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चुनाव से पहले बिहार की तिजोरी पर भारी बोझ, घाटा तीन गुना बढ़ा

कमजोर कर संग्रह और चुनाव से पहले महिलाओं को दिए गए 10,000 करोड़ रुपये से वित्तीय दबाव बढ़ा

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इंदिवजल धस्माना   
Last Updated- December 18, 2025 | 8:29 AM IST

बिहार का राजकोषीय घाटा वर्ष के पहले सात महीनों में 2025-26 के बजट अनुमान का तीन गुना बढ़ गया है। यह अक्टूबर में मामूली कर संग्रह के कारण हुआ है जो आम धारणा के विपरीत है। विधान सभा चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में डाले गए 10,000 करोड़ रुपये की राशि ने भी इस घाटे को बढ़ाने में भूमिका निभाई है, लेकिन अक्टूबर में आदर्श आचार संहिता लागू होने से कम पूंजी परिव्यय ने कल्याणकारी योजनाओं पर होने वाले खर्च पर कुछ हद तक अंकुश लगा दिया था।

पूरे वित्त वर्ष के लिए बजट अनुमान के प्रतिशत के रूप में पहले सात महीनों में राजकोषीय घाटा पिछले सात वर्षों में वित्त वर्ष 26 के दौरान सबसे अधिक बढ़ा है, जिसमें 2020-21 का पिछला विधान सभा चुनाव वर्ष भी शामिल है। पिछले दो वर्षों में राजस्व घाटा अधिक रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि राजस्व घाटे में माइनस चिह्न का मतलब है कि बजट ने इन सभी सात वर्षों में राजस्व संतुलन को अधिशेष में माना है।

राज्य के बजट में वित्त वर्ष 26 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3 प्रतिशत पर राजकोषीय घाटा और 0.8 प्रतिशत पर राजस्व अधिशेष का अनुमान लगाया गया है। राजकोषीय और राजस्व घाटे को बढ़ाने के प्रमुख कारणों में अक्टूबर के दौरान कर संग्रह बेहद कम होना रहा, जिससे इस महीने में राजस्व प्राप्तियां घटकर केवल 540 करोड़ रुपये रह गईं।

हालांकि अग्रिम भुगतान के कारण अक्टूबर में कर संग्रह की तुलना अगस्त और सितंबर के आंकड़ों से नहीं की जा सकती है, लेकिन स्थिति अन्य महीनों में भी बहुत अच्छी नहीं रही। चूंकि कल्याणकारी योजनाओं के कारण सितंबर और अक्टूबर में राजस्व व्यय बढ़ा, लेकिन पूंजी परिव्यय में कटौती से आंशिक रूप से इसकी भरपाई की गई।

First Published : December 18, 2025 | 8:29 AM IST