छोटे और सीमांत किसानों को राहत पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार उनके फसल बीमा का प्रीमियम स्वयं चुकाने की योजना पर काम कर रही है। इस वर्ष हुई बेमौसम बरसात और ओले गिरने की समस्या ने मध्य प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। यही वजह है कि राज्य ने इस दिशा में काम करना आरंभ किया है।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक सरकार उन किसानों का फसल बीमा कराने की योजना बना रही है जिनकी जोत दो हेक्टेयर या उससे कम है। माना जा रहा है कि इससे सरकारी खजाने पर 25 से 30 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।
कृषि मंत्री कमल पटेल कहते हैं, ‘प्रदेश में बहुत बड़ी तादाद में ऐसे किसान हैं जिनका खेती का रकबा बहुत छोटा है और जो बीमा का बोझ नहीं वहन कर सकते। कृषि विभाग एक खाका तैयार कर रहा है ताकि उनकी मदद की जा सके। इस विषय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बातचीत हो चुकी है। सरकार उन किसानों का प्रीमियम चुका सकती है।’
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव इन वादों पर विश्वास नहीं करते। वह कहते हैं, ‘हमें सरकार पर भरोसा नहीं है। किसानों को अब तक पुराने बीमा की राशि ही नहीं चुकाई गई है। सवाल यह है कि सरकार बीमा कंपनियों पर इतनी मेहरबान क्यों है? छोटे किसानों के बीमा का प्रीमियम चुकाने के बजाय सरकार सीधे किसानों को वित्तीय सहायता क्यों नहीं उपलब्ध करा देती?’
मध्य प्रदेश में एक करोड़ से अधिक छोटे-बड़े किसान हैं। इनमें 27.15 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनकी खेती का रकबा 1-2 हेक्टेयर के बीच है जबकि 48.3 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनकी कुल खेती ज्यादा से ज्यादा एक हेक्टेयर है।