है। यदि पटरी पर कोई ट्रेन होती है तो पीछे से आने वाली ट्रेन को सिग्नल नहीं दिया जा सकता। मानवीय भूल होती तो भी इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के कारण रेलवे प्रणाली ही ऐसा नहीं होने देती।’

First Published : June 5, 2023 | 1:28 AM IST