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दिल्ली हाईकोर्ट से CM केजरीवाल को राहत नहीं, ED की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका क्यों की गई खारिज?

जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, 'अदालत का मानना है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं थी। इसलिए रिमांड को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।'

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- April 09, 2024 | 11:12 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा उन्हें ईडी की हिरासत में भेजने के लिए दिए गए रिमांड आदेश के खिलाफ दायर याचिका को भी खारिज कर दिया। इसका मतलब साफ है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को अगले आदेश तक तिहाड़ जेल में ही रहना होगा।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, ‘अदालत का मानना है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं थी। इसलिए रिमांड को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।’ खबरों के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।

अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जुटाई गई सामग्री से पता चलता है कि केजरीवाल ने साजिश रची और वह आबकारी नीति तैयार करने में शामिल थे। सामग्री से यह भी पता चलता है कि उन्होंने आपराधिक तरीके से जुटाई गई रकम का उपयोग भी किया।

न्यायाधीश ने कहा, ‘वह कथित तौर पर आबकारी नीति बनाने और रिश्वत मांगने में व्यक्तिगत तौर और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर भी शामिल रहे हैं।’ अदालत ने कहा कि इस बात के सबूत मौजूद हैं कि आपराधिक तरीके से जुटाई गई इस रकम का इस्तेमाल 2022 के गोवा विधान सभा चुनाव के प्रचार अभियान में किया गया था।

केजरीवाल ने दावा किया है कि उनके खिलाफ बयान देने वाले दो गवाह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े हैं।

इस मामले में केजरीवाल को कथित रिश्वत से जोड़ने वाले तीन में से दो बयान कारोबारी सरथ चंद्र रेड्डी और उनके पिता मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के हैं। रेड्डी भाजपा के सहयोगी दल तेलुगू देशम पार्टी के लोक सभा उम्मीदवार हैं।

केजरीवाल के वकील ने रेड्डी के बयान की सत्यता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी कंपनी अरबिंदो फार्मा ने चुनावी बॉन्ड के जरिये भाजपा को करोड़ों रुपये का भुगतान किया था।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘इस अदालत का मानना है कि कौन चुनाव लड़ने के लिए किसे टिकट देता है या कौन किस उद्देश्य के लिए चुनावी बॉन्ड खरीदता है, यह इस अदालत का विषय नहीं है क्योंकि अदालत के लिए अपने सामने मौजूद सबूतों के आधार पर कानून लागू करना आवश्यक है।’

केजरीवाल ने लोक सभा चुनाव से ठीक पहले की गई अपनी गिरफ्तारी के समय पर भी सवाल उठाया था। अदालत ने कहा, ‘अदालत का मानना है कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी की गिरफ्तारी और रिमांड की जांच कानून के मुताबिक की जानी चाहिए न कि चुनाव के समय के आधार पर।’

अदालत ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि केजरीवाल को केंद्र सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध के कारण गिरफ्तार किया गया है। अदालत ने कहा, ‘राजनीतिक मान्यताओं को अदालत के सामने नहीं लाया जा सकता क्योंकि वे प्रासंगिक नहीं हैं। अदालत को सतर्क रहना चाहिए कि वह किसी बाहरी कारकों से प्रभावित न हो।’

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि अदालत का संबंध संवैधानिक नैतिकता से है, न कि राजनीतिक नैतिकता से। अदालत ने कहा, ‘न्यायाधीश कानून से बंधे होते हैं, न कि राजनीतिक मान्यताओं से।’

जब केजरीवाल ने कहा कि उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की जा सकती थी तो न्यायालय ने कहा, ‘इसे आरोपी की सुविधा के मुताबिक नहीं किया जा सकता है।’

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उन्हें 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया था।

First Published : April 9, 2024 | 11:12 PM IST